ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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सोमवार, 2 जुलाई 2012

सावन में रुद्रपाठ से प्रसन्न होतें हैं भगवान शिव

सावन में रुद्रपाठ से प्रसन्न होतें हैं भगवान शिव

- ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे, भिलाई
 "वेद: शिव: शिवो वेद:" अर्थात् वेद ही शिव हैं और शिव ही वेद अत: शिव वेदस्वरूप हैं। वेद ही नारायण का साक्षात् रूप हैं- "वेदो नारायण: साक्षात् स्वयम्भूरिति शुश्रुम"  इस तथ्य के अनुसार शिव-नारायण में कोई भेद नहीं हैं, क्योंकि वेदको परमात्मप्रभु का नि:श्वास माना गया है। वेद अपौरेषय व अनादि शास्वत सनातन है। शिव और रूद्र ब्रह्म के ही पर्यायवाची शब्द हैं। शिव को रूद्र इसलिए कहा गया है कि- यह रूद्र भगवान शिव रूत् यानि दु:ख को विनष्ट कर देते हैं-"रूतम् दु:खम्, द्रावयति- नाशयतीति रूद्र:"। जल आदि अलग-अलग द्रव्यों से रुद्रीपाठ करते हुए अभिषेक करने से शिव सभी मनोकामनाएं पूर्ण होतीं हैं। रूद्रपाठ के तीन मुख्य प्रभेदों का उल्लेख मेरुतंत्र में पाया जाता है
रुद्रीभरेकादशभि: लघुरुद्र: प्रकीर्तित:!
अनेन सिक्तं येर्लिंग ते न भास्करम् !!
रुद्रैकादशिनी के एक बार पारायण का नाम ही "लघुरूद्र" है! रूद्रपारायण इसी का नामांतर है! इस लघुरूद्र-विधि से लिंगाभिषेचन करनेवाला शीघ्र ही मुक्ति प्राप्त कर लेता है!
लघुरूद्र के ग्यारह आवृत्तियों के समाहार-पाठ और जपको "महारुद्र" कहते है, जिससे जप-होमादि करने से दरिद्री भी भाग्यवान बन जाता है! महारुद्र के पाठपूर्वक किया गया होम सोमयाग का फल प्रदान करता है!  शिव पूजन और शिवलिंग को जल अर्पित करने की मुख्य तिथियाँ निम्नलिखित हैं :-
    पक्ष                                                 तिथि      वार      नक्षत्र               तारीख
श्रावण कृष्ण पक्ष     षष्ठी     सोमवार     पूर्वाभाद्रपद     9 जुलाई
श्रावण कृष्ण पक्ष     त्रयोदशी     सोमवार     मृगशिरा     16 जुलाई(सोमप्रदोष)
श्रावण कृष्ण पक्ष     चतुर्दशी     मंगलवार     आद्र्रा     17 जुलाई(मासशिवरात्रि)
श्रावण शुक्ल पक्ष     चतुर्थी     सोमवार     पूर्वाफाल्गुनी     23 जुलाई
श्रावण शुक्ल पक्ष     12/13     सोमवार     मूल     30 जुलाई (सोमप्रदोष)
श्रावण शुक्ल पक्ष     13/14     मंगलवार     पूर्वाषाढा़     31 जुलाई
श्रावण शुक्ल पक्ष     चतुर्दशी     बुधवार     उत्तराषाढ़ा     1 अगस्त (प्रात: 10:59 तक)
श्रावण पूर्णिमा     पूर्णिमा     बृहस्पतिवार     श्रवण     2 अगस्त (रक्षाबन्धन) श्रावणी पर्व

राशियों के अनुसार कैसे करें शिव-अभिषेक
भगवान सदाशिव को प्रसन्न करने के लिए पुराणों के अनुसार शिव के पंचाक्षर मंत्र ऊँ नम: शिवाय, लघु रूद्री से अभिषेक करें। शिवजी को बिल्वपत्र, धतूरे का फूल, कनेर का फूल, बेलफ ल, भांग चढ़ाकर पूजन करें।
मेष- शहद, गुड़, गन्ने का रस। लाल पुष्प चढ़ाएं।, वृषभ- कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प।, मिथुन- हरे फलों का रस, मूंग, बिल्वपत्र। , कर्क- कच्चा दूध, मक्खन, मूंग, बिल्वपत्र। , सिंह- शहद, गुड़, शुद्ध घी, लाल पुष्प।, कन्या- हरे फलों का रस, बिल्वपत्र, मूंग, हरे व नीले पुष्प। ,तुला- दूध, दही, घी, मक्खन, मिश्री। , वृश्चिक- शहद, शुद्ध घी, गुड़़, बिल्वपत्र, लाल पुष्प।, धनु- शुद्ध घी, शहद, मिश्री, बादाम, पीले पुष्प, पीले फूल।, मकर- सरसों का तेल, तिल का तेल, कच्चा दूध, जामुन, नीले पुष्प।, कुंभ- कच्चा दूध, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले पुष्प।, मीन- गन्ने का रस, शहद, बादाम, बिल्वपत्र, पीले पुष्प, पीले फल।

                                         ।। मौलिकता प्रमाणीकरण ।।
मैं ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे प्रमाणित करता हूं कि 'सावन में रुद्रपाठ से प्रसन्न होतें हैं भगवान शिव
Ó मेरी अपनी रचना है। इस आलेख का प्रकाशन अभी तक किसी समाचार पत्र/पत्रिका में नहीं कराया गया है। आपकी लब्ध प्रतिष्ठिïत पत्रिका में प्रकाशन हेतु सादर पे्रेषित है। कृपया यथायोग्य स्थान प्रदान करने का कष्टï करें।
                                           
प्रमाणितकर्ता -(ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे , श्रीमद्भागवत कथावाचक एवं सम्पादक. "ज्योतिष का सूर्य " राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, शंतिनगर भिलाई, मोबा.9827198828 )

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