मित्रों ,गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर आप सभी देश वासियों को बधाई एवं विवेक, सदग्यान के देवता गणेश आप सभी की मनोकामना अपने परिवार सहित आपके हर मोड़ पर सहाय हों और आपको समृद्धशाली बनावें ...आईए चर्चा करते हैं गणपति आराधना की।
ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे |
गणपति बप्पा मोरिया.... भगवान गणेश के स्तुति मात्र से सब काम बन जायेंगे .......
--ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे '' ज्योतिष का सूर्य '' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका,भिलाई, Bhilai (C.g.) 09827198828
श्रीगणेश चतुर्थी विघ्नराज, मंगल कारक, प्रथम पूज्य, एकदंत भगवान गणपति के प्राकट्य का उत्सव पर्व है। आज के युग में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मानव जाति को गणेश जी के मार्गदर्शन व कृपा की आज हमें सर्वाधिक आवश्यकता है। आज हर व्यक्ति का अपने जीवन में यही सपना है की रिद्धि सिद्धि, शुभ-लाभ उसे निरंतर प्राप्त होता रहे, जिसके लिए वह इतना अथक परिश्रम करता है। ऐसे में गणपति हमें प्रेरित करते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं। सर्वप्रथम भगवान गणेश के बारे में हमें जानना व समझना आवश्यक है, तभी हम लोग उनकी यथोचित स्तुती कर पायेंगे। तो शुरु करते हैं उनके वाहन मूषक जी से।
क्यों और कौन हैं मूषक वाहन...?
प्राचीन समय में सुमेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था। उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था। एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए और मनोमयी गृह-कार्य में लग गई। उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व वहाँ आया और उसने अनुपम लावण्यवती मनोमयी को देखा तो व्याकुल हो गया।
कौंच ने ऋषि-पत्नी का हाथ पकड़ लिया। रोती और काँपती हुई ऋषि पत्नी उससे दया की भीख माँगने लगी। उसी समय सौभरि ऋषि आ गए। उन्होंने गंधर्व को श्राप देते हुए कहा 'तूने चोर की तरह मेरी सहधर्मिणी का हाथ पकड़ा है, इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे और चोरी करके अपना पेट भरेगा।
काँपते हुए गंधर्व ने मुनि से प्रार्थना की-'दयालु मुनि, अविवेक के कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ का स्पर्श किया था। मुझे क्षमा कर दें। ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं होगा, तथापि द्वापर में महर्षि पराशर के यहाँ गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे (हर युग में गणेशजी ने अलग-अलग अवतार लिए) तब तू उनका वाहन बन जाएगा, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे।
गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं-
कौंच ने ऋषि-पत्नी का हाथ पकड़ लिया। रोती और काँपती हुई ऋषि पत्नी उससे दया की भीख माँगने लगी। उसी समय सौभरि ऋषि आ गए। उन्होंने गंधर्व को श्राप देते हुए कहा 'तूने चोर की तरह मेरी सहधर्मिणी का हाथ पकड़ा है, इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे और चोरी करके अपना पेट भरेगा।
काँपते हुए गंधर्व ने मुनि से प्रार्थना की-'दयालु मुनि, अविवेक के कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ का स्पर्श किया था। मुझे क्षमा कर दें। ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं होगा, तथापि द्वापर में महर्षि पराशर के यहाँ गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे (हर युग में गणेशजी ने अलग-अलग अवतार लिए) तब तू उनका वाहन बन जाएगा, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे।
गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं-
गणपति के प्रभावशाली 12 नाम...!
सुमुख, एकदंत,कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। उप्रोक्त द्वादश नाम नारद पुरान मे पहली बार गणेश के द्वादश नामवलि मे आया है| विद्यारम्भ तथ विवाह के पूजन के प्रथम मे इन नामो से गणपति के अराधना का विधान है|
भगवान गणेश जी के पारिवारीक-सदस्यों का परिचय:
पिता- भगवान शिव
माता- भगवती पार्वती
भाई- श्री कार्तिकेय
पत्नी- दो 1.रिद्धि 2. सिद्धि (दक्षिण भारतीय संस्कृति में गणेशजी ब्रह्मचारी रूप में दर्शाये गये हैं)
पुत्र- दो 1. शुभ 2. लाभ
प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- मोदक, लड्डू
प्रिय पुष्प- लाल रंग के
प्रिय वस्तु- दुर्वा (दूब) शमी-पत्र
अधिपति- जल तत्व के
प्रमुख अस्त्र- पाश, अंकुश
वाहन - मूषक
माता- भगवती पार्वती
भाई- श्री कार्तिकेय
पत्नी- दो 1.रिद्धि 2. सिद्धि (दक्षिण भारतीय संस्कृति में गणेशजी ब्रह्मचारी रूप में दर्शाये गये हैं)
पुत्र- दो 1. शुभ 2. लाभ
प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- मोदक, लड्डू
प्रिय पुष्प- लाल रंग के
प्रिय वस्तु- दुर्वा (दूब) शमी-पत्र
अधिपति- जल तत्व के
प्रमुख अस्त्र- पाश, अंकुश
वाहन - मूषक
ज्योतिष के अनुसार
ज्योतिष्शास्त्र के अनुसार गणेशजी को केतु के रूप मे जाना जाता है,केतु एक छाया ग्रह है,जो राहु नामक छाया ग्रह से हमेशा विरोध मे रहता है, बिना विरोध के ज्ञान नही आता है, और बिना ज्ञान के मुक्ति नही है, गणेशजी को मानने वालों का मुख्य प्रयोजन उनको सर्वत्र देखना है, गणेश अगर साधन है तो संसार के प्रत्येक कण मे वह विद्यमान है। उदाहरण के लिये तो जो साधन है वही गणेश है, जीवन को चलाने के लिये अनाज की आवश्यकता होती है, जीवन को चलाने का साधन अनाज है, तो अनाज गणेश है, अनाज को पैदा करने के लिये किसान की आवश्यकता होती है, तो किसान गणेश है, किसान को अनाज बोने और निकालने के लिये बैलों की आवश्यक्ता होती है तो बैल भी गणेश है,अनाज बोने के लिये खेत की आवश्यक्ता होती है, तो खेत गणेश है,अनाज को रखने के लिये भण्डारण स्थान की आवश्यक्ता होती है तो भण्डारण का स्थान भी गणेश है, अनाज के घर मे आने के बाद उसे पीस कर चक्की की आवश्यक्ता होती है तो चक्की भी गणेश है, चक्की से निकालकर रोटी बनाने के लिये तवे, चीमटे और रोटी बनाने वाले की आवश्यक्ता होती है, तो यह सभी गणेश है, खाने के लिये हाथों की आवश्यक्ता होती है, तो हाथ भी गणेश है, मुँह मे खाने के लिये दाँतों की आवश्यक्ता होती है, तो दाँत भी गणेश है, कहने के लिये जो भी साधन जीवन मे प्रयोग किये जाते वे सभी गणेश है, अकेले शंकर पार्वते के पुत्र और देवता ही नही।
विषय का ज्ञान अर्जन कर विद्या और बुद्धि से एकाग्रचित्त होकर पूरे मनोयोग तथा विवेक के साथ जो भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु परिश्रम करे, निरंतर प्रयासरत रहे तो उसे सफलता अवश्य मिलती है। गणेश पुराण के अनुसार गणपति अपनी छोटी-सी उम्र में ही समस्त देव-गणों के अधिपति इसी कारण बन गए क्योंकि वे किसी भी कार्य को बल से करने की अपेक्षा बुद्धि से करते हैं। बुद्धि के त्वरित व उचित उपयोग के कारण ही उन्होंने पिता महादेव से वरदान लेकर सभी देवताओं से पहले पूजा का अधिकार प्राप्त किया।
विषय का ज्ञान अर्जन कर विद्या और बुद्धि से एकाग्रचित्त होकर पूरे मनोयोग तथा विवेक के साथ जो भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु परिश्रम करे, निरंतर प्रयासरत रहे तो उसे सफलता अवश्य मिलती है। गणेश पुराण के अनुसार गणपति अपनी छोटी-सी उम्र में ही समस्त देव-गणों के अधिपति इसी कारण बन गए क्योंकि वे किसी भी कार्य को बल से करने की अपेक्षा बुद्धि से करते हैं। बुद्धि के त्वरित व उचित उपयोग के कारण ही उन्होंने पिता महादेव से वरदान लेकर सभी देवताओं से पहले पूजा का अधिकार प्राप्त किया।
कैसे करे गणपति पूजन...?
सर्वप्रथम एक शुद्ध मिटटी या किसी धातु से बनी श्री गणेश जी की मूर्ति घर में लाकर स्थापित करें व मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाकर षोड्शोपचार से उनका पूजन करना चाहिए तथा दक्षिणा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से पांच लडडू गणेश जी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राम्हणों में बांट देना चाहिए। गणेश जी की पूजा सायंकाल के समय की जानी चाहिए जो उत्तम है।
आज के दिन चन्द्र दर्शन निषेध
'जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। इस दिन चन्द्र दर्शन करने से भगवान श्री कृष्ण को भी मणि चोरी का कलंक लगा था।
यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-
'सिहःप्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥
किन विशेष मंत्रो का करें जाप-
शास्त्रोक्त वचन अनुसार यह गणेश मंत्र त्वरित, चमत्कारिक, आर्थिक प्रगति व समृध्दिदायक, समस्त बाधाएं दूर करने वाला हैं।
ॐ गं गणपतये नमः।
शत्रु द्वारा की गई तांत्रिक क्रिया को नष्ट करने व विविध कामनाओं कि शीघ्र पूर्ति हेतु यह मंत्र लाभकारी है।
ॐ वक्रतुंडाय हुम्।
आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करें।
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।
मंत्र जाप से कर्म बंधन, रोगनिवारण, समस्त विघ्न, कुबुद्धि, कुसंगत्ति, दूर्भाग्य, से मुक्ति होती हैं व आध्यात्मिक चेतना, धन प्राप्त होता है।
ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:।
मेषः वाहन प्रयोग में सावधानी अपेक्षित है। श्री आदित्य ह्रदय स्त्रोत्र का नित्य प्रात: पाठ करें।
वृषभः आज कार्यक्षेत्र में व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी। शिव की अराधना करें।
मिथुनः नए व्यापारिक अनुबंध प्राप्त होंगे। मुख में मिश्री रखें।
कर्कः पारिवारिक जीवन सुखमय होगा। ॐ बुं बुधाय नमः' का जाप करें।
सिंहः आर्थिक योजनाएं सफल होंगी। ॐ बम बटुकाय नमःका जाप करें।
कन्याः आय के नए स्रोत्र बनेंगे। लाभ मजबूत होगा। काली वस्तु का दान करें।
तुलाः वाणी पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। लाल वस्तु का दान करें।
वृश्चिकः आज परिवार से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण निर्णय लें। ॐ आदित्याय नमःका जाप करें।
धनुः परिवार में किसी छोटे बच्चे के स्वास्थ के प्रति सचेत रहें। शिव चालीसा व अभिषेक लाभकारी होगा।
मकरः आज व्यापार के कारण मानसिक उलझनें अधिक रहेगी। भैरव अराधना करें।
कुम्भः अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। धनदा स्तोत्र का पाठ करें।
मीनः दांपत्यजीवन में भी शांति और मेल-जोल बना रहेगा। सफ़ेद वस्तु का दान करें।
यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-
'सिहःप्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥
किन विशेष मंत्रो का करें जाप-
शास्त्रोक्त वचन अनुसार यह गणेश मंत्र त्वरित, चमत्कारिक, आर्थिक प्रगति व समृध्दिदायक, समस्त बाधाएं दूर करने वाला हैं।
ॐ गं गणपतये नमः।
शत्रु द्वारा की गई तांत्रिक क्रिया को नष्ट करने व विविध कामनाओं कि शीघ्र पूर्ति हेतु यह मंत्र लाभकारी है।
ॐ वक्रतुंडाय हुम्।
आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करें।
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।
मंत्र जाप से कर्म बंधन, रोगनिवारण, समस्त विघ्न, कुबुद्धि, कुसंगत्ति, दूर्भाग्य, से मुक्ति होती हैं व आध्यात्मिक चेतना, धन प्राप्त होता है।
ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:।
मेषः वाहन प्रयोग में सावधानी अपेक्षित है। श्री आदित्य ह्रदय स्त्रोत्र का नित्य प्रात: पाठ करें।
वृषभः आज कार्यक्षेत्र में व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी। शिव की अराधना करें।
मिथुनः नए व्यापारिक अनुबंध प्राप्त होंगे। मुख में मिश्री रखें।
कर्कः पारिवारिक जीवन सुखमय होगा। ॐ बुं बुधाय नमः' का जाप करें।
सिंहः आर्थिक योजनाएं सफल होंगी। ॐ बम बटुकाय नमःका जाप करें।
कन्याः आय के नए स्रोत्र बनेंगे। लाभ मजबूत होगा। काली वस्तु का दान करें।
तुलाः वाणी पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। लाल वस्तु का दान करें।
वृश्चिकः आज परिवार से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण निर्णय लें। ॐ आदित्याय नमःका जाप करें।
धनुः परिवार में किसी छोटे बच्चे के स्वास्थ के प्रति सचेत रहें। शिव चालीसा व अभिषेक लाभकारी होगा।
मकरः आज व्यापार के कारण मानसिक उलझनें अधिक रहेगी। भैरव अराधना करें।
कुम्भः अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। धनदा स्तोत्र का पाठ करें।
मीनः दांपत्यजीवन में भी शांति और मेल-जोल बना रहेगा। सफ़ेद वस्तु का दान करें।
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