गर्भ उपनिषद में छिपा है किन्नरों की उत्पत्ति का राज
सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से भारत का इतिहास बेहद विस्तृत है। पौराणिक आख्यानों से इतर यहां बहुत से ऐसे भी ग्रंथ हैं, जो व्यक्ति को नैतिक और सामाजिक दोनों ही तरीकों से सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।भारतीय महर्षियों और संतों ने बहुत से ऐसे ग्रंथों की रचना की है जो आज सैकड़ों-हजारों वर्षों बाद भी वैयक्तिक जीवन के लिए लाभकारी हैं।
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ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे
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शनिवार, 16 दिसंबर 2017
गर्भ उपनिषद में छिपा है किन्नरों की उत्पत्ति का राज
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