ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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सोमवार, 29 जनवरी 2018

'चन्द्रग्रहण' का शुभाशुभ प्रभाव और 'बगलामुखी साधना'

साथियों, नमस्कार

 ग्रस्तोदित या खग्रास चंद्रग्रहण भी कहते हैं अर्थात् पूर्ण चन्द्रग्रहण जो माघ शुदी पुर्णिमा 31 जनवरी 2018 को सायं 5 बजकर 18 मिनट पर ग्रहण का स्पर्श होगा अर्थात् चन्द्रग्रहण आरंभ होगा जो रात्रि 8 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा ! किन्तु ग्रहण का पूरा प्रभाव संध्या 7:00 (मध्य) से 7:38 तक राहु के ग्रास में चन्द्र होंगे ! 

कब होगा सूतक काल :

सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पूर्व एवं चन्द्रग्रहण में 9 घंटे पूर्व ही सूतक आरंभ हो जाता है, अत: 31 जनवरी 2018 को प्रात: 7:18 से ही सूतक काल आरंभ हो जायेगा ! इस दौरान किसी भी प्रकार का शुभारंभ, मांगलिक कार्य, श्मश्रु: (दाढ़ी) या अत्याधुनिक भाषा में 'सेविंग' एवं क्षौर (बाल) 'कटिंग' वर्जित है, इसके अलावा भोजन, औषधी निर्माण, ग्रंथ लेखन तथा भौतिक भोग विलास वर्जित है ! उपरोक्त वर्जना बाल-वृद्ध एवं रोगियों के लिये नहीं है !

विशेष सुझाव : 

ग्रहण आरंभ होने से पहले स्नान करके मंदिर का पट बंद करें शुद्ध चित्त हो 'हरे राम ...! महामंत्र का नाम संकीर्तन करना चाहिये ! और जो आगम (तंत्र) कर्मरती हैं उनको अपने अभिष्ट देव या देवी के मंत्रों का त्रिनिनाद विधी से एकांत में साधना करना चाहिये क्योंकि ग्रहण में किया  हुआ जप या अनुष्ठान स्वयंमेव सिद्ध हो जाता है ! 'अन्तर्नाद' व्हाट्सएप (9827198828) ग्रुप या हमारे फेसबुक/ ब्लॉग के फॉलोवर एवं शिष्यजनों सहित गुरुभाईयों जो 'बगलामुखी उपासना' करते हैं उन्हें 'आवरण (अन्तर्बाह्य) न्यास' करके पीले आसन पर उत्तराभिमुख होकर 'लघु पुरश्चरण' करना चाहिये, इससे मंत्र और आपकी साधना सिद्ध होगी! साधना से जुड़ी और अधिक जानकारी के लिये आप हमारे इस व्हाट्सएप नं.  9827198828 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं ! 

नोट: उपरोक्त बगलामुखी साधना वगैर दिक्षा लिये या वगैर गुरु के सानिध्य के नहीं नहीं करना चाहिये!

चन्द्रग्रहण पर 'बगलामुखी साधना' का महत्व : मित्रों मैने कई आलेखों में जिक्र किया है कि - बगलामुखी श्री कुल की देवी हैं अर्थात् श्री = लक्ष्मी ! लक्ष्मी, पद, प्रतिष्ठा, वर्चस्व, राजनैतिक क्षेत्र से लेकर उच्चाभिलाषी राजयोग की हृष्टी-पुष्टी यानी प्राप्ति के लिये 'बगलामुखी उपासना' बेहद लाभकारी होता है, यदि कोई व्यक्ति निष्काम भाव से इस साघना को करता है उसे 'नारायण पद' की प्राप्ति होती है, वाक् सिद्धी तो इस महाअनुष्ठान का स्वाभाविक फल है ! अत: इस साधना को अवश्य करना चाहिये !

ग्रहण के समाप्त होने के बाद स्नान करें 'गंगाजल में तुलसीदल' डालकर उसे 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' इस मंत्र से अभिमंत्रित कर पूरे घर में अभिषिंचन (छिड़काव) करें ! उसके बाद अन्नदान करना चाहिये ! 

राशियों पर शुभाशुभ प्रभाव :

सर्वप्रथम तो यह है कि ग्रहण के नाम पर बिल्कुल भी ना डरें, बल्कि अपने इष्टदेव की साधना करें आपके ऊपर किसी भी प्रकार का अनिष्ट प्रभाव नहीं होगा! 

वैसे कर्क राशि में चंद्र ग्रहण हो रहा है अत: मिथुन,कर्क, सिंह को विशेष तौर पर ईश्वर आराधना में तत्पर रहना चाहिये ! तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, राशि के लिये सामान्य रुप से नकारात्मकता प्रदान करने वाला तथा बाकी राशियों के लिये लाभकारी रहेगा यह चन्द्रग्रहण!

गर्भवती महिलाएं बाहर ना निकलें या ग्रहण के वक्त निद्रा से बचना चाहिये!

- आचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई, दुर्ग (छ.ग.)

मोबाईल नं. 9827198828 


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