महिमा रुद्राक्ष की......
रुद्राक्ष मे स्पदंन होता है। जो व्यक्ति को बाहरी/नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। रुद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते हैं उसे धारण नहीं किया जाना चाहिए एवं रुद्राक्ष को अंगूठी में नहीं जड़ाना चाहिए। रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 21-मुखी तक होते हैं, जिन्हें अलग-अलग प्रयोजन के लिए पहना जाता है। जैसे.....
'एक मुखी रुद्राक्ष - एक मुखी रुद्राक्ष सतारुढ़ ग्रह सूर्य है अत: जन्मपत्री मे सूर्य के शुभ फलों की प्राप्ति तथा सूर्य की अनुकूलता हेतु इसे धारण किया जाता है। यह आध्यात्मिकता का प्रकाशक बनकर मुक्ति का मार्ग प्रश्स्त करके अकाल मुत्यु दोष को भी समाप्त करता है। नेत्रों, सिरदर्द, हृदय रोग, नजर दोष, उदर संबंधी रोग, स्नायु रोग, अतिसार से संबंधित रोगों को दूर करने में एक मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होता है।
'दोमुखी रुद्राक्ष' - दोमुखी रुद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गया है। इसके धारक का क्षेत्र में सम्मान बढ़ता है, रूप, सौंदर्य एवम वाक्शक्ति की वृद्धि करता है। पति पत्नी के आपसी मतभेदों को कम करके ग्रहस्थ सुख की बढ़ोतरी करता है। इसके धारण से भूत प्रेत की बाधा भी दूर होती है। दो मुखी रुद्राक्ष भगवान चन्द्र देव के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसके धारण करने से मन में चन्द्रमा की चांदनी जैसी शीतलता प्रदान होती है।
'तीनमुखी रुद्राक्ष' - तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना गया है। जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को भी शुद्ध कर देती है उसी प्रकार अग्नि का स्वरुप होने के कारण यह रुद्राक्ष शरीर को शुद्ध करने में सहायक होता है। जिस व्यक्ति का मन किसी काम में ना लगता हो या जीवन जीने का आनन्द समाप्त हो चुका हो, शरीर किसी न किसी प्रकार के बुखार से पीड़ित रहता हो, भोजन खाने पर पेट की अग्नि मंद होने के कारण से भोजन के ना पचने के रोग में यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभदायक साबित होता है। नौकरी करने वाले और पेट से सम्बंधित कष्ट पाने वालों के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायक है।
'चारमुखी रुद्राक्ष' - चार मुखी रुद्राक्ष सीधे रूप से ब्रह्मा जी का स्वरुप है। इस रुद्राक्ष को ह्रदय प्रदेश से स्पर्श होते ही मनुष्य का मन धार्मिक हो जाता है और कई प्रकार के आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है। चार मुखी रुद्राक्ष संतान प्राप्ति में भी सहायता करता है और वाणी में मिठास और दूसरों को अपना बनाने की कला व्यक्ति के अन्दर उत्पन होती है।
'पांचमुखी रुद्राक्ष' – मन के रोगों को दूर करके मानसिक तौर पर स्वस्थ करने में यह रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करता है। बढती आयु में जब समृधि का नाश होने लगता है और व्यक्ति अपने अर्जित ज्ञान को भूलने लगता है उस समय पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से सभी परेशानियों में सफलता मिलनी प्रारंभ हो जाती है। ब्रहस्पति देव पांच मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इसको धारण करने से ब्रहस्पति देव की कृपा भी प्राप्त होती है।
'छहमुखी रुद्राक्ष'- छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है। यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है। भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है।
'सातमुखी रुद्राक्ष' - सात मुखी रुद्राक्ष को कामदेव का स्वरुप पाने वाला यह रुद्राक्ष अनन्त नाम से जाना गया है। ऐसे मनुष्य जिनका भाग्य उनका साथ नहीं देता और नौकरी या व्यापार में अधिक लाभ नहीं होता ऐसे जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसके धारण से धन का अभाव व् दरिद्रता दूर होकर व्यक्ति को धन, सम्पदा, यश, कीर्ति एवं मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है। ग्रन्थों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव माना गया है इसलिए जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हों या जोड़ो के दर्द और सेक्स बीमारी से परेशान हों उनके लिए यह शरीर में सप्त धातुओं की रक्षा करता है और शरीर के मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करता है।
'आठमुखी रुद्राक्ष' - आठ मुखी रुद्राक्ष भैरोदेव का स्वरुप माना गया है। यह रुद्राक्ष के धारण करने से उच्च पद की प्राप्ति व् मन की एकाग्रता में सुधार होता है। यह रुद्राक्ष ऋद्धि सिद्धि दायक है।
'नौ मुखी रुद्राक्ष' - नौ मुखी रुद्राक्ष माँ भगवती की नौ शक्तियों का प्रतीक माना गया है। माँ भगवती की असीम अनुकम्पा नौ मुखी रुद्राक्ष पर होने से यह कवच का काम करता है। महाशिवपुराण के अनुसार देवी दुर्गा का स्वरुप होने के कारण से विशेष कर महिलाओं के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत उपयोगी है। इसके धारण से इच्छा शक्ति प्रबल होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
'दस मुखी रुद्राक्ष'- दस मुखी रुद्राक्ष साक्षात रूप से भगवान विष्णु का स्वरुप माना गया है। दस रुद्रों का आशीर्वाद होने के कारण से भूत प्रेत, डाकिनी शाकिनी, पिशाच व् ब्रह्म राक्षस जनित ऊपरी बाधाएं व् जादू टोने को दूर करने में सहायक होता है। तंत्र मंत्र की साधना करने वाले साधकों के लिए यह रुद्राक्ष अति उत्तम माना गया है।
बाजार मे रुद्राक्ष की जगह भद्राक्ष भी मिलते है। भद्राक्ष का पेड़ उत्तर प्रदेश, बिहार और आसपास के क्षेत्रों में बहुतायत में होता है। पहली नजर में यह बिलकुल रुद्राक्ष की तरह दिखता है। देखकर आप दोनों में अंतर बता नहीं सकते। अगर आप संवेदनशील हैं, तो अपनी हथेलियों में लेने पर आपको दोनों में अंतर खुद पता चल जाएगा। भद्राक्ष जहरीला होता है, इसलिए इसे शरीर पर धारण नहीं करना चाहिए। वर्ना कुछ दिनों मे शरीर मे एलर्जी हो जाती है!
ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- "ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई mobil. No.9827198828,
(परामर्श सशुक्ल है, और फोन पर ज्योतिषीय परामर्श नहीं दिया जाता)
🕉🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏🕉
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें