ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शुक्रवार, 14 मार्च 2014

होली का शुभ मुहूर्र्त एवं होली में कौन सा रंग आपके लिए है शुभ

होली का शुभ मुहूर्र्त एवं होली में कौन सा रंग आपके लिए है शुभ 

साथ ही ग्रहों की शांति भी 

मित्रों, आप सभी को सपरिवार रंग बिरंगी होली महापर्व के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ....

होली दहन 16 मार्च को सर्वार्थसिद्धि योग में प्रदोषकाल के दौरान होगा। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (रविवार) को रात 10 बजकर 16 मिनट के पहले होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है, क्योंकि इसके बाद पुर्णीमा समाप्त हो जायेगा। पूर्णिमा में ही होलिकादहन शास्त्र सम्मत है। होलिकोत्सव चैत्र कृष्ण प्रतिपदा सोमवार (17 मार्च) को परम्परागत रूप से मनाया जाएगा।
क्या है दुर्लभ संयोग:
होली का पर्व इस बार 17 मार्च को कई संयोग लेकर आ रहा है। होली पर चार ग्रह एक साथ वक्री होंगे। राहु और केतु सदैव वक्री रहते है। ऐसे में वतर्मान स्थिति में शनि वक्री होने के साथ-साथ राहु के साथ तुला राशि में स्थित है। शनि के अलावा मंगल भी वक्री हो गए हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो होली पर चार ग्रह शनि, मंगल, राहु और केतु वक्री रहेंगे। तुला राशि में मंगल के साथ शनि और राहु का एक साथ वक्रगति में मिलन होना शताधिक वर्षों बाद एक दुर्लभ संयोग है। होली पर इस बार मंगल, शनि और राहु की युति राजनीति के शुभ संकेत दे रही है। यह संयोग जहां एक ओर अर्थव्यवस्था में सुधार होगा वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार में अप्रत्याशित उछाल देखने को मिलेगा।
पुराणों के अनुसार:
सती से मोहभंग के बाद शास्वत शिव अखण्ड समाधि में लीन थे और इधर हिमांचल पुत्री पार्वति का शिव से विवाह और स्कन्द का पुत्र रुप में प्रकट होना तय था, ताकि उसी पुत्र स्कन्द से राक्षसों का वध हो और स्वर्गादि लोकों में राक्षसों का आधिपत्य समाप्त हो सके। शिव के अखण्ड समाधि को तोड़ने के लिए कामदेव को भेजा गया, कामदेव ने शिव पर कामबांण से शिव पर प्रहार किया। भगवान शिव का तिसरा नेत्र खुल गया जिससे सामने खड़े कामदेव भस्म हो गया तबसे होली को काम दहन दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। नृसिंह भगवान ने असुर भक्त हिरण्यकश्यप का संहार किया था। होलाष्टक में शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं।
प्राकृतिक रंगो से ही मनायें होली :
आयुर्वेद ने प्राकृतिक रंगों में पलाश के फूलों के रंग को बहुत महत्वपूर्ण माना है। यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। यह प्राकृतिक नारंगी रंग रक्तसंचार की वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है। अत: पानी का अपव्यय न करें।
होली के रंगों के साथ ग्रहों की शांति भी:
मेष और वृश्चिक राशि वालों के लिए सूखा लाल रंग:
लाल गुलाल के स्थान पर लाल चंदन (रक्त चंदन) के पाउडर का उपयोग किया जा सकता है। व्यापार में वृद्धि और नौकरी में प्रमोशन के अलावा शिक्षण कार्य में प्रगति के लिए शुभदायक रहेगा।
वृषभ और तुला राशि वालों के लिए भूरा रंग: आँवला चूर्ण और मुलतानी मिट्टी के मिश्रण से तैयार रंग से होली खेलें और तरक्की के मार्ग को प्रशस्त करें।
मिथुन और कन्या राशि वालों के लिए सूखा हरा रंग: केवल मेंहदी पाउडर या उसे आटे में मिलाकर बनाये गये मिश्रण से होली खेलें ताकि चार ग्रहों के वक्रगति से उत्पन्न अशुभ फलों से निजात मिलेगा।
कर्क राशि वालों के लिए सफेद गुलला से हली खेलनी चाहिए, सिंह राशि वालों को सुनहले रंगों का प्रयोग करना शुभदायक रहेगा।
धनु और मीन राशि वालों के लिए सूखा पीला रंग:
चार चम्मच बेसन में दो चम्मच हल्दी पाउडर मिलाने से अच्छा पीला रंग बनता है, जो त्वचा के लिए साथ ही विवाह में विलंब अथवा दाम्पत्य जीवन में आ रहीं बाधाओं को समाप्त करता है।
मकर और कुंभ राशि वालों के लिए जमुनी रंग: चुकंदर को पानी में उबालकर पीस के बढ़िया जामुनी रंग तैयार होता है। इस रंग से होली खेलने से निश्चित ही शनि के ढ़ैया अथवा साढ़ेसाती के अलावा रुके हुए कार्य को बल मिलता है।
-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक ''ज्योतिष का सूर्य'', राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई  

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