छत्तीसगढ़ राज्य सरकार संस्कृत के विषय में कितना गंभीर
मित्रों कल मैं.. छत्तीसगढ़ विधान सभा के अध्यक्षीय दीर्घा में बैठा था । वहां महंत जी ने संस्कृत पर अपनी मांग रखते हुए विधान सभा अध्यक्ष जी से कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रत्येक जिलों में संस्कृत विद्यालय खोलने की बात कही जा रही है लेकिन इन संस्कृत विद्यालय के छात्र पढ़ कर निकलने के बाद करेंगे क्या...इन संस्कृत के छात्रों को बतौर प्रथमिकता के आधार पर प्रदेश के सभी स्कूल व कालेजों में संस्कृत विषय पढ़ने के लिए पो रहे नियुक्ति में इनको प्राथमिकता देना चाहिए..
लेकिन उनके इस मांग को सम्बंधित मंत्री ब्रृजमोहन अग्रवाल ने गम्भीरता से लिया लेकिन पंचायत ग्राम विकास मंत्री रामविचार नेताम ने मजाक के तौर पर लेकर कोई तवज्जों नही दिया वहीं बाद मे पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी महंत श्यामसुन्दर दास जी का समर्थन किया।
ज्ञात हो कि विधान सभा परिसर में साँची के स्थान पर देवभोग के नामाकरण के कार्यक्रम में मान.मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कामधेनु विश्व विद्यालय खोले जाने का घोषणा भी कर दिये लेकिन संस्कृत विश्व विद्यालय के बारे मे तो दूर अभी -अभी कुछ दिन पूर्व संस्कृत शिक्षा बोर्ड के चेयर मेंन की नियुक्ति हुयी है इसके पहले सचिव डॉ.सुरेश शर्मा जी ही कार्य-भार देखते थे।
ऐसे मे सवाल यह उठता है कि राज्य सरकार संस्कृत के विषय में कितना गंभीर है।
सरकार द्वारा दूध, दही आदि को गो-पालन की संजीदगी दिखाते हुए राज्य में कामधेनु विश्वविद्यालय खोलना स्वागतेय है परन्तु संस्कृत के प्रति ऐसे ही कठोर कदम उठाए जाना बेहद आवश्यक है।
मित्रों कल मैं.. छत्तीसगढ़ विधान सभा के अध्यक्षीय दीर्घा में बैठा था । वहां महंत जी ने संस्कृत पर अपनी मांग रखते हुए विधान सभा अध्यक्ष जी से कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रत्येक जिलों में संस्कृत विद्यालय खोलने की बात कही जा रही है लेकिन इन संस्कृत विद्यालय के छात्र पढ़ कर निकलने के बाद करेंगे क्या...इन संस्कृत के छात्रों को बतौर प्रथमिकता के आधार पर प्रदेश के सभी स्कूल व कालेजों में संस्कृत विषय पढ़ने के लिए पो रहे नियुक्ति में इनको प्राथमिकता देना चाहिए..
लेकिन उनके इस मांग को सम्बंधित मंत्री ब्रृजमोहन अग्रवाल ने गम्भीरता से लिया लेकिन पंचायत ग्राम विकास मंत्री रामविचार नेताम ने मजाक के तौर पर लेकर कोई तवज्जों नही दिया वहीं बाद मे पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी महंत श्यामसुन्दर दास जी का समर्थन किया।
ज्ञात हो कि विधान सभा परिसर में साँची के स्थान पर देवभोग के नामाकरण के कार्यक्रम में मान.मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कामधेनु विश्व विद्यालय खोले जाने का घोषणा भी कर दिये लेकिन संस्कृत विश्व विद्यालय के बारे मे तो दूर अभी -अभी कुछ दिन पूर्व संस्कृत शिक्षा बोर्ड के चेयर मेंन की नियुक्ति हुयी है इसके पहले सचिव डॉ.सुरेश शर्मा जी ही कार्य-भार देखते थे।
ऐसे मे सवाल यह उठता है कि राज्य सरकार संस्कृत के विषय में कितना गंभीर है।
सरकार द्वारा दूध, दही आदि को गो-पालन की संजीदगी दिखाते हुए राज्य में कामधेनु विश्वविद्यालय खोलना स्वागतेय है परन्तु संस्कृत के प्रति ऐसे ही कठोर कदम उठाए जाना बेहद आवश्यक है।
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