ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शनिवार, 9 सितंबर 2017

शनि ग्रह, 'रंक' को राजा और 'राजा' को रंक बनाते हैं- पण्डित विनोद चौबे

शनि ग्रह, 'रंक' को राजा और 'राजा' को रंक बनाते हैं- पण्डित विनोद चौबे

साथियों नमस्कार, मंगलमयी शुभप्रभात, रविवार आपके लिये खुशियां लाये....
आपने प्राय: देखा होगा कि जो व्यक्ति आज महान शख्सियत हैं, वे बाल्यावस्था में बेहद गरीब व साधारण परिवार में पले-बढे होते हैं ! ऐसे हजारों उदाहरण आपको मिलेंगे जैसे चाय बेचने वाले आदरणीय मोदी जी आज देश के पीएम हैं, पेट्रोल पम्प पर नौकरी करने वाले धीरू भाई अम्बानी, बराक ओबामा पूर्व राष्ट्रपति अमेरिका, सरोज खान नृत्य निर्देशिका सहित कई ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी प्रारम्भिक जीवन बहुत माली हालातों मे रही वो आज विश्व के सिरमौर बने बैठे हैं ! मित्रों कल हमने आपको 'तीन ग्रहों की युती में सूर्य ग्रह के परिप्रेक्ष्य में बताया था साथ ही आपको सूचित भी किया था कि आठ दिन का मेरा दिल्ली एवं बेंगलोर प्रवास हो रहा है जो इस प्रकार है 17,18,19 दिल्ली एवं 21,22_23,24 बेंगलोर में उपस्थित रहुंगा अत: वैदिक ज्योतिष परामर्श हेतु संपर्क करें 09827198828 (एक परिवार के एक सदस्य को नि:शुल्क ज्योतिष परामर्श, बाकी सशुल्क परामर्श रहेगा) अब आईये मूल विषय पर ध्यानाकर्षण आपका कराता हुं ! 

आखिरकार वैदिक ज्योतिष मे हम मात्र शनि से जुड़े शुभाशुभ प्रभाव पर चिन्तन करेंगे !

जब लग्न में शनि हो तो कष्ट में गुजरता है जीवन का पूर्वार्द्ध लग्न में शनि होने की स्थिति में लग्न का, शनि के बलाबल का और उस पर ग्रहों की दृष्टि का अध्यन करना आवश्यक हो जाता है।लग्न का शनि अच्छा नही मन जाता है।लग्न का शनि जातक को हीन और आलसी मानसिकता का बनाता है।यदि शनि मंगल से प्रभावित हो तो हमेशा कोई न कोई वजह से चोट लगती रहती है।अगर ये सूर्य की राशि मे हो तो दुःखद परिणाम मिलते है।स्वराशि में होने पर विद्वान बना देता है।
शुक्र की राशि में होनेपर शरीर आकर्षक बना देता है और जीवन में जातक खुद के ऐशो आराम को महत्व देता है।लग्न में शनि होने के वजह से पूर्वाद्ध जीवन कष्ट में बीतता है। 30 से 36 वर्ष के बाद जीवन मे स्थिरता आती है।
दांपत्य जीवन और व्यापार में बहुत अड़चनों का सामना करना पड़ता है।जीवनसाथी के साथ हमेशा मन मुटाव रहता है।अगर दशा उस वक़्त राहु की चल रही हो तो हानि की पूर्ण संभावना होती है।पर सटीक विश्लेषण के लिए भाव लग्न नक्षत्र राहु के स्थिति के साथ गोचर भी अनिवार्य है।अगर शनि लग्न में उच्च का हो तो अपनी दशा अंतरदशा में लाभकारी होता है। परमोच्च का शनि लग्नस्थ स्थित हो तो वह जातक अखण्ड समृद्धिवान एवं यशस्वी होता है, किन्तु ध्यान रहे वह व्यक्ति असंसदीय या असंवैधानिक कार्य यदि लेश मात्र भी किया तो वह शनिदेव के प्रकोप से सीबीआई जैसी संस्थाओं के फेरे मे आकर सबकुछ गंवा बैठता है, साथ ही जानलेवा रोगों की संभावना बढ़ जाती है ! अत: ऐसे व्यक्ति को तत्काल किसी वैदिक ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह लेकर सटीक उपाय करना चाहिये !

-आचार्य पण्डित विनोद चौबे
(वैदिक ज्योतिष, वास्तु एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ)
संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांतिनगर, भिलाई, मोबाईल नं. 9837198828

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