सोमवारीय सुप्रभात आज बात करेंगे, फलित ज्योतिष में बहुप्रशंसित राजयोग 'गजकेसरी राजयोग' के बारे में !
गजकेसरी योग को असाधारण राजयोग है। यह योग जिस व्यक्ति की कुंडली में पाया जाता है वह जीवन में कभी भी अभाव ग्रस्त नहीं रहता। इस योग मे जन्म लेने वाले व्यक्ति को धन, यश और किर्ति स्वत: खिंची चली आती है। जब कुंडली में गुरु और चंद्र पूर्ण कारक प्रभाव के साथ होते हैं तब यह योग बनता है। लग्र स्थान में कर्क, धनु, मीन, मेष या वृश्चिक हो तब यह कारक प्रभाव के साथ माना जाता है। हालांकि अकारक होने पर भी फलदायी माना जाता है परन्तु यह मध्यम दर्जे का होता है चंद्रमा से केंद्र स्थान में 1, 4, 7, 10 बृहस्पति होने से गजकेसरी योग बनता है। इसके अलावा अगर चंद्रमा के साथ बृहस्पति हो तब भी यह योग बनता है।
'गजकेसरी योग' जैसा ही है 'पारिजात राजयोग'- पण्डित विनोद चौबे
पारिजात योग भी उत्तम योग माना जाता है। इस योग की विशेषता यह है कि यह जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह जीवन में कामयाबी और सफलता के शिखर पर पहुंचता है परन्तु रफ्तार धीमी रहती है यही कारण है कि मध्य आयु के पश्चात इसका प्रभाव दिखाई देता है।
-आचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांति नगर, भिलाई, जिला- दुर्ग (छ.ग.) मोबा. नं. 9827198828
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