ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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रविवार, 1 अक्तूबर 2017

संभल जाओ 'राहुल ' जी, नहीं जनता थाईलैण्ड का मसाज कर दे

आज के 68 साल पहले जब आधी दुनिया सो रही थी, तब एक आदमी ने भारत के प्रधानमन्त्री के रूप में तिरंगा लहराया था। उनका नाम था जवाहरलाल नेहरू। मेरे बाबा पक्के कांग्रेसी थे। गर्व से बताते की नेहरू के पिता मोतीलाल जी ने विलायत के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, जिसमे नेहरूजी पढ़ते थे। उसके तीन गेट थे। तीनो गेट पर कार खड़ी रहती थी। नेहरू जी की इच्छा, जिस गेट से निकल जाये। कार खड़ी मिलेगी। आप लोग ये भी याद रखिये, ये लगभग 1930 की बात होगी। जबकि भारत के आजाद होने के बाद 1970 तक गरीब किसान को भरपेट भोजन नहीं मिलता था। बाबा बताते थे की जब उस समय गेहू की दौवरि बैल से की जाती थी। बैल दौवरी करते समय गेंहू खा लेते थे। उनका गोबर गॉव के गरीब लोग उठा कर ले जाते थे। उस गोबर को लोहे की चलनी में रख कर पानी से धोते थे। गोबर बह जाता था और चलनी में बैल का खाया हुआ गेंहू साबुत रह जाता था। उस गेहू को सुखा कर, पीस कर लोग इस्तेमाल करते थे। यूपी, बिहार के रहने वाले लोग अपने बूढ़ पुरनीया से पूछ कर कंफर्म हो सकते है।
चाचा नेहरू लेडी माउंटबेटन पर माउंटिंग करते इतने बेख्याल हो गये की चाइना चढ़कर सियाचिन हड़प लिया। उस पर ठरकी चाचा बोले की सियाचिन का क्या अफ़सोस करना ? वहाँ तो घास का तिनका तक नहीं उगता।
एक वह प्रधानमंत्री थे। वह जन्मजात राजा थे। चांदी का चम्मच मुँह में ले के पैदा हुए थे। और एक ये प्रधानमन्त्री है, नरेंद्र मोदी। इनके बचपन में इनकी माँ लोगो के घरो में जुटे बर्तन माँजती थी। अब गलती से प्रधानमंत्री बन गये तो सूट क्यों पहन लिया ?चाचा नेहरू के नाती कहते है की ये सूट बूट की सरकार है। उनको एक गरीब माँ के बेटे का सूट पहनना बर्दास्त नहीं है। इसके पीछे क्या मानसिकता है ? यही न की हम राजा के नाती,पनाती है ? ई बर्तन माँजने वाली का बेटा कैसे राजा बन गया ?
युवराज जी, ये जनता है। सब जानती है। जिसको मन में आयेगा उसको राजा बनायेगी। जो मन से उतर जाएगा, उसका थाईलैंड का मसाज करवा देगी...?

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