व्रत और विज्ञान-
पं विनोद चौबे महाराज
उपवास रखकर भगाइए दिल का रोग
हिंदू धर्म आत्मसंयम का संदेश देता है, जिसका एक अहम तरीका उपवास है। कोई रविवार को व्रत रखता है तो कुछ सोम, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र या शनिवार को अन्न से दूर रहते हैं। नवरात्र के दिनों में तो श्रद्धालु 9 दिन उपवास रखते हैं। इस तरह से की जाने वाली भगवान की पूजा अमूमन कर्मकांड मानी जाती है, लेकिन इसके पीछे भी विज्ञान है। एक हालिया शोध से पता चलता है कि नियमित उपवास रखने से न सिर्फ कोरोनरी धमनी रोग व डायबिटीज की जोखिम कम होता है, बल्कि खून में कोलेस्ट्राल की मात्रा को भी नियंत्रित करता है।
शोध अमेरिका के इंटरमाउंटेन मेडिकल सेंटर हॉर्ट इंस्टीट्यूट की तरफ से किया गया। इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया कि उपवास न केवल कोरोनरी धमनी रोग व डायबिटीज के जोखिम को कम करता है बल्कि यह खून के कोलेस्ट्रॉल लेवल में अर्थपूर्ण बदलाव लाने में भी सहायक होता है। कार्डियोवैस्कुलर एंड जेनेटिक एपेडेमीओलॉजी के निदेशक बेंजामिन डी हॉर्न के मुताबिक उपवास से होने वाले फायदों के बारे में पाए गए सारे तथ्य एक वास्तविक खोज का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि उपवास करने से मरीजों के एक समूह ने हृदय संबंधी सामान्य समस्याओं का खतरा कम होने की पुष्टि की होने से कम सवाल खडे़ हो गए हैं कि मात्र उपवास से ही खतरा कम कैसे हो जाता है? या फिर यह महज एक हेल्दी लाइफ स्टाइल का सूचक है?
बता दें कि डायबिटीज और उच्च कोलेस्ट्रॉल दोनों ही हृदय रोग के प्रमुख कारक होते हैं। नए शोध में पाया गया कि उपवास अन्य हृदय रोग के अन्य कारकों, मसलन ट्राईग्लिसराइड्स, वजन और ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित करता है।
हालांकि पूर्व हुए शोधों के विपरीत इस नए शोध में उपवास के दौरान शरीर में होने वाले बायोलॉजिकल मैकेनिज्म की प्रतिक्रिया को भी रिकॉर्ड किया गया है। पाया गया कि उपवास के दौरान लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल यानी बुरा कोलेस्ट्रॉल और हाई डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल यानी अच्छा कोलेस्ट्रेरॉल दोनों में क्रमश: 14 और 6 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। शोधकर्ता यह देख कर हैरान रह गए कि इस दौरान दोनों कोलेस्ट्रॉल लेवल में वृद्धि दर्ज की गई। हॉर्न ने कहा कि उपवास के दौरान भूख अथवा तनाव के कारण काफी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का स्राव होता है और इस दौरान ग्लूकोज के बावजूद शरीर चर्बी को ईंधन की तरह उपयोग में लेने लगता है और इस प्रक्रिया से शरीर में चर्बी कोशिकाएं घटने लगती हैं।
शोध अमेरिका के इंटरमाउंटेन मेडिकल सेंटर हॉर्ट इंस्टीट्यूट की तरफ से किया गया। इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया कि उपवास न केवल कोरोनरी धमनी रोग व डायबिटीज के जोखिम को कम करता है बल्कि यह खून के कोलेस्ट्रॉल लेवल में अर्थपूर्ण बदलाव लाने में भी सहायक होता है। कार्डियोवैस्कुलर एंड जेनेटिक एपेडेमीओलॉजी के निदेशक बेंजामिन डी हॉर्न के मुताबिक उपवास से होने वाले फायदों के बारे में पाए गए सारे तथ्य एक वास्तविक खोज का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि उपवास करने से मरीजों के एक समूह ने हृदय संबंधी सामान्य समस्याओं का खतरा कम होने की पुष्टि की होने से कम सवाल खडे़ हो गए हैं कि मात्र उपवास से ही खतरा कम कैसे हो जाता है? या फिर यह महज एक हेल्दी लाइफ स्टाइल का सूचक है?
बता दें कि डायबिटीज और उच्च कोलेस्ट्रॉल दोनों ही हृदय रोग के प्रमुख कारक होते हैं। नए शोध में पाया गया कि उपवास अन्य हृदय रोग के अन्य कारकों, मसलन ट्राईग्लिसराइड्स, वजन और ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित करता है।
हालांकि पूर्व हुए शोधों के विपरीत इस नए शोध में उपवास के दौरान शरीर में होने वाले बायोलॉजिकल मैकेनिज्म की प्रतिक्रिया को भी रिकॉर्ड किया गया है। पाया गया कि उपवास के दौरान लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल यानी बुरा कोलेस्ट्रॉल और हाई डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल यानी अच्छा कोलेस्ट्रेरॉल दोनों में क्रमश: 14 और 6 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। शोधकर्ता यह देख कर हैरान रह गए कि इस दौरान दोनों कोलेस्ट्रॉल लेवल में वृद्धि दर्ज की गई। हॉर्न ने कहा कि उपवास के दौरान भूख अथवा तनाव के कारण काफी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का स्राव होता है और इस दौरान ग्लूकोज के बावजूद शरीर चर्बी को ईंधन की तरह उपयोग में लेने लगता है और इस प्रक्रिया से शरीर में चर्बी कोशिकाएं घटने लगती हैं।
लंबा व्रत तोडऩे में बरतें सावधानी: नवरात्र के दौरान व्रती 9 दिन का उपवास भी करते हैं। वैज्ञानिक शोध में बेशक इसे फायदेमंद बताया जा रहा है, लेकिन व्रत तोडऩे के दौरान इन चीजों का ध्यान देना बेहद जरुरी है। दरअसल उपवास की अवधि में उपवासकर्ता की पाचन शक्ति कम हो जाती है। इसलिए उपवास तोड़ते वक्त उपवासकर्ता को जल्दी पचने वाले फलों के रस में पानी मिलाकर पीना चाहिए। इससे उसका पाचन तंत्र धीरे-धीरे पुनः भोजन ग्रहण करने के लायक हो सकेगा। 1- संतरे का रस केवल एक-डेढ़ घंटे में ही पच जाता है। एक प्याला संतरे के रस में एक प्याला पानी मिलाकर दो-तीन घंटे में धीरे-धीरे लेना चाहिए। 2- अगर संतरे का रस न मिले तो 10-12 मुनक्के या 20-30 किशमिश पानी में मसलकर पी लेनी चाहिए। 3- उपवास तोड़ने के दूसरे व तीसरे दिन टिंडा, तोरई, परवल व लौकी का रस या सूप चार-पाँच बार लेना चाहिए। 4- चौथे दिन फल सब्जी व दलिया का सेवन करना ठीक रहता है। 5- पाँचवें दिन से उबली हुई सब्जी से एक-दो रोटी खाई जा सकती है। दाल, चावल, दही भी लेना शुरू कर सकते हैं। |
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