मित्रों अब सब्र का बाँध फूट गया है नौजवानों को सामने आना ही होगाभ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे का अनशन शुरू
आखिरकार देश में फैले भ्रष्टाचार पर काबू पाने की लालसा लिए अन्ना हजारे को जंतर मंतर पर आमरण अनशन पर बैठना ही पड़ा । उनके साथ कई सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं | अनशन पर बैठने से पहले अन्ना हजारे सुबह राजघाट पर गांधी जी को नमन करने के बाद भ्रष्टाचार को जड़ से खात्मा करने का कठोर-संकल्प कि ''जबतक शरीर में प्राण रहेगा तबतक आमरण अनशन चलता रहेगा''| इधर मनमोहन सिंह ने कहा कि '' अन्ना हजारे को एक बार पुनर्विचार करना चाहिए '' यह कह कर अनशन न करने की सलाह भी दे रहे हैं। लेकिन कट्टर गांधीवादी अन्ना हजारे अपनी बात पर सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ भ्रष्टाचार के विरोध में अपने कई सहयोगियों के साथ जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। अन्ना हजारे चाहते हैं कि सरकार लोकपाल बिल तुरंत लाए, लोकपाल की सिफारिशें अनिवार्य तौर पर लागू हों और लोकपाल को जजों, सांसदों, विधायकों आदि पर भी मुकदमा चलाने का अधिकार हो। लेकिन सरकार इन खास मुद्दों बहस और चर्चा की जरूरत मान रही है, पत्रकारों से बातचीत में हजारे ने आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, 'चूंकि प्रधानमंत्री ने लोकपाल बिल का स्वरूप तय करने के लिए नागरिक समाज के लोगों के साथ एक संयुक्त समिति गठित किए जाने की मांग को अस्वीकार कर दिया है, इसलिए पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा। यदि इस दौरान मेरी जिंदगी भी कुर्बान हो जाए तो मुझे इसका अफसोस नहीं होगा। मेरा जीवन राष्ट्र को समर्पित है।'
हजारे मंगलवार सुबह नौ बजे राजघाट गए और उसके बाद उन्होंने इंडिया गेट से जंतर-मंतर का रुख किया। जंतर-मंतर पर उन्होंने अपना उपवास शुरू किया।
अन्ना हजारे, स्वामी रामदेव, स्वामी अग्निवेश, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल आदि ने दिसंबर में प्राइम मिनिस्टर को पत्र लिखा था। पिछले महीने हजारे अपने साथियों के साथ पीएम, कानून मंत्री और कई बड़े अफसरों से मिले भी थे। पीएम ने उन्हें लोकपाल बिल पर समुचित कदम उठाने का भरोसा दिया था। एक कमेटी बनाने की बात भी की थी।
हजारे चाहते हैं कि उन्होंने लोकपाल बिल का जो ड्राफ्ट सरकार को दिया है, उसे उसी रूप में स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े, वकील प्रशांत भूषण और एक्टिविस्ट अरविंद केजरीवाल द्वारा तैयार इस ड्राफ्ट को मानने से पहले सरकार इस पर विचार-विमर्श करना चाहती है।
मित्रों अब सब्र का बाँध फूट गया है नौजवानों को सामने आना ही होगा। वगैर क्रान्ति का यह मशला हल नहीं होगा।-ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे महाराज (सम्पादक) ज्योतिष का सूर्य , हिन्दी मासिक पत्रिका भिलाई (छ.ग.)
आखिरकार देश में फैले भ्रष्टाचार पर काबू पाने की लालसा लिए अन्ना हजारे को जंतर मंतर पर आमरण अनशन पर बैठना ही पड़ा । उनके साथ कई सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं | अनशन पर बैठने से पहले अन्ना हजारे सुबह राजघाट पर गांधी जी को नमन करने के बाद भ्रष्टाचार को जड़ से खात्मा करने का कठोर-संकल्प कि ''जबतक शरीर में प्राण रहेगा तबतक आमरण अनशन चलता रहेगा''| इधर मनमोहन सिंह ने कहा कि '' अन्ना हजारे को एक बार पुनर्विचार करना चाहिए '' यह कह कर अनशन न करने की सलाह भी दे रहे हैं। लेकिन कट्टर गांधीवादी अन्ना हजारे अपनी बात पर सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ भ्रष्टाचार के विरोध में अपने कई सहयोगियों के साथ जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। अन्ना हजारे चाहते हैं कि सरकार लोकपाल बिल तुरंत लाए, लोकपाल की सिफारिशें अनिवार्य तौर पर लागू हों और लोकपाल को जजों, सांसदों, विधायकों आदि पर भी मुकदमा चलाने का अधिकार हो। लेकिन सरकार इन खास मुद्दों बहस और चर्चा की जरूरत मान रही है, पत्रकारों से बातचीत में हजारे ने आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, 'चूंकि प्रधानमंत्री ने लोकपाल बिल का स्वरूप तय करने के लिए नागरिक समाज के लोगों के साथ एक संयुक्त समिति गठित किए जाने की मांग को अस्वीकार कर दिया है, इसलिए पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा। यदि इस दौरान मेरी जिंदगी भी कुर्बान हो जाए तो मुझे इसका अफसोस नहीं होगा। मेरा जीवन राष्ट्र को समर्पित है।'
हजारे मंगलवार सुबह नौ बजे राजघाट गए और उसके बाद उन्होंने इंडिया गेट से जंतर-मंतर का रुख किया। जंतर-मंतर पर उन्होंने अपना उपवास शुरू किया।
अन्ना हजारे, स्वामी रामदेव, स्वामी अग्निवेश, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल आदि ने दिसंबर में प्राइम मिनिस्टर को पत्र लिखा था। पिछले महीने हजारे अपने साथियों के साथ पीएम, कानून मंत्री और कई बड़े अफसरों से मिले भी थे। पीएम ने उन्हें लोकपाल बिल पर समुचित कदम उठाने का भरोसा दिया था। एक कमेटी बनाने की बात भी की थी।
हजारे चाहते हैं कि उन्होंने लोकपाल बिल का जो ड्राफ्ट सरकार को दिया है, उसे उसी रूप में स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े, वकील प्रशांत भूषण और एक्टिविस्ट अरविंद केजरीवाल द्वारा तैयार इस ड्राफ्ट को मानने से पहले सरकार इस पर विचार-विमर्श करना चाहती है।
मित्रों अब सब्र का बाँध फूट गया है नौजवानों को सामने आना ही होगा। वगैर क्रान्ति का यह मशला हल नहीं होगा।-ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे महाराज (सम्पादक) ज्योतिष का सूर्य , हिन्दी मासिक पत्रिका भिलाई (छ.ग.)
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