ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

!!विशेष सूचना!!
नोट: इस ब्लाग में प्रकाशित कोई भी तथ्य, फोटो अथवा आलेख अथवा तोड़-मरोड़ कर कोई भी अंश हमारे बगैर अनुमति के प्रकाशित करना अथवा अपने नाम अथवा बेनामी तौर पर प्रकाशित करना दण्डनीय अपराध है। ऐसा पाये जाने पर कानूनी कार्यवाही करने को हमें बाध्य होना पड़ेगा। यदि कोई समाचार एजेन्सी, पत्र, पत्रिकाएं इस ब्लाग से कोई भी आलेख अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क कर अनुमती लेकर ही प्रकाशित करें।-ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे, सम्पादक ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका,-भिलाई, दुर्ग (छ.ग.) मोबा.नं.09827198828
!!सदस्यता हेतु !!
.''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के 'वार्षिक' सदस्यता हेतु संपूर्ण पता एवं उपरोक्त खाते में 220 रूपये 'Jyotish ka surya' के खाते में Oriental Bank of Commerce A/c No.14351131000227 जमाकर हमें सूचित करें।

ज्योतिष एवं वास्तु परामर्श हेतु संपर्क 09827198828 (निःशुल्क संपर्क न करें)

आप सभी प्रिय साथियों का स्नेह है..

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

माघ और पौष माह में क्यों नहीं होता "पुरुषोत्तम मास" या "अधिकमास" अर्थात "मलमास" 

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक तीन वर्ष पर आने वाला अधिक मास !!

वर्ष २०१५ में यह मलमास१६ जून २०१५ से १७ जुलाई२०१५ तक था। इस वर्ष यह मलमास १६ जून २०१८ से १३ जुलाई २०१८ तक है।

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 12 महीने होते हैं,लेकिन क्या आप को पता है कि हिंदुओं की मान्यता के अनुसार प्रत्येक तीन साल में एक साल 13 महीनों का होता है ? आपको यकीन भले न हो, लेकिन यह सत्य है। हर तीसरे साल जो तेरहवां महीना आता है,उस महीने को मलमास कहा जाता है। अंग्रेजी में इस माह का जिक्र नहीं है,लेकिन हिंदुओं की मान्यता के अनुसार एक माह मलमास का होता है।

अब आईए आपको इस विषय पर विस्तृत जानकारी देते हैं -

पौराणिक भारतीय ग्रंथ वायु पुराण के अनुसार मगध सम्राट बसु द्वारा बिहार के राजगीर में 'वाजपेयी यज्ञ' कराया गया था। उस यज्ञ में राजा बसु के पितामह ब्रह्मा सहित सभी देवी-देवता राजगीर पधारे थे। यज्ञ में पवित्र नदियों और तीर्थों के जल की जरूरत पड़ी थी। कहा जाता है कि ब्रह्मा के आह्वान पर ही अग्निकुंड से विभिन्न तीर्थों का जल प्रकट हुआ था। उस यज्ञ का अग्निकुंड ही आज का ब्रह्मकुंड (राजगीर,बिहार) है। उस यज्ञ में बड़ी संख्या में ऋषि-महर्षि भी आए थे।

पुरुषोत्तम मास,सर्वोत्तम मास में यहां अर्थ,धर्म,काम और मोक्ष की प्राप्ति की महिमा है। किंवदंती है कि भगवान ब्रह्मा से राजा हिरण्यकश्यपु ने वरदान मांगा था कि रात-दिन,सुबह-शाम और उनके द्वारा बनाए गए बारह मास में से किसी भी मास में उसकी मौत न हो। इस वरदान को देने के बाद जब ब्रह्मा को अपनी भूल का अहसास हुआ,तब वे भगवान विष्णु के पास गए।

भगवान विष्णु ने विचारोपरांत हिरण्यकश्यपु के अंत के लिए तेरहवें महीने का निर्माण किया। धार्मिक मान्यता है कि इस अतिरिक्त एक महीने को मलमास या अधिक मास कहा जाता है। वायु पुराण एवं अग्नि पुराण के अनुसार इस अवधि में सभी देवी-देवता यहां आकर वास करते हैं। इसी अधिक मास में मगध की पौराणिक नगरी राजगीर में प्रत्येक ढाई से तीन साल पर विराट मलमास मेला लगता है। इस माह में लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों प्राची,सरस्वती और वैतरणी के अलावा गर्म जलकुंडों, ब्रह्मकुंड,सप्तधारा,न्यासकुंड,मार्कंडेय कुंड,गंगा-यमुना कुंड,काशीधारा कुंड,अनंत ऋषि कुंड,सूर्य-कुंड,राम-लक्ष्मण कुंड,सीता कुंड,गौरी कुंड और नानक कुंड में स्नान कर भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर में आराधना करते हैं। वर्ष भर इन कुंडों में निरंतर उष्ण जल गिरता रहता है। इस जल का श्रोत अज्ञात है !मैं (आचार्य पण्डित विनोद चौबे,9827198828) तो राजगिर नहीं जा पाया हुं परन्तु इस स्थान के निवासी कुछ मित्रों द्वारा मुझे बताया गया की राजगिर में इस अवसर पर भव्य मेला भी लगता है। राजगीर में मलमास के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में दिखती है गंगा-यमुना संस्कृति की झलक। मोक्ष की कामना और पितरों के उद्धार के लिए जुटते हैं श्रद्धालु।

इस माह विष्णु पुराण ज्ञान यज्ञ का आयोजन करके सत्‌,चित व आनंद की प्राप्ति की जा सकती है।

कैसे पहुंचें राजगीर:-
सड़क परिवहन द्वारा राजगीर जाने के लिए पटना,गया,दिल्ली से बस सेवा उपलब्ध है इसमें बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम अपने पटना स्थित कार्यालय से नालंदा एवं राजगीर के लिए टूरिस्ट बस एवं टैक्सी सेवा भी उपलब्ध करवाता है। इसके जरिए आप आसानी से राज‍गीर पहुंच सकते हैं। वहीं, दूसरी तरफ यहां पर वायु मार्ग से पहुंचने के लिए निकटतम हवाई-अड्डा पटना है, जो राजगीर से करीब 107 किमी की दूरी पर है। रेल मार्ग के लिए पटना एवं दिल्ली से सीधी रेल सेवा उपलब्ध है।राजगीर जाने के लिए बख्तियारपुर से अलग रेल लाइन गई है,,जो नालंदा होते हुए राजगीर में समाप्त हो जाती है।

कोई टिप्पणी नहीं: