मित्रों नमस्कार,
आज पितृपक्ष की 'मातृ नवमी'' का पावन तिथि व पर्व है, जो बहुत विशेष तिथि है क्योंकी पूरे सृष्टि में मां से प्रिय वस्तु कुछ और नहीं हो सकता, मां के बारे में क्या कहूं, कहने के लिये कोई शब्द नहीं, केवल अहसास है, जिसको आज उन सभी दिवंगत माताओं के नाम से कम से कम १गाय, १ गरीब, १नि:शक्त, १किसी अनाथ बूढ़ी मां तथा १ ब्राह्मण को भोजन करावें ! 'पंचबलि' के साथ साथ यदि उपरोक्त बातों को चरितार्थ किया जाय तो यह इस मनुष्य जन्म की सार्थकता होगी!
नमन धरती मां को.....
विश्व की लगभग 5500 संस्कृतियों में उत्कृष्ट संस्कृति भारतीय संस्कृति है, इसी संस्कृति ने विश्व को 'मातृ देवो भव:, पितृ देवो भव:' सिखाया ! वर्ष में पितरपक्ष में सभी पितर धरती पर आते हैं, और अपने परिजनों द्वारा किया गया तर्पण, पिण्डदान, ब्राह्मण, गरीब तथा गाय, श्वान, पीपिलिका (चिंटी), कौवे आदि पंचबलि के माध्यम से पिण्ड के चौथी हिस्सा को ग्रहण कर तृप्त होते हैं ! महर्षि सुमंतु एवं अगस्त्य ने ब्रह्मवैवर्त पुराण में उन्होंने कहा है कि -जो पुत्र अपने पितरों के तृप्ति हेतु पितृपक्ष मे श्राद्ध और तर्पण नहीं करता, उसे पितरों के शाप का भागी होना पड़ता है ! प्राय: ज्योतिष में पितृशापित/पितृदोष के रुप में लोगों के दिनचर्या/ व्यापार , नौकरी आदि सभी क्षेत्रों बेहद निगेटिव्ह प्रभाव डालता है !
अत: पितर में हम सभी को श्रद्धावनत् हो तर्पण और पूण्यतिथि के दिन पिण्डदान (श्राद्ध) करके पंचबलि तथा गऊ भोजन अवश्य कराना चाहिये!
आचार्य पण्डित विनोद चौबे,
संपादक- ''ज्योतिष का सूर्य' मासिक पत्रिका (ज्योतिष मर्मज्ञ, हस्तरेखा एवं वैदिक वास्तु सलाहकार, सटीक व लाभकारी रत्नों के निर्धारण हेतु संपर्क करें) शांतिनगर , भिलाई, 09827198828 (परामर्श सशुल्क है)
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