'बगुला-पंख-धारी' नेता कहते हैं, स्वच्छता रुपी मोदी जी का 'भारतीय हंस' कहीं दीख नहीं रहा ??
बगुलाधारी नेताजी आपका सवाल बिल्कुल सही है, आपकी मानसिकता बगुले की है तो 'हंस' आपको दिखेगा कहां से ! मित्रों मैं भिलाई में रहता हुं, यहां निगम की और निगम के बेबस पार्षदों की तो हालात से भलिभांति परिचित हुं, यह तो अभी 'बगुला' भी नहीं बन पायें हैं, तो 'हंस' बनना तो ख़याली पुलाव होगा, क्योंकि हमारे यहां के महापौर जी पिछले वित्तीय वर्ष में 'आम बजट पेस' ही नहीं कर पाये, जिसका पूरा लाभ आकण्ठ भ्रष्टाचार रुपी तलैया में डूबे कुछ अधिकारियों की मौज हो गई है ! खैर, 'स्वच्छता' के सर्वेक्षण के नाम पर भारत के विभिन्न शहरों में हो रही 'वोटिंग' मात्र 'स्वच्छता के नाम पर ठेंगा' है ! जैसे हमारे घर के पास जो नाली है वह पिछले 6 माह पूर्व साफ हुआ था, हां झाड़ू कल जरुर लगा, अलबत्ता मुठ्ठी भर कुछ नेताओं के यहां तो सुबह-शाम साफ-सफाई जरुर होता होगा, वह अलग विषय है ! लेकिन बात बात में 'मोदी जी के स्वच्छता अभियान पर तंज भी यही लोग कसते हैं तब दु:ख होता है !
'अधिकारियों' द्वारा सर्वेक्षण के नाम पर केवल 'कागद-पूर्ति' ही बहुत सफाई से हो रही हैं,जैसे मनरेगा मे होता रहा है !
जबकी धरातल पर दृश्य कुछ और ही है !
हां, उन 'अस्वच्छ कोरमपूर्ति-कर्ता-अधिकारियों' से कहीं कम, हम भारत के आमजन भी कम 'अस्वच्छ' नहीं है, तभी तो 'स्वच्छता' जैसे कार्य के लिये सरकारों को एड़ी चोटी दम लगाना पड़ रहा है ! अरे धन्य हों भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी उन्होंने देश के मुखिया होने के बावजूद 'इस सरकारी काम' को आम लोगों से जोड़कर 'स्वच्छता-जनअभियान' तो बनाया, लेकिन इस पर 'राजनीति की गुगली करने वाले कुछ मोदी विरोधी 'बगुला-पंख-धारी' नेताओं द्वारा भारत के पीएम को ही जिम्मेदार ठहराने में लगे हुए हैं !
- आचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें