ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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रविवार, 17 जुलाई 2011

रूद्राक्ष की महिमा एवं धारण ( एक सम्पूर्ण अध्ययन)

रूद्राक्ष की महिमा एवं धारण ( एक सम्पूर्ण अध्ययन)------------ ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे महाराज 09827198828
भगवान शिव से ही रूद्राक्ष की उत्पत्ति हुयी है लेकिन यह कम लोग जानते हैं कि भगवान शिव के अश्रुपात् से ही  रुद्राक्ष की उत्पति हुयी है। इस  सम्बन्ध में कहा गया है कि एक बार भगवान आशुतोष शंकर जी ने देवताओं एवं मनुष्यो के हित के लिए असुर त्रिपुरासुर का वध करना चाहा और एक सौ वर्षों तक तपस्या को तथा अघोरास्त्र  का चिंतन किया। भगवान के मनोहर नेत्रों से अश्रु (आंसू) गिरे उन्ही अश्रुओं से रुद्राक्ष के महान वृक्षो की उत्पति हुई|
शिवपुराण, लिंगपुराण, एवं सकन्द्पुराण आदि में इस का विशेष रूप से वर्णन मिलता है।
रुद्राक्ष का स्पर्श, दर्शन, उस पर जप करने से, उस की माला को धारण करने से समस्त पापो का और विघ्नों का नाश होता है ऐसा महादेव का वरदान है, परन्तु धारण की उचित विधि और भावना शुद्ध होनी चाहिए|
भोग और मोक्ष की इच्छा रखने वाले चारो वर्णों के लोगों को विशेष कर शिव भगतो को शिव पार्वती की प्रार्थना और प्रसंता के लिए रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए|
आमलकी अर्थात आंवले के फल के सामान रुद्राक्ष समस्त अरिष्टो का नाश करने वाला होता है|
बेर के सामान छोटा दिखने वाला रुद्राक्ष सुख और सौभाग्य कीं वृध्दी करने वाला होता है|
रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करने से अनंत गुना फल मिलता है|
जिस माला में अपने आप धागा पिरोया जाने योग्य छेद हो वह उत्तम होता है,प्रयत्न कर के धागा पिरोया जाये तो वह माध्यम श्रेणी का रुद्राक्ष होता है|
रुद्राक्ष धारण करने का शुभ महूर्त- मेष  संक्रांति ,पूर्णिमा,अक्षय त्रितय,दीपावली,चेत्र शुकल प्रतिपदा,अयन परिवर्तन काल ग्रहण काल,गुरु पुष्य ,रवि पुष्य,द्वि और त्रिपुष्कर योग में रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पापों के शमन के अलावा शत्रुओं का नाश होता है| ज्ञात हो कि देश के शिर्ष पद  बैठने वाली इंदिरा गांधी भी धारण की थीं। जो नेपाल नरेश के द्वार उनको उपहार स्वरूप प्राप्त हुआ  था।
रुद्राक्ष धारण करने की विधि-यदि किसी कारण वश रुद्राक्ष विशेष मंत्रो से धारण न कर सके तो सरल विधि से लाल धागे में पिरो कर गंगा जल से स्नान करा कर “ का जाप कर के चन्दन विल्व पत्र लाल पुष्प ,धुप ,दीप नैवेद्य ,दिखा कर “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धिमिही तन्नो रुद्र:प्रचोदयात्” से अभिमंत्रित कर के धारण करें और यथा शक्ति दान ब्राहमण को देवें।


एक मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप-एक मुखी रुद्राक्ष शिव का स्वरुप है|
लाभ-एक मुखी रुद्राक्ष ब्रहम हत्या आदि पापो को दूर करने वाला है|
मंत्र -एक मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः “मंत्र का जाप कर के धारण करे|
दो मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप-दो मुखी रुद्राक्ष देवता स्वरुप है,पापो को दूर करने वाला और अर्धनारीश्वर स्वरुप है|
लाभ-दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अर्धनारीश्वर प्रस न्न होते है|
मंत्र -दो मुखी रुद्राक्ष को “ॐ नमः “का जाप कर के धारण करे|
तीन मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि स्वरुप है|
लाभ-तीन मुखी रुद्राक्ष हत्या आदि पापो को दूर करने में समर्थ है,शौर्य और ऐश्वर्या को बढाने वाला है|
मंत्र -तीन मुखी रुद्राक्ष को “ॐ क्लीं नमः” का जाप कर के धारण करे|
चतुर्मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- चतुर्मुखी रुद्राक्ष साक्षात् ब्रह्म जी का स्वरुप है,
लाभ-चतुर्मुखी रुद्राक्ष के स्पर्श और दर्शन मात्र से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, की प्राप्ति होती है|
मंत्र -चतुर्मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मन्त्र का जाप कर के धारण करे|
पञ्च मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- पञ्च मुखी रुद्राक्ष पञ्च देवो(विष्णु,शिव,गणेश,सूर्य और देवी)का स्वरुप है|
लाभ- “पञ्च वक्त्रं तु रुद्राक्ष पञ्च ब्रह्म स्वरूपम” इस के धारण मात्र से नर हत्या का पाप मुक्त हो जाता है,इस को धारण करने से काल अग्नि स्वरुप अगम्य पाप दूर होते है|
मंत्र -पञ्च मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः “मंत्र का जाप कर के धारण करे|
छह मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप-छह मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कार्तिकेय स्वरुप है|
लाभ-छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से श्री और आरोग्य की प्राप्ति होती है|
मंत्र- छह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः”मंत्र का जाप कर के धारण करे|”
सप्त मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- सप्त मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कामदेव स्वरुप है|
लाभ-सप्त मुखी रुद्राक्ष अत्यंत भाग्य शाली और स्वर्ण चोरो आदि पापो को दूर करता है|
अष्ट मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- यह रुद्राक्ष साक्षात् साक्षी विनायक देव है|
लाभ-इस के धारण करने से पञ्च पातको का नाश होता है|
इस को “ॐ हम् नमः” मंत्र का जाप कर के धारण करने से परम पद की प्राप्ति होती है!
नवमुखी रुद्राक्ष
इसे भैरव और कपिल मुनि का प्रतीक माना गया है| नौ रूप धारण करने वाली भगवती दुर्गा इस की अधीश्तात्री मानी गई है|
जो मनुष्य भगवती परायण हो कर अपनी बाई हाथ अथवा भुजा पर इस को धारण करता है, उस पर नव शक्तिया प्रसन्न होती है|
वह शिव के सामान बलि हो जाता है इसे”ॐ ह्रीं हुं नमः”का जाप कर के धारण करना चाहये|
दश मुखी रुद्राक्ष
दश मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान जनादन है|
इस के धारण करने से ग्रह, पिशाच,बेताल,ब्रम्ह राक्षस,और नाग आदि का भय दूर होता है|
इसे मंत्र”ॐ ह्रीं नमः”का जाप कर के धारण करना चाहिए|
एकादश मुखी रुद्राक्ष
एकादश मुखी रुद्राक्ष एकादश रुदर स्वरुप है|
शिखा पर धारण करने से पुण्य फल,श्रेष्ठ यज्ञो के फल की प्राप्ति होती है|
एकादश मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं हम् नमः का जाप कर के धारण करने से साधक सर्वत्र विजय होता है|

द्वादश मुखी रुद्राक्ष
द्वादश मुखी रुद्राक्ष महा विष्णु का स्वरुप है|
इस रुद्राक्ष को “ॐ क्रों क्षों रों नमः”का जाप कर के धारण करने से साधक साक्षात् विष्णु जी को मही धारण करता है|
इसे कान में धारण करने से द्वादश आदित्य भी प्रस्सन होते है|
तेरह मुखी रुद्राक्ष
तेरह मुखी रुद्राक्ष काम देश स्वरुप है|
इस रुद्राक्ष को धारण करने से समस्त कामनाओ की इच्छा भोगो की प्राप्ति होती है|
इसे “ॐ ह्रीं हुम् नमः का जाप कर के धारण करना चाहये|
चौदह मुखी रुद्राक्ष
चौदह मुखी रुद्राक्ष अक्षि से उत्पन हुआ है,यह भगवान का नेत्र स्वरुप है|



















इस रुद्राक्ष को “ॐ नमः शिवाय” का जाप कर के धारण करना चाहिए|इस को धारण करने से साधक शिव तुल्य हो कर सब व्यधियो और रोगों को हर लेता है और आरोग्य प्रदान करता है|
( पाठकों से अनुरोध है कि उपर दिये मंत्रों के बारे विधीवत जानकारी ले लें रूद्राक्ष के बारे शुद्धी-अशुद्धी की जांच परख किया गया रूद्राक्ष विशेष मंत्रों से सिद्ध कर  हमारे यहां मंगाया जा सकता है)
पताः ज्योतिष का सूर्य, जीवन ज्योतिष भवन कोहका मेन रोड शांतिनगर भिलाई, दुर्ग (छ.ग.)- 09827198828

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