संपादकीय...
'नीतीश' की घर वापसी, तो हुई 'विचार वापसी' हुई क्या..? या यह ''नौटंकीबाज मिलन" है....
इश़रत जहां को बिहार की बेटी कहने वाले नीतीश जी की घर वापसी से उनके विचारों में बदलाव आये या नहीं..? घर वापसी के बाद 'नीतीश बाबू' की अन्तरात्मा 'इश़रत जहां' को लेकर क्या बोल रही है..? सवाल तो बनता है....! मेरे खयाल से बिहार में भाजपा को भारी क्षति पहुंचेगा...यह मेरा व्यक्तिगत राय है...
खैर, २०१९ के 'महाविजय' के 'विजयरथ' को कोई रोक नहीं सकता.लेकिन भाजपा को नीतीश कुमार जैसे 'गिरगिटों' से सावधान रहना इनका बहुत कच्चा रंग है
क्योंकि... जिनके सिद्धांत निर्जीव पाषाणवत् यानी काल के गाल में समाया हुआ पर्वतीय चट्टान हो गया हो, वह आज नहीं तो कल 'पाषाणावरोध' करेगा ही.... क्योंकि अभी यही नीतीश पिछली सरकार में 'भाजपा' के विधायकों को ही फोड़कर 'मोदी जी के बतौर पीएम प्रोजेक्ट कराने व स्वयं पीएम के लिये नाम उछालने के लिये भारी भरकम की राजस्व से मीडिया मैनेज कर विरोध कराया था'.....
सच्चाई और जमीनी हकीकत तो यह है कि इस बार नीतीश+लालू सरकार तीन साल तक विकास के नाम पर केवल धांधली, गुंडई के अलावां कुछ नहीं किये है.... यह बहुत अच्छा मौका था बिहार मे भाजपा को स्वयं के पैरों पर खड़ा होने का.. और कार्यकर्ताओं को पुनर्जागृत करने का ! आज जो स्वतंत्रता बीजेपी कार्यकर्ताओं को काम करने के लिये मिली थी वह लगभग विखराव और भटकाव की ओर जायेगा..
कुल मिलाकर 'सहानुभूति से पूरा वोट लालू ले जायेगा, और जेडयू +बीजेपी आपस में वर्चस्व की लड़ाई लड़कर अपना वजूद खत्म करेंगे...बिहार बीजेपी के कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं........
कुल मिलाकर यह ''नौटंकीबाज मिलन'' है
भाजपा को आयातित नेताओं और कुछ कथित ''गिरगिटों'' से सावधान रहना चाहिये....और जो बीजेपी के लिये जन्मत: से वरिष्ठता की पड़ाव तक झंडा, बैनर उठाने से लेकर आम सभाओं में दरी बिछाने वाले कार्यकर्ता है उनका अपेक्षित नहीं तो कम से कम बिहार के जदयू नेताओं के दर पर भटकने ना जाना पड़े!
अब देखिये ना गुजरात में भाजपा की बढ़ती साख़ इस बात का गवाह है कि कल ही तीन कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा देकर अहमद पटेल (कांग्रेस) राज्यसभा में पहुंचना नामुमकीन है, शंकर सिंह बाघेला पहले ही कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं! क्या बिहार में भी यूपी और गुजरात की परिकल्पना इस ''नौटंकीबाज मिलन'' से पूरी हो सकती है ? या बिहार राज्य में.. यूपी और गुजरात के बीजेपी जनाधार की कल्पना ''दिन में तारे जमीं पर'' की कल्पना मात्र है !
-पण्डित विनोद चौबे, संपादक- ''ज्योतिष का सूर्य'' भिलाई !
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