ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शनिवार, 11 मई 2013

छत्तीसगढ़ में 'अक्ती' और पूरे देश में अक्षय तृतीया..

Pt.Vinod choubey
मित्रों, नमस्कार सर्वप्रथम अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर आप सभी को ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...।
छत्तीसगढ़ में 'अक्ती' के नाम से प्रचलित अक्षय तृतीया को लेकर पूरे राज्य में तैयारी चल रही है. लगभग 28 वर्षों बाद अद्भुत संयोग के साथ आ रही हैं.अक्षय तृतीया  13 मई को मनाई जाएगी. अक्षय तृतीया पर्व पर इस बार शनि 28 साल बाद अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे. भक्तों के लिए यह संयोग विशेष फलदायी होगा. भगवान परशुराम जयंती पर्व 12  मई को इसे मनाया जायेगा।

विशेष संयोग: सूर्य अपनी उच्च राशि में
अक्षय तृतीया इस बार विशेष संयोगों के साथ आ रही है. पर्व पर जहां एक ओर सूर्य देव अपनी उच्च राशि 'मेष' और चंद्र देव अपनी उच्च राशि 'वृषभ' में गोचर करेंगे, वहीं न्याय के देवता भगवान शनि भी अपनी उच्च राशि 'तुला' में गोचर करेंगे.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 28 साल बाद अक्षय तृतीया पर शनि देव का गोचर हो रहा है. इस संयोग से भक्तों को हर क्षेत्र में सकारात्मक फल की प्राप्ति होगी. ज्योतिष
के अनुसार इस अवसर पर शनि साढ़े साती से पीड़ित जातक भगवान शनि की विधिवत आराधना, हवन-अनुष्ठान कर इस दोष से छुटकारा पा सकेंगे.

आईए अब इस पावन पर्व पर भगवान परशुराम की स्तृति परक यह स्तोत्र का पाठ कर आत्मसात करने का प्रयास करें ताकि हमारे जीवन में शौर्य ऊर्जा का संचार हो।
परशुरामाष्टाविंशतिनामस्तोत्रं
ऋषिरुवाच-

यमाहुर्वासुदेवांशं हैहयानां कुलान्तकम्‌।

त्रिःसप्तकृत्वो य इमां चक्रे निःक्षत्रियां महीम्‌॥1॥

दुष्टं क्षत्रं भुवो भारमब्रह्मण्यमनीनशत्‌।

तस्य नामानि पुण्यानि वच्मि ते पुरुषर्षभ॥2॥

भू-भार-हरणार्थाय माया-मानुष-विग्रहः।

जनार्दनांशसम्भूतः स्थित्युत्पत्तयप्ययेश्वरः॥3॥

भार्गवो जामदग्न्यश्च पित्राज्ञापरिपालकः।

मातृप्राणप्रदो धीमान्‌ क्षत्रियान्तकरः प्रभु॥4॥

रामः परशुहस्तश्च कार्तवीर्यमदापह।

रेणुकादुःखशोकघ्नो विशोकः शोकनाशन॥5॥

नवीन-नीरद-श्यामो रक्तोत्पलविलोचनः।

घोरो दण्डधरो धीरो ब्रह्मण्यो ब्राह्मणप्रियस॥6॥

तपोधनो महेन्द्रादौ न्यस्तदण्डः प्रणान्तधीः।

उपगीयमानचरित-सिद्ध-गन्धर्व-चारणै॥7॥

जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि दुःख शोक-भयातिग।

इत्यष्टाविंशतिर्नाम्नामुक्ता स्तोत्रात्मिका शुभा॥8॥

अनया प्रीयतां देवो जामदग्न्यो महेश्वरः।

नेदं स्तोत्रमशान्ताय नादान्तायातपस्विने॥9॥

नावेदविदुषे वाच्यमशिष्याय खलाय च।

नासूयकायानृजवे न चाऽनिर्दिष्टकारिणे॥10॥

इदं प्रियाय पुत्राय शिष्यायानुगताय च।

रहस्यधर्मं वक्तव्यं नाऽन्यस्मै तु कदाचन॥11॥

॥ इति परशुरामाष्टाविंशतिनामस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥

ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे, संपादक ज्योतिष का सूर्य, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई-9827198828

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