ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

.निर्मल बाबा से हिन्दू धर्म को खतरा है....? समोसे खाओ, खट्टी नहीं मिठी चटनी खाओ, तब जाकर किरपा आयेगी।

''पैर में मोजा, कभी पजामा-कुर्ता, कभी शादी की शेरवानी, एक हाथ सोफा पर रख दुसरे हाथ को लहराते, भक्तों पर कृपा बरसाते, शानदार सजावटों के साथ सोफा पर बैठे, झारखंड के डाल्टनगंज में ठेकेदारी से लेकर दिल्ली की कैलाश कालोनी के इस बाबा को बचपन से पाल-पोस कर बड़ा करने वाले वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी ने अपने एक वक्तव्य में कहा कि-उनका साला धर्म के नाम पर धंधा कर रहा है। खैर, अभी तो बाबा का जलवा है, क्योंकि लगभग 4 से 5 करोड़ की कमाई रोज हो रही है। अपने भक्तों को वे कहते हैं..समोसे खाओ, खट्टी नहीं मिठी चटनी खाओ, घर में, लाकर में, गोदरेज की आलमारी में दस की गड्डी रखो, तब जाकर किरपा आयेगी। हद तो तब हो गयी जब वे अपने एक भक्त से कहा कि- घर में रखे शिवलिंग को घर से निकाल बाहर करो क्योंकि इसी से किरपा रूक रही है। तो फिर क्या था तथाकथित बाबा को लाईव देख रहे भक्तों ने शिवलिंगों को घर से बाहर निकालना शुरू कर दिया.. क्या यह बाबा हिन्दू धर्म के लिए खतरा नहीं हैं...?''



०  शिवलिंगों का हो रहा है घोर अपमान.
०  बैंको में दस के नोटो का संकट गहराया.
०  दुकानो से काला पर्स गायब.


भारत की धरा संतों की धरा है, ऋषियों, मुनियों, वेदज्ञों और आदि शंकराचार्य, गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीरदास, सूरदास, सिरडी के साईं, संत तुकाराम, संत एकनाथ सहित स्वामी विवेकानन्द एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जैसे पावन असंख्य संतों के नाम से भारत पूरी दूनीया में सुविख्यात है। आज उपरोक्त संतों के बताये मार्ग पर न केवल भारतवासी बल्कि आर्यधर्मेतर अन्य देशों के लोग भी अपना आदर्श मानते व चलते हैं। भारतीय इतिहास में ऐसा कोई संत नहीं हुआ जो घर में शिवलिंग रखने को लेकर मना किया हो, लेकिन अभी हाल ही में एक तथाकथित एक बाबा ने टीवी चैनल पर अपने एक भक्त को घर में शिवलिंग निकाल किसी मंदिर में रखने को कहा, तथाकथित यह बाबा ने शिवलिंग को मात्र मंदिर में ही रखकर दुग्ध चढ़ाना चाहिए, न की घर में। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धी आती है। इस कार्यक्रम का प्रसारण लाईव देश के करोड़ों दर्शकों ने देखा फिर क्या था, अब तो मानों सुख, समृद्धी के लिए लोगों ने घर से शिवलिंग निकालना आरंभ किया। जो आज किसी भी मंदिरों में आसानी से दर्जनों से भी अधिक शिवलिंगों को देखा जा सकता है। मंदिरों में लोगों द्वारा रखे गए शिवलिंगों की बढ़ती तादाद से हलाकान हो मंदिरों के पुजारियों ने शिवलिंगों को नदी, तालाब अथवा सरोवरों में  प्रवाहित करना प्रारंभ कर दिये। स्थिति यह हो गयी की आज परमपिता परमेश्वर भगवान शिव के साथ-साथ नदियों में असंख्य शिवलिंग प्रवाहित किये जाने से  नदियों का अस्तिीत्व संकट में है।  यदि बात की जाय धर्मशास्त्रों की तो कहीं ऐसा प्रमाण नहीं मिलता की भगवान शिव को घर में नहीं रखना चाहिए अथवा शिवलिंग को। किन्तु, आये दिनों हो रही एक से बढ़ कर एक बाबाओं की मिडीयाई पैदाईश हिन्दू धर्म को खतरे में डाल सकती है।
देश के आम लोगों में एक बार फिर अंधविश्वास एवं आस्था की तथाकथित बयार चलने से बैंको से दस रूपए की गडड्ी , दुकानो से काला पर्स का संकट इस तरह गहराया है कि देश में काला पर्स या दस रूपए की गडड्ी मांगने वाला भी संदेह की नजर से देखा जाने लगा है।  दर्जनों टीवी चैनलों पर एक तथाकथित बाबा के प्रतिदिन प्रवचन सुनने के बाद सबसे बड़ा संकट नदियों के संरक्षण को लेकर आ खड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ के शिवनाथ से लेकर मध्यप्रदेश में सूर्यपुत्री ताप्ती आदि नदियों सहित , पोखरों , तालाबों के पास इन दिनो देवी - देवताओं की भारी संख्या में फोटो , कलैण्डर तथा शिवलिंगो एवं मूर्तियों का ढेर सा संग्रह हो गया है। बरसात आने में अभी काफी वक्त है लेकिन ऐसे समय में पशु-पक्षियों तथा आम इंसान के लिए पीने योग्य नदियों के संग्रहित पानी में मूर्तियों एवं फोटो के विसर्जन से जल स्तर कम होने के साथ नदियों में गहरा प्रदुषण का खतरा उत्पन्न हो गया है।
 यह तथाकथित बाबा 10 साल पहले साधारण व्यक्ति थे। लेकिन बाद में उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पण से अपने भीतर अद्वितीय शक्तियों का विकास किया। ध्यान के बल पर वह ट्रांस (भौतिक संसार से परे किसी और दुनिया में) में चले जाते हैं। ऐसा करने पर वह ईश्वर से मार्गदर्शन ग्रहण करते हैं, जिससे उन्हें लोगों के दुख दूर करने में मदद मिलती है। बाबा के पास मुश्किलों का इलाज करने की शक्ति है। वे किसी भी मनुष्य के बारे में टेलीफोन पर बात करके पूरी जानकारी दे सकते हैं। यहां तक कि सिर्फ फोन पर बात करके वह किसी भी व्यक्ति की आलमारी में क्या रखा है, बता सकते हैं। उनकी रहस्मय शक्ति ने कई लोगों को कष्ट से मुक्ति दिलाई है।
बाबा दरबार लगा कर लोगों की हर समस्या का आसान समाधान बताने वाले तथाकथित मिडीयाई बाबा को हर रोज चढ़ावे के तौर पर कितने पैसे मिलते हैं? हर दिन टीवी पर देख कर दर्शकों और लोगों पर शक्तियों की कृपा बरपाने वाले बाबा जी को किसी नेअन्य बाबाओं की तरह चढ़ावा या पैसा लेकर पैर छूने के लिए मिलते नहीं देखा, लेकिन फिर भी उन्हें हर रोज़ करोड़ों रुपए मिल रहे हैं।
 'थर्ड आई ऑफ  बाबाÓकी बढ़ती लोकप्रियता
फिलहाल यह तथाकथित बाबा भारत के 16 राष्ट्रीय चैनलों, और 3 विदेशी चैनलों पर विदेशों में कार्यक्रम चल रहे है. केवल आस्था पर बीस मिनट का मासिक व्यय सवा चार लाख रूपये (अनुमानित) हैंै, तो अन्य राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर कितना लगता होगा ? अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बाबा का प्रतिदिन घंटों चलने वाले इस कार्यक्रम का खर्च कितना आता होगा। चैनलों को इन प्रसारणों के लिए मोटी कीमत भी मिल रही है जिसका नतीजा है कि उन्होंने अपने सिद्धांतों और क़ायदा-क़ानूनों को भी ताक पर रख दिया है। नेटवर्क चैनलों ने तो बाबा के समागम का प्रसारण अपने खबरिया चैनलों के साथ-साथ हिस्ट्री चैनल पर भी चलवा रखा है। कमोबेेश हरेक छोटे-बड़े चैनल को उसकी हैसियत और पहुंच के हिसाब से तकरीबन 25,000 से 2,50,000 रुपए के बीच प्रति एपिसोड दिया जाता है।
बाबा के पास इतने रूपये आते कहाँ से हैं
अब जरा देखा जाए कि चढ़ावा नहीं लेने वाले तथाकथित बाबा के पास इतनी बड़ी रकम आती कहां से है? महज़ डेढ़ दो सालों मे लोकप्रियता की बुलंदियों को छू  रहे  'थर्ड आई ऑफ  बाबाÓ  हर समस्या का आसान सा उपाय बताते हैं और टीवी पर भी 'कृपाÓ बरसाते हैं। काले पर्स में पैसा रखना और अलमारी में दस के नोट की एक गड्डी रखना उनके प्रारंभिक सुझावों में से है। इसके अलावा जिस 'थर्ड आई ऑफ  बाबा के दरबारÓ का प्रसारण दिखाया जाता है उसमें आ जाने भर से सभी कष्ट दूर कर देने की 'गारंटीÓ भी दी जाती है। लेकिन वहां आने की कीमत 2000 रुपये प्रति व्यक्ति है जो महीनों पहले बैंक के जरिए जमा करना पड़ता है। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे से भी प्रवेश शुल्क लिया जाता है। अगर एक समागम मे 20 हजार लोग (अमूमन इससे ज्यादा लोग मौज़ूद होते हैं) भी आते हैं तो उनके द्वार जमा की गई राशि 4 करोड़ रुपये बैठती है।
ये समागम हर दूसरे दिन किसी इनडोर स्टेडियम में होता है और अगर महीने में 15 ऐसे समागम भी होते हों, तो बाबा जी को कम से कम 60 करोड़ रुपये का प्रवेश शुल्क मिल चुका होता है। बाबा जी को सिर्फ  स्टेडियम का किराया, सुरक्षा इंतजाम और ऑडियो विजुअल सिस्टम पर खर्च करना पड़ता है जो कि महज़ कुछ हज़ार रुपय़े होते हैं। समागम कुछ ही घंटो का होता है जिसमें बाबा जी अपनी बात कहते कम और सुनते ज्यादा हैं। महज़ कुछ घंटे आने और कृपा बरसाने के लिए करोड़ों रुपये कमा लेने वाले बाबा जी अपना कार्यक्रम अधिकतर दिल्ली में ही रखते हैं  जहां सारी सुविधाएं कम खर्चे में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
बाबा की मोटी कमाई में एक छोटा, लेकिन अहम हिस्सा उस मीडिया को भी जाता है जिसने बाबा जी को इतनी शोहरत दी है। हालांकि अब कुछ अनचाहे हिस्सेदार भी मिलने लगे हैं। पिछले महीने  बाबा को एक 'भक्तÓ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस तक की मदद लेनी पड़ी। लुधियाना के रहने वाले भक्त आनन्द(परिवर्तित नाम)ने अपने परिवार के साथ मिल कर जालसाज़ी से बाबा जी को भेजे जाने वाले पैसे में से 1.7 करोड़ रुपये अपने और अपने परिवार के खाते में डलवा लिए। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया।
-ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे (सम्पादक, ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक)

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