!! ऊँ हनुमते नम:!! मंगलवासरीय यथायोग्य आप सभी को नमस्कार/प्रणाम/मंगल आशीष..आईए हनुमानजी के विग्रह रुप का दर्शन करते हुए आज के दिन की शुरुआत करें.
🌹☘🌹☘🌹☘🌹☘
जात: स्यात् सुभग: सुखी, गुणनिधिर्धीरो धार्मिको,
विख्यात: सकल प्रियोsति सुभगो दाता महीशप्रिय: !!
चार्वांग: प्रियवाक्पञ्चरसिको वाग्मी यशस्वी धनी,
विद्यादत्र सुवेसिवास्युभयचर्याख्येषु पादक्रमात् !! - फलदीपिका
अर्थ : जो व्यक्ति 'शुभवेसि' नामक योग में जन्म लेते हैं वह सुन्दर, सुखी, गुणनिधि, धीर, धार्मिक, विख्यात, सर्वजनप्रिय, सुभग, अनेको व्यक्तियों पर राज करने वाला, राजा का प्रिय यानी बड़े ओहदे वाला उच्चाधिकारी होता है, 'पापवेसि योग' में उपरोक्त फलों का परिणाम ठिक विपरित हो जाता है (संबंधित जानकारी के लिये आप संपर्क करें- आचार्य पण्डित विनोद चौबे,9827198828) , मित्रों यह योग केन्द्र व राज्य सरकारों की नीतियों की दशा-दिशा तय करने वाले आईएस अधिकारियों में ज्यादातर देखा गया है, हां इसमें कुछ पापग्रहों के विंशोत्तरी दशा-अन्तर्दशा में प्रतिकूलता भी देखी गई है अत: यह प्रतिकूलता क्षणिक तो होती हैं परन्तु तेज रफ्तार से चल रही गाड़ी में अचानक ब्रेक जैसा ही हानिप्रद होता है अत: उस वक्त जन्मकुण्डली की समीक्षा कराकर 'बगलामुखी पुरश्चरण' या 'मृतसंजिवनी महाविद्या' अथवा 'विपरितप्रत्यंगिरा अनुष्ठान' अधिक उपयुक्त होता है ! (अगले लेख में 'पापवेशि योग' के बारे में बतायेंगे) -आचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक-'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शांति नगर, भिलाई, जिला -दुर्ग (छ.ग.) मोबा. न.9827198828
🚩🚩🌹🌹🚩🚩
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें