सावन के महीनेमें पांच शुक्रवार, पांच शनिवार और पांच रविवार
सावन के महीने और कर्क की संक्रांति की शुरुआत एक साथ हो रही है। मेष लग्न के उदय में कर्क की संक्रांति लग रही है। चंद्रमा अपने ही नक्षत्र श्रवण में और शनि मकर राशि में रहेगा। यह स्थिति 14 जनवरी 2012 तक बनी रहेगी, जब तक सूर्य का उत्तरायण नहीं हो जाता।
भारतीय जन्मपत्री के हिसाब से 16 जुलाई 2011 से 14 जनवरी 2012 तक ऐसे योग बनेंगे, जिनमें पूरे देश में आमूलचूल परिवर्तन होंगे। ये परिवर्तन सीधे जनमानस को प्रभावित करेंगे।
क्योंकि शनि और बृहस्पति छठे व आठवें भाव में स्थित हैं, इसलिए सत्तारूढ़ दल, सरकारी मिशनरी और लोगों की कथनी करनी में भारी अंतर देखने को मिलेगा।
किसानों को होगा लाभ
जून और जुलाई हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ का महीना कहलाता है। 16 जून से 15 जुलाई तक पांच गुरुवार और पांच शुक्रवार प़ड़ रहे हैं। जब पांच गुरुवार पड़ते हैं तो पश्चिमी देशों में उत्पात, युद्ध, परस्पर विद्रोह और वैमन्सय पैदा होता है।
शुक्र का फल धन-धान्य देने वाला और कृषक वर्ग की खुशहाली वाला होता है। इसके अलावा चंद्रमा और सूर्य की परस्पर दृष्टि सौर्यमंडल में भारी परिवर्तन का योग बना सकती है।
कब शुरू हो रही कर्क की संक्रांति
कर्क की संक्रांति और सावन का महीना 16 जुलाई 2011 रात 3.21 मिनट से 17 अगस्त 2011 की सुबह 11.48 तक रहेगा। मेष लग्न के उदय में कर्क की संक्रांति लग रही है। ऐसे में शंकर भगवान की पूजा का विशेष महत्व माना गया है।
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