कुरूद रोड कोहका भिलाई स्थित दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर 'सुन्दरकाण्ड' के 'सुन्दर' के शब्द का रहस्योद्घाटन.......
(श्री शिवनारायण प्रजापति एवं श्री नोहर यादव से आध्यात्मिक चर्चा )
*अन्तर्नाद* के सभी साथियों को गुरु पुर्णीमा के पूर्व प्रभात की मंगल कामनाओं सहीत श्री हनुमान जी महाज के 'सीता खोज'' में छुपे कुछ रहस्यों को समझने का प्रयास करते हैं..
बात २००६ के अप्रैल मांह की है, छत्तीसगढ के भिलाई स्थित कुरूद रोड मे श्री दक्षिणेश्वर यानी दक्षिणमुखी हनुमान जी का सिद्ध मंदिर है, वहां बैठकर कुछ प्रबुद्ध जनों के बीच श्री हनुमद चर्चा चल रही थी..उसी समय श्री शिवनारायण प्रजापति एवं श्री नोहर यादव जी ने प्रश्न किया कि -गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में सात सोपानों के अलग अलग घटना स्थल, मुख्य पात्र, या आध्यात्मिक वैशिश्ट्यपूर्ण कथाप्रसंगों के आधार पर सोपानों के नाम रखे लेकिन.आचार्य जी सुन्दरकाण्ड का नाम 'सुन्दर' क्यों रखे ? कृपया इस रहस्य को विस्तृत समझायें !
मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई और मैंने उन दोनों हनुमद् भक्तों श्री शिवनारायण प्रजापति एवं श्री नोहर यादव जी को इस गूढ़ रहस्य के बारे में विस्तृत विषय-वस्तु को आप सभी के समक्ष रख रहा हुं......
भगवान हनुमानजी, माता सीता की खोज में लंका गए थें और लंका ''त्रिकुटाचल'' पर्वत पर बसी हुई थी। "त्रिकुटाचल" पर्वत मतलब 3 पर्वत यानी लंका में तीन पर्वत थें। पहला "सुबैल" पर्वत, जहां कें भूमि में युद्ध हुआ था। दुसरा " नील " पर्वत, जहां पर राक्षसों कें महल बसें हुए थें । और तीसरा पर्वत "सुंदर " पर्वत,जहां अशोक वाटिका स्थित थी। इसी अशोक वाटिका में हनुमानजी की माता सीता से भेंट हुई थी ।सुंदरकाण्ड की यहीं सबसें प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका सुंदरकाण्ड नाम सुंदरकाण्ड रखा गया है ।
-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, सड़क-26, हाऊस नं. 1299, शांतिनगर, भिलाई, जिला - दुर्ग (छ.ग.)
मोबाईल नं.9827198828
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