ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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रविवार, 22 जुलाई 2018

चौबेजी कहिन:- आज से 4 माह योगनिद्रा में शयन करने चले जायेंगे भगवान विष्णु, 'हरिशयनी' एकादशी का व्रत हमारे ऋषियों द्वारा दी गई 'साइंटिफिक उपहार' है.....🌹🌹🌹🙏🙏🙏

आज आषाढ़ मास के शुक्ल में पड़ने वाली एकादशी देवशयनी एकादशी है। आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌺🌹🌺🙏 आज से चातुर्मास प्रारंभ हो गया है। आज से भगवान विष्णु 4 माह के लिए पाताल लोक में योगनिद्रा करने चले जाते हैं। जिसके कारण 4 माह तक किसी भी तरह का शुभ कार्य जैसे यज्ञ, विवाह, व्यापारिक कार्यों का शुभारंभ आदि मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त को आज 'चौबेजी कहिन'' में जानने का प्रयास करते हैं।

ज्योतिष के अनुसार सूर्य के मिथुन राशि में आने पर यह एकादशी (पद्मनाभा) आती है। पुराणों में प्राप्त संदर्भों के अनुसार भगवान विष्णु इस दिन से चार मासपर्यन्त (चातुर्मास) पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करके कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। इसी प्रयोजन से इस दिन को 'देवशयनी' तथा कार्तिकशुक्ल एकादशी (19/11/2018) को प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। इस काल में यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, गृहप्रवेश, गोदान, प्रतिष्ठा एवं जितने भी शुभ कर्म है, वे सभी त्याज्य होते हैं। भविष्य पुराण, पद्म पुराण तथा श्रीमद्भागवत पुराणके अनुसार हरिशयन को 'योगनिद्रा' कहा गया है। आज हम अपने निवास सड़क -26, शांतिनगर भिलाई-दुर्ग छत्तीसगढ़ में 'हरिशयनी एकादशी व्रतोत्सव' का आयोजन किया है।

साथियों🌷संस्कृत में धार्मिक साहित्यानुसार 'हरि' शब्द सूर्य, चन्द्रमा, वायु, विष्णु आदि अनेक अर्थो में प्रयुक्त है।  साईंटिफ ढंग से देखा जाए तो 🚩हरिशयन🚩 का तात्पर्य इन चार माह में बादल और वर्षा के कारण सूर्य-चन्द्रमा का तेज क्षीण हो जाना उनके शयन का ही द्योतक होता है। इस समय में पित्त स्वरूप अग्नि की गति शांत हो जाने के कारण शरीरगत शक्ति क्षीण या सो जाती है। आधुनिक युग में वैज्ञानिकों ने भी खोजा है कि कि चातुर्मास्य में (मुख्यतः वर्षा ऋतु में) विविध प्रकार के कीटाणु अर्थात सूक्ष्म रोग जंतु उत्पन्न हो जाते हैं, जल की बहुलता और सूर्य-तेज का भूमि पर अति अल्प प्राप्त होना ही इनका कारण है। अत: सनातनधर्म सद्य: एक प्रमाणित धर्म है जो ना केवल वैज्ञानिक है वरन् व्यावहारिक जीवन को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक है अतएव इस व्रत को हम सभी को इस व्रत को करना चाहिए।

दूरभाष क्रमांक -09827198828

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