Durg Bhilai
जमकर बरसेंगे बादल
Bhaskar News Wednesday, June 17, 2009 06:58 [IST]
भिलाई. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि मानसून के लिए अभी और सब्र करना होगा। उनके मुताबिक 23-24 जून तक मानसून आने की संभावना है। सितारें भी यही कह रहे हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक 22 जून तक मानसून आएगा। छत्तीसगढ़ में इस बार अच्छी बारिश भी होगी।
आषाढ़ के महीने में भी सूरज इतरा रहा है और पारा 43-44 डिग्री से नीचे नहीं उतर रहा है। रूठे मानसून ने हर किसी को हलाकान कर रखा है। किसान परेशान हैं कि कब झमाझम बारिश हो और वे हल लेकर खेतों की ओर निकल पड़ें। शहरी जनता, अफसरों और बाबुओं की भी दिली इच्छा है कि ऐसी घाटाएं उमड़े कि बाग में मयूर नाच उठे और मन का मयूर भी। वे सूरज की तपिश और उमस से परेशान हैं।
कुछ दिन पहले घाटाएं उमड़ीं, गरजीं, बरसीं और गायब भी हो गई। स्थानीय प्रभाव से कभी-कभार हो रही इस बारिश से न ही मिट्टी की सोंधी महक आ रही है और न ही लोगों का मन भर रहा है। सभी चाहते हैं कि ऐसी बारिश हो कि बस तन-मन भीग जाए। नदी-नाले बह निकलें और धरती भी तृप्त हो जाए।
जीवन ज्योतिष केंद्र शांतिनगर के संचालक पंडित विनोद चौबे ने बताया कि 22 जून को तड़के 3 बजकर 45 मिनट पर वृषभ लग्न में सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेगा। उस समय चंद्र नक्षत्र मृगशिरा नामक नक्षत्र रहेगा और लन्गस्थ जलतत्व प्रधान चंद्रमा के ऊपर वायु तत्व शनि का प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में आंधी, तूफान व बवंडर के साथ मानसून दस्तक देगा। 5 जुलाई तक इसी तरह तेज हवाओं के साथ बारिश होती रहेगी।
इस समय आद्रा प्रवेश के समय सूर्य गज (हाथी) पर सवार रहेगा। इसकी नाड़ी जलतत्व होगी। यह बारिश के लिए बहुत ही अच्छा योग है। शास्त्रों में कहा गया है कि ‘गजा रूढ़ो वत्सरश्च सुभिक्षम च प्रजा सुखम, वर्षा काले सुवृष्टि च सुखिन: सर्वजंतव:’ अर्थात गज पर सवार होकर सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करने पर पूरे वर्षाकाल में अच्छी बारिश होती है।
इससे प्रजा व सभी जीव-जंतु सुखी रहते हैं। श्री चौबे ने बताया कि 5 जुलाई के बाद झमाझम बारिश होगी क्योंकि 2 जुलाई को पूर्व दिशा में सूर्य अस्त हो रहा है और 5 जुलाई को पुनर्वसु नक्षत्र पर सूर्य का प्रवेश होगा। शास्त्रों में भी कहा गया है कि ‘उदयास्त गत शुक्रो बुद्घश्च वृष्टिकारक:’ । उन्होंने बताया कि इस दौरान छत्तीसगढ़ में अच्छी बारिश होगी, लेकिन समुद्र तटीय क्षेत्रों में आंधी व बवंडर के कारण यह अनिष्ट कारक हो सकता है।
पं. उमेश जानी का कहना है कि आषाढ़ मानसून का प्रतीक है। ऐसी लोकगीत भी प्रचलित है कि ‘आषाढ़ उचारम, मेष मल्हारम, पनि बहारम, शूलधारम, दातूदंडकारम, मयूरप्रकारम वर्षा वर्षिधारम’ अर्थात आषाढ़ में मेघ ऊंचे आसमान पर छा जाते हैं। यह देखकर मयूर झूमने लगता है। मूसलाधार बारिश होती है। आषाढ़ महीना सोमवार यानी चंद्रवार से शुरू हुआ है।
उदित लन्ग तुला और लन्गेश छठवां के कारण इसलिए बारिश का अच्छा योग है। दस दिन के भीतर झमाझम बारिश होगी। 24 जून को आषाढ़ी दूज रथ यात्रा के दिन पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र आधा-आधा है। इसके बाद अगले दिन गुरुवार को पुष्यामृत योग है, जो बारिश के लिए उत्तम है।
पंडित दानेश्वर शर्मा बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में यह कहावत काफी लोकप्रिय है कि ‘नीर मंडल दूर पानी, दूर मंडल नीर पानी’। इसी तरह ‘ चिरई धुर्रा खेले, त पानी गिरही’ अर्थात चिड़िया जब धूल में स्नान करते दिखे तो समझ लेना चाहिए कि अब बारिश होगी।
अटक गया मानसून : कृषि मौसम विज्ञान विभाग रायपुर के विभागाध्यक्ष एसआर पटेल ने भारत मौसम विज्ञान विभाग के हवाले से बताया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में विगत आठ-दस दिन से कोई विशेष परिवर्तन नहीं दिख रहा है।
आषाढ़ के महीने में भी सूरज इतरा रहा है और पारा 43-44 डिग्री से नीचे नहीं उतर रहा है। रूठे मानसून ने हर किसी को हलाकान कर रखा है। किसान परेशान हैं कि कब झमाझम बारिश हो और वे हल लेकर खेतों की ओर निकल पड़ें। शहरी जनता, अफसरों और बाबुओं की भी दिली इच्छा है कि ऐसी घाटाएं उमड़े कि बाग में मयूर नाच उठे और मन का मयूर भी। वे सूरज की तपिश और उमस से परेशान हैं।
कुछ दिन पहले घाटाएं उमड़ीं, गरजीं, बरसीं और गायब भी हो गई। स्थानीय प्रभाव से कभी-कभार हो रही इस बारिश से न ही मिट्टी की सोंधी महक आ रही है और न ही लोगों का मन भर रहा है। सभी चाहते हैं कि ऐसी बारिश हो कि बस तन-मन भीग जाए। नदी-नाले बह निकलें और धरती भी तृप्त हो जाए।
जीवन ज्योतिष केंद्र शांतिनगर के संचालक पंडित विनोद चौबे ने बताया कि 22 जून को तड़के 3 बजकर 45 मिनट पर वृषभ लग्न में सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेगा। उस समय चंद्र नक्षत्र मृगशिरा नामक नक्षत्र रहेगा और लन्गस्थ जलतत्व प्रधान चंद्रमा के ऊपर वायु तत्व शनि का प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में आंधी, तूफान व बवंडर के साथ मानसून दस्तक देगा। 5 जुलाई तक इसी तरह तेज हवाओं के साथ बारिश होती रहेगी।
इस समय आद्रा प्रवेश के समय सूर्य गज (हाथी) पर सवार रहेगा। इसकी नाड़ी जलतत्व होगी। यह बारिश के लिए बहुत ही अच्छा योग है। शास्त्रों में कहा गया है कि ‘गजा रूढ़ो वत्सरश्च सुभिक्षम च प्रजा सुखम, वर्षा काले सुवृष्टि च सुखिन: सर्वजंतव:’ अर्थात गज पर सवार होकर सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करने पर पूरे वर्षाकाल में अच्छी बारिश होती है।
इससे प्रजा व सभी जीव-जंतु सुखी रहते हैं। श्री चौबे ने बताया कि 5 जुलाई के बाद झमाझम बारिश होगी क्योंकि 2 जुलाई को पूर्व दिशा में सूर्य अस्त हो रहा है और 5 जुलाई को पुनर्वसु नक्षत्र पर सूर्य का प्रवेश होगा। शास्त्रों में भी कहा गया है कि ‘उदयास्त गत शुक्रो बुद्घश्च वृष्टिकारक:’ । उन्होंने बताया कि इस दौरान छत्तीसगढ़ में अच्छी बारिश होगी, लेकिन समुद्र तटीय क्षेत्रों में आंधी व बवंडर के कारण यह अनिष्ट कारक हो सकता है।
पं. उमेश जानी का कहना है कि आषाढ़ मानसून का प्रतीक है। ऐसी लोकगीत भी प्रचलित है कि ‘आषाढ़ उचारम, मेष मल्हारम, पनि बहारम, शूलधारम, दातूदंडकारम, मयूरप्रकारम वर्षा वर्षिधारम’ अर्थात आषाढ़ में मेघ ऊंचे आसमान पर छा जाते हैं। यह देखकर मयूर झूमने लगता है। मूसलाधार बारिश होती है। आषाढ़ महीना सोमवार यानी चंद्रवार से शुरू हुआ है।
उदित लन्ग तुला और लन्गेश छठवां के कारण इसलिए बारिश का अच्छा योग है। दस दिन के भीतर झमाझम बारिश होगी। 24 जून को आषाढ़ी दूज रथ यात्रा के दिन पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र आधा-आधा है। इसके बाद अगले दिन गुरुवार को पुष्यामृत योग है, जो बारिश के लिए उत्तम है।
पंडित दानेश्वर शर्मा बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में यह कहावत काफी लोकप्रिय है कि ‘नीर मंडल दूर पानी, दूर मंडल नीर पानी’। इसी तरह ‘ चिरई धुर्रा खेले, त पानी गिरही’ अर्थात चिड़िया जब धूल में स्नान करते दिखे तो समझ लेना चाहिए कि अब बारिश होगी।
अटक गया मानसून : कृषि मौसम विज्ञान विभाग रायपुर के विभागाध्यक्ष एसआर पटेल ने भारत मौसम विज्ञान विभाग के हवाले से बताया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में विगत आठ-दस दिन से कोई विशेष परिवर्तन नहीं दिख रहा है।
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