मित्रों, आज रुप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी और हनुमान जयंती एवं दारिद्र्य-खेदन आदि पर्व है, इस अवसर पर आज विशेष तौर पर आप सभी सनातनी श्रृंगारवती माताओं बहनों को रुप चतुर्दशी पर्व पर अनंत शुभकामनाएं ! एवं उन हर भारतीय आर्य नारियों, जनन कर्त्री जननियों जो समय समय पर १६ श्रृंगार करती हों उनको आचार्य पण्डित विनोद चौबे (9827198828) की ओर से सादर प्रणाम !!
साथियों, आज कार्तिक कृष्ण चौदस को यदि माताएं उबटन लगाकर स्नान करती हुई सोलह श्रृंगार करती हैं तो उनके पकियों की उम्र में वृद्धि होती है, आपने देखा होगा विश्व का एक ऐसा धर्म है जो बहुत तेजी से धर्मांतरण कराकर संक्रमण रोग की भांति हमारे भारतीय लोगों को आगोश में लेने बेताब है, इस धर्म से जुड़ीं महिलाओं को आपने देखा होगा, ये लोग कोई श्रृंगार नहीं करतीं, सिन्दूर तो बिल्कुल भी लगातीं है, तो इन महिलाओं के पतियों की उम्र या पारस्परिक पति-पत्नि के संबंधो की विश्वसनियता न के बराबर होता है, तभी तो इनके संतानों को ठीक ठीक अपने पिता का नाम भी पता नहीं होता ! तो मेरे देश की सनातनी श्रृंगारवती माताओं आप अपने पति के समक्ष श्रृंगार करके अवश्य उपस्थित हों ताकि आपके पति की आयु और प्रेम में वृद्धि हो सके ! कुल मिलाकर हमारे भारतीय संस्कृति में श्रृंगार का विशेष महत्व है मैं पुन: किसी अन्य आलेख में विस्तृत चर्चा करुंगा ! लेकिन आज के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, इसलिये नरक चतुर्दशी भी कहते हैं ! आज ही कुछ पौराणिक संदर्भो के मुताबिक दक्षिणेश्वर महाकाल श्री हनुमान जी का जन्म हुआ था ! आज आप लोगों को यम के लिये १४ दीये अवश्य जलाना चाहिये !
अब आईये विस्तृत चर्चा करें हनुमान जयंती पर जो अलग अलग तिथियों में मनायी जाती हैं ! अभी कुछ दिन पूर्व हमारी यात्रा दक्षिण भारत के बेंगलोर की हुई थी बेंगलोर के हृदय स्थल में स्थित हनुमान जी की ३५ फीट उंची भव्य प्रतिमा जहां बाद में एक मस्जिद का भी निर्माण करा दिया गया है, वहां हमने कुछ मंदिर के पुजारियों के द्वारा बताया गया कि दक्षिण भारत में मार्गशीर्ष माह के मूल नक्षत्र मे हनुमान जयंती मनायी जाती है, वहीं अपने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश आदि तटवर्ती प्रदेशों में चैत्र शुक्ल पुर्णिमा को हनुमान जयंती मनायी जाती है, किन्तु इससे अलग वाराणसी यानी काशी प्रक्षेत्र में आज कार्तिक कृष्ण चौदश को ही भोर में हनुमान जयंती मनायी जाती है ! हमको याद है कि हम लोग बीएचयू मे स्थित रुईया हॉस्टल से नरीया गेट से भगवान पुर वाले जंगल होते हुए संकटमोचन हनुमान मंदिर प्रसाद खाने पहुंच जाते थे ! वहां शुद्ध देशी घी का लड्डू और पेंड़ा तो मानों आज भी बरबस खिंचता है ! ज्ञात हो कि इस हनुमान जी के प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया था!
(कल आप लोगों को दीप पर्व से जुड़ीं कुछ अहम बातें बताउंगा साथ ही शुभ मुहूर्त भी, अधिक जानकारी के लिये आप मुझसे संपर्क करें आचार्य पण्डित विनोद चौबे, मोबाईल नं. 9827198828, भिलाई)
http://ptvinodchoubey.blogspot.in/2017/10/blog-post_17.html?m=1
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