ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शनिवार, 16 जुलाई 2011

भिलाई नगर निगम : गरीबों की जमीन पर करोड़पतियों का कब्जा

गरीबों की जमीन पर करोड़पतियों का कब्जाहृषीकेश त्रिपाठी
(पत्रकार)
शारदापारा आवासीय योजना को शुरू में ही रईसों की नजर लग गई। इस संदर्भ में उच्च न्यायालय के डबल बैंच के समक्ष भिलाई नगर निगम नें रीट दायर किया। करोड़ों की जमीन जो गरीबों के आवास के लिए आबंटित की गई, उसे करोड़पतियों ने हथिया लिया। भिलाई नगर निगम नें इस हड़पी गई जमीन को वापस निगम के अंतर्गत लाने का बीड़ा उठाया है।
विघटित विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) भिलाई द्वारा आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों के लिए 1977 शारदापारा आवासीय योजना शुरू की गयी। इस योजना का मूल उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर जैसे लोग जनिके पास स्वयं का आवास नहीं थे, उन्हें आवास निर्माण हेतु भूमि देना था।
हितग्राहियों के लिए 450 वर्ग फुट भूखण्ड की कुल किमत मात्र सात सौ रू.निर्धरित की गयी । इसके अन्र्तगत 100 रू. पंजीयन शुल्क रखा गया एवं शेष राशि के लिए 12.50 रू.मासिक किश्त 60रू. समान किश्तों में लिया जाने का प्रावधान किया गया था। समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर  प्रथम आया प्रथम पाया के आधार पर आवंटन किया गया।
योजना के अंतर्गत पाँच वर्ष के अन्दर कंट्रोल शीट के अनुसार भवन निर्माण की शर्त रखी गयी थी।
पंजीयन के आठ वर्षों के बाद भी जब भूमि पर भवन निर्माण नहीं हुआ तो वर्ष 1985 से 1988 के मध्य कई बार आम सूचना के द्वारा तथा व्यक्तिगत रूप से भी हितग्राहियों को भवन निर्माण करने  की सूचना दी गयी।
नियम एवं शर्तों के उल्लंघन के कारण अर्थात आबंटित भूमि पर भवन निर्माण हितग्राहियों द्वारा न करने के कारण साडा ने 25 फरवरी 1992 में योजना के अंतर्गत किए गए आबंटन को निरस्त करने का निर्णय लिया। पुन: योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए समाचार पत्रों के माध्यम से सूचना प्रकाशित कर भवन निर्माण करने का संकल्प 22 जुलाई 1995 को साडा की बैठक में लिया गया। दिसंबर 1995 में साडा द्वारा हितग्राहियों को पुन: एक वर्ष का समय दिया गया। इसके पश्चात 20 मई 2004 को भिलाई नगर निगम द्वारा सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि हितग्राहियों द्वारा नियम पालन नहीं हो पा रहा है तो आबंटन निरस्त किया जाए तथा जिन हितग्राहियों द्वारा आवास की मांग की जाती है उसे शासन की अन्य आवासीय योजना से लाभान्वित किया जाए। इसी बैठक में शारदापारा आवासीय योजना की भूमि पर कब्जा न होने देने के लिए शासन को कुछ योजनाएँ भेजने की स्वीकृति दी गई जिसमें मुख्य रूप से बैकुंठ धाम के उत्तर में सरोवर एवं सरोवर स्थल के पूर्व में पुष्पवाटिका योजना, बैकुंठधाम खेल परिसर एवं मुख्यमंत्री स्वावलंबन तथा महिला समृद्धि योजना भी शामिल हैं।
सरोवर योजना को मूर्त रूप देने की अनुमानित लागत 605.24 लाख रूपये है। छत्तीसगढ़ शासन रायपुर द्वारा 14 लाख की स्वीकृति योजना हेतु प्रदाय प्रथम दो चरण के लिए 74.04 लाख रूपये की निविदा को 31 जुलाई 2004 को जारी किया गया। इसी बीच 29 जुलाई 2004 को हितग्राही राजेन्द्र शर्मा एवं अन्य 4 लोगों द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई, जिसे 10 मार्च 2011 में राजेन्द्र कुमार शर्मा एवं अन्य विरूद्ध छ.ग. शासन तथा रामसिया गुप्ता व अन्य विरूद्ध छ.ग. शासन में याचिका स्वीकार की गई।
भिलाई नगर निगम ने इसके विरूद्ध 29 अप्रैल को उच्च न्यायालय के डबल बैंच के समझ रिट  दायर किया जिसकी सुनवाई लंबित है।

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