ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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रविवार, 24 सितंबर 2017

'कोंख बेचवा' कथित महिलाओं तथा अय्याश चण्ड-मुंण्ड राक्षसों को 'पंचमम् स्कन्द मातेति' के उपासना का अधिकार नहीं.- आचार्य पण्डित विनोद

'कोंख बेचवा' कथित महिलाओं तथा अय्याश चण्ड-मुंण्ड राक्षसों को 'पंचमम् स्कन्द मातेति' के उपासना का अधिकार नहीं.- आचार्य पण्डित विनोद चौबे(9827198828)

आज शारदीय नवरात्र के पंचम तिथि को 'पंचमम् स्कंद माते'ति' यानी स्कंदमाता का दर्शन करते हुए, भारत में ''कोंख के क्रय-विक्रय कर्ता दलालों'' पर प्रतिबंध लगाकर दण्डित कर, उन भोली-भाली माताओं को जागरुक करना चाहिये, जो कुछेक रुपयों की एवज़ में किराये पर कोंख देती हैं या यूं कहें कोंख का विक्रय करती हैं ! ऐसा करने से ही भगवान कार्तिकेय की मां ''स्कंदमाता'' की असल भक्ति होगी ! क्योंकि भारत की यह संस्कृति कभी नहीं रही है, हमारे देश की संस्कृति तो 'स्कन्दमाता' जैसी मातृवत्सला माताओं से समृद्ध रही है ना कि 'कोंख बेचवा'' माताओं से ! आज हमें इस ओर जन-जागृति लानी चाहिये ! मैं 2010 की एक दु:खद घटना का मैं स्वत: गवाह था , जिसे नवरात्र की आज पंचमी तिथि के 'स्कंदमाता' का स्मरण करते हुए एक सच्ची-दुर्घटना को बयां कर रहा हुं, हां मित्रों यह ''दुर्घटना ही था'' ! मैं अपने निवास शांतिनगर भिलाई से निकला रेलवे ढाला पार होते हुए बीएसएनएल सेक्टर-१ कार्यालय की ओर जा रहा था, तो देखा सुपेला रेलवे ट्रैक के पास सेक्टर-१ साईट की झाड़ियों में आठ या दस घंटे का नवजात शिशु (कन्या) मां के लिये अहक अहककर रो रही थी ! शायद उसे प्रतिक्षा होगी अपने मां और अभागा पिता की ! खैर, वहां कुछ लोगों की भीड़ देख मैं भी जिज्ञासावश जानना चाहा की क्यों भींड़ है ? तो मुझे पता चला की यह किसी विधर्मी व कुलटा या ज्योतिष में पुंश्चला योग वाली कथित मां का नवजात शिशु है, जिसे लड़की होने का बतौर दण्ड "एक मां से परित्याग" के रुप में झेलना पड़ा इससे बड़ा पीड़ा और क्या हो सकती है ? गर्भपात,  दुधमुहे बच्चों का यौन शोषण करने वाली मानसिकता वना ले वहसी राक्षस लोग, परायी महिलाओं पर बदनियत रखने की घृणित सोच वाले लोगों को ''पंचमम् स्कन्द माते'ति" का पूजो-पासना करने का अधिकार है ? या जिस देश में 'जनन' यानी जन्मदात्री 'मां' ''देवकी'' से अधिक महत्व ''लालन पालन करने वाली मां यशोदा" को दिया जिनके पुत्र बलराम और श्रीकृष्ण हैं, जिस देश भारत ने '' स्कन्दमाता के रुप में हमें प्राप्त हुईं, जिन्होंने अपने पुत्र 'स्कन्द'' का लालन पालन कर महान वीर, पराक्रमी पुत्रत्व का यश प्रदान किया, ऐसे भारत में ''कोंख बेचवा'' डायनों और गर्भपात एवं  महिलाओं पर बदनियत निगाह रखने वाले चण्ड-मुण्ड राक्षसों को नवरात्र भर में ही मात्र एक ही दिन 'स्कंदमाता' की भक्ति का कोई अधिकार है.? आप विचार किजीए ! मैंने तो भिलाई के पिछले दिनों की एक घटित घटना का प्रतिकात्मक वर्णन किया ! जबकी ऐसे कुकृत्य करने वाले चण्ड-मुंडों की मौजूदगी लगभग हर बड़े शहरों में है !

-आचार्य पण्डित विनोद चौबे
(ज्योतिष, वास्तु एवं कर्मकाण्ड विशेषज्ञ)
संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य', भिलाई,9827198828

http://ptvinodchoubey.blogspot.in/2017/09/blog-post_24.html?m=1

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