ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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बुधवार, 11 अप्रैल 2012

तुलसी की महिमा !!!

चित्र में तूलसी पूजा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति श्री ए.पी.जे.अब्दुल कलाम जी!!

तुलसी की महिमा !!!

 

तुलसी की उत्पति की विष्णुपुराण,स्कन्द पुराण ,ब्रह्म पुराण व देविभागवत के अनुसार कई कथाएँ कही गयी है —-समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला तब कलश को देखकर श्रम की सार्थकता से देवताओ के नेत्रों से अश्रु स्त्राव हो गया ,उन बिन्दुओं से तुलसी उत्पन्न हुई |हिन्दू -धर्म मे तुलसी को बहुत अधिक महत्व दिया गया हैऔर प्रत्येक हिन्दू परिवार मे सुबह शाम इंका पूजन अवश्य किया जाता है ,हिन्दू संस्कृति मे तुलसी कों माँ लक्ष्मीजी का रूप माना गया है | हमारे चिकित्सा-शास्त्र से तुलसी का विशेष संबंध है ,मुख्यतः यह कृष्ण-तुलसी ,श्वेत-तुलसी ,वन-तुलसी ,गंधा-तुलसी  ,राम-तुलसी,बर्बरीतुलसी,बिल्वगन्ध-तुलसी के नामो से जानी जाती है |आयुर्वेदिक चिकित्सा-शास्त्र मे तुलसी या मकर-ध्वज प्रत्येक रोग मे आने वाली औषधि है जिसका प्रयोग अनुभवी वैद्यजन करते है |तथा होम्योपैथिक चिकित्सा-शास्त्र मे —तुलसी (ocimum sanctum) 0से २००की मात्रा तक प्रयोग की जाती है |
तुलसी को सर्वरोग हर प्रवृति के कारण आर्युवेद मे तुलसी के पौधे मे प्रबल विद्धुत शक्ति होती है|जो पौधों के चारो और दो सौ  गज तक रहती है |इसके पौधे की गंध से मलेरिया के मच्छर समाप्त हो जाते है |तुलसी का रस कटु-तिक्त ,हृदय-ग्राही और पित-नाशक होता है यह कुष्ठ,पथरी ,चर्म-रोग ,रक्तदोष ,कफ-जनित व वायु -जनित रोग हर है ,ये पसलियों के दर्द मे कारगर उपाय है |
तुलसी-काष्ठ धारण करने से शरीर की विधुत-शक्ति बनी रहती है इसकी माला पहनने से किसी प्रकार की संक्रामक बीमारी का डर नहीं रहतातुलसी के अनेक तांत्रिक प्रयोग है जैसे  —-यदि किसी ने किसी पर मोहन -प्रयोग किया हो तो पीड़ित व्यक्ति को तुलसी-मंजरी को घी या शहद मे डुबो कर श्रीकृष्ण-मन्त्रों से आहुती देनी चाहिए |तुलसी-युक्त  जल से स्नान करते समय  ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ का जप करने से प्रेत-बाधा से मुक्ति मिलती है |तुलसी की महिमा अनन्त है तथा वर्णन भी अनन्त है !चित्र में तूलसी पूजा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति श्री ए.पी.जे.अब्दुल कलाम जी!!

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