चीन के 'भीतरघाती-शौर्य' का वर्णन करने वाले 'जयचंदो' ..तुम लोग ये समझ जाओ हमारे देश की सवा सौ करोड़ जनता 'महाराणाप्रताप' है......
लानत है हमारे देश की कुछ डरपोक मीडिया जो आये दिन चीन के भीतरघाती शौर्य का प्रदर्शन करने के लिये मानो इन लोगों को बड़ी धनराशि सी जिनपिंग ने मुहैया कराई हो ! कथित तौर पर अरे चीन परश्त बिकाऊ मीडिया चिन्ता मत करो 1962 मे चीन ने भारत के पीठ में छुरा घोंपने काम किया वो भी इसलिये की उस समय तुम्हीं लोग कर्ण के सारथी साम्ब की भांति चीन के भीतरघाती शौर्य का इतना गुणगान करके ऐसा माहौल बनाया की हमारे देश के तात्कालिन नेतृत्व का मनोबल गिर गया जैसा की कर्ण जैसा महारथी के सारथी साम्ब ने बार बार अर्जुन के शौर्य का गुणगान करके कर्ण जैसे महारथी का मनोबल गिराने का काम किया था....ठीक उसी तरह आज साम्ब की भूमिका में हमारे देश की कुछ चीन परस्त बिकाऊ मीडिया बार बार ड्रैगन का चित्र स्क्रीन पर लगाकर चीन के पास ये है, वो है, फलाना है, ढिमका है..और वहीं चीन की मीडिया बतौर जीनपिंग की प्रवक्ता 1962 वाले हालात कर देने की भारत को धमकी दे रहा है...लेकिन 1962 की हालात कुछ और थी आज के हालात कुछ और है क्योंकि उस समय बात ''चीनी चीनी भाई भाई' की बात करके पीठ में छुरा घोंपा और हमारी मीडिया लगातार ''पीठ'' की चर्चा करती रही लेकिन आज दौर बदला है वक्त ने करवट ले ली है, आज चर्चा ''पीठ की नहीं 56 ईंच की सीना की होती है'' हमारे देश की सेना और नेतृत्व 1962 में भी सशक्त व सक्षम थी और आज तो और सशक्त व विदेश नीति सफलता के पायदान पर खड़ा होकर दिमक की मान में छुपे ड्रेगन को ललकार रही है..कैलाश मान सरोवर मार्ग को अवरुद्ध करने एवं सिक्किम में कायरों सरीखे एलओसी पर चहलकदमी और भारतीय होने का स्वांग रचने वाले कुछ चाईना परश्त मीडिया रुपी जयचंदों के माध्यम से अपने ''भीतरघाती - शौर्य '' का प्रदर्शन मत करो...भारत के सवा सौ करोड़ महाराणाप्रताप जैसे यहां के देशभक्त नागरीकों से ही निपट लो जब बचोगे तब ना हमारी सेना से लड़ोगे.अब हम भारतीयों भरसक प्रयास करना होगा की ''चीनी भाई भाई की जगह चीनी सामानों की विदाई विदाई''
चीन तुम हमारे संयम का परीक्षा मत लो..आओ जरा भारतीय इतिहास में तुमको ले चलता हुं..जब अफझल खान के आक्रमण के समय छत्रपति शिवाजीमहाराज ने अद्भुत संयम दिखाया था । प्रताप गढ़ के घनेजंगल में उसे घेरने की योजना की । अफझल ने बहुत उकसाने का प्रयत्न किया । उसी प्रकार चीन और पाकिस्तान के उकावे में आकर भारतीय प्रधानमंत्री युद्ध नहीं लड़ने वाले क्योंकि नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में आधुनिक तकनीकि से लैस भारतीय सैन्य बल नौजवान होकर विश्व की सामरिक सम्पन्न व प्रभुत्वशाली देशों की श्रेणी खड़े होकर 'महाशक्ति' बन चुका भारत अब योग के माध्यम से पूरे विश्व में ''विश्व गुरू' बनने का मार्ग अख्तियार कर चुका है, एक टैक्स, एक राष्ट्र की धमक अब विश्व बाजार में भारतीय रुपये की कीमत बढी है...ऐसे में हे ड्रेगन भक्त चीन तुम देवी भक्त भारत को युद्ध के लिये मत उकसाओ !
हे चीन तुम्हे पुन: महाराज शिवाजी की ओर ले चलता हुं.....जब अफझल नें कीकलदेवी तुलजा भवानी का मंदिर भी तोड़ दिया । पर महाराज डिगे नहीं । 'वॉच एण्ड वेट' प्रतीक्षा करते रहे सही समय और अवसर की ! समय आने पर अफझल की बलि माता को देने के बाद सब भग्न मंदिरों का जीर्णोद्धार किया । ये तो अच्छा ही था कि उन दिनों २४ घंटे बकबक करने वालेख़बरिया चैनल भी नहीं थे और घर बैठे रणनीति बखारने हेतु सामाजिक माध्यम भी नहीं थे । आज भी हमें हमारी सेना पर विश्वास रखने की आवश्यकता है । पिछले कुछ दिनों से वोटबैंक ने कुछ नेताओं को इस कदर अंधा किये है कि इन लोगों ने जयचंदों की भांति अपनी ही सेना पर ''शब्द बांण'' खूब हमले किये हैं...जो दु:खद तो है ही भारतीय जनमानस आक्रोशित भी है ! खैर, जैसे शिवाजीमहाराज ने अपने समय पर अपने द्वारा तय स्थान परकार्यवाही की वही बात तो हमारे सेनानायक ने कही, ”मुँहतोड़ जवाब देंगे । और 'सर्जिकल स्ट्राईक ' करके जता भी दिया है...बाकि ऐसे असंख्य उपलब्धियां हमारी सेना ने की है! पर समय भी हम तय करेंगे औरस्थान भी ”
आज सोशल मिडिया के युग में हम जैसे देशभक्तों को भी इन मामलों में संयम रखने की आवश्यकता है। भावुकता में आकर इतना ऐसा गलत बयानी ना करें जिससे 'वैश्विक कूट नीति' पर बुरा असर पड़ने से भारत प्रभावित हो! हमको निश्चित रूप से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्तकरना चाहिए। लेकिन भावनाओं को अभिव्यक्त करतेसमय हमारे सैनिकों के बलिदान के कारण आक्रमणकारीउन कायरों के विरुद्ध अपना पराक्रम होना चाहिए।नक्सलवादियों के ऊपर हमारा आक्रोश होना चाहिए । नक्सलवाद को दूर से, वैचारिक रूप से, बौद्धिक रूप सेसंबल प्रदान करनेवाले कम्युनिस्टों को, बाहर देश से उन्हेंपैसा देनेवाले ISI और चीन के विरुद्ध हमारा आक्रोशहोना चाहिए। ना कि हमारी सेना, CRPF, रक्षामंत्री,गृहमंत्री, मुख्यमंत्री या हमारे प्रधानमंत्री के विरुद्ध । हमारा आक्रोश शत्रु के विरुद्ध हो, अपनों के विरुद्ध ना होयह संयम हमको अपने मन में रखना पड़ेगा। पाकिस्तानके विरुद्ध हम बात करें । आज की मोदी सरकार रबर स्टेम्प की सरकार नहीं बल्कि पूर्ण बहुमत वाली सशक्त व कठोर निर्णय लेने वाली सरकार है इस सरकार ने कईयों बार हर मोर्चे पर विरोध और जवाब देने के अलावां समयानुसारसकठोर कार्वाही करके जवाब भी दिया है.. हां विपक्ष को अपनी सरकार पर दबाव बनाये यहतर्क ठीक है। लेकिन आज इस दबाव का ये मतलब नहीं की सवा सौ करोड़ भारतीय लोगों का चुना हुआ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जहां एक ओर इजराईल में मित्रता प्रगाढ करने का काम कर रहे थे वहीं छुट्टी से वापस भारत लौटे एक नेता मोदी जी को 'कमजोर नेता' बताकर सत्तावापसी की जमीन ढूंढ रहे हैं जो किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है!
- पण्डित विनोद चौबे, संपादक 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांतिनगर, भिलाई, जिला - दुर्ग (छ.ग.)
मोबाईल नं. 9827198828
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