शिक्षा समाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है- डॉ. बसीर
भिलाई के जामुल स्थित उदय महाविद्यालय में मनोविज्ञान-विश्लेषण पर आधारीत विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के डा.बसीर हसन (डायरेक्टर इन्स्टिीट्यूट ऑफ टीचर एजूकेशन) बतौर मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती का पूजन अर्चन व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। मुख्य अतिथि डॉ.बसीर हसन का स्वागत डॉ.टी.आर.साहू (डायरेक्टर) ने बुके प्रदान कर किया, एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. अब्दुल सत्तार का स्वागत उदय महाविद्यालय के प्राचार्य ने बुके प्रदान कर की,वहीं कुमारी किरण प्रजापति, धनेश्वरी साहू, कुसुम गिरी आदि बी.एड. की छात्राओं ने सरस्वती वन्दना को लयबद्ध गाकर उपस्थित जनों को मन्त्र मुग्ध कर दिया। स्वागत भाषण के दौरान ही डॉ.बसीर हसन का संक्षिप्त परिचय मोहम्मद हारुन रसीद ने अपने रुपहले अंदाज में इस प्रकार प्रस्तुत किये की बी.एड. के छात्र एवं छात्राएँ डॉ.बसीर के जीवन परिचय से खासा प्रभावित हुए।
मुख्य वक्ता डॉ. बसीर हसन उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा एक पवित्र माध्यम है जिससे संस्कारवान समाज का निर्माण होता है और देश की तरक्की होती है। शिक्षा ही एक ऐसा जरीया है जिसके माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियाँ, रुढ़ीवादिता को मिटाकर स्वच्छ व चरित्रवान समाज का निर्माण किया जा सकता है। इसलिए कहा गया है शिक्षा समाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है। डॉ.हसन ने रोचक अन्दाज में शिक्षण की बारिकीयों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि बर्बल रीजनिंग के अन्तर्गत डिफरेन्सल एप्टिट्यूट टेस्ट एक समूह मानक तय करके बच्चों की योग्यता, उपलब्धि एवं अभिक्षमता का आकलन करना आवश्यक है ताकि आप उस छात्र के मानसिकता को पढ़ सकें, और उसी आधार पर उसे शिक्षण देंगे तो निश्चित ही वह बच्चा विषय को आसानी से समझ सकेगा। उन्होंने आगे बताया कि यदि हम अपने क्षमता को भलिभाँति जानकर उसी क्षेत्र का चयन करें तो सफलता अवश्य मिलेगी।
वहीं डॉ. अब्दुल सत्तार ने 1986 में लागू किये गये कोठारी आयोग शिक्षण नीति का जिक्र करते हुए बताया कि हॉई स्कूल में सभी विषयों को पढ़ाया जाना एक तरह से समय की मांग थी, जो अब सफल होते नजर आ रही है, उससे शिक्षा में रोचकता तो आई ही वरन् स्त्री-पुरुषों के साक्षरता का आँकड़ा नाम मात्र का था वह अब 2011 के सर्वे रिपोर्ट में बढ़ कर महिलाओं का प्रसेन्टेज 52, वहीं पुरुषों का आँकड़ा बढ़कर 72 प्रतिशत हो गई है, जो बेहद सुखद है।
कार्यक्रम में प्रमुख रुप से श्रीमति अलीफा साहू, श्रीमति यास्मिन शेख, प्रभा साहू एवं ईश्वर प्रसाद यदु आदि अध्यापकों के अलावा बी.एड. के सभी छात्र एवं छात्राएँ उपस्थित थीं। आभार प्रदर्शन कॉलेज के लेक्चरर श्री मोहम्मद हारुन रसीद ने की।
इस कार्यक्रम में मैं भी उपिस्थत था।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती का पूजन अर्चन व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। मुख्य अतिथि डॉ.बसीर हसन का स्वागत डॉ.टी.आर.साहू (डायरेक्टर) ने बुके प्रदान कर किया, एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. अब्दुल सत्तार का स्वागत उदय महाविद्यालय के प्राचार्य ने बुके प्रदान कर की,वहीं कुमारी किरण प्रजापति, धनेश्वरी साहू, कुसुम गिरी आदि बी.एड. की छात्राओं ने सरस्वती वन्दना को लयबद्ध गाकर उपस्थित जनों को मन्त्र मुग्ध कर दिया। स्वागत भाषण के दौरान ही डॉ.बसीर हसन का संक्षिप्त परिचय मोहम्मद हारुन रसीद ने अपने रुपहले अंदाज में इस प्रकार प्रस्तुत किये की बी.एड. के छात्र एवं छात्राएँ डॉ.बसीर के जीवन परिचय से खासा प्रभावित हुए।
मुख्य वक्ता डॉ. बसीर हसन उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा एक पवित्र माध्यम है जिससे संस्कारवान समाज का निर्माण होता है और देश की तरक्की होती है। शिक्षा ही एक ऐसा जरीया है जिसके माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियाँ, रुढ़ीवादिता को मिटाकर स्वच्छ व चरित्रवान समाज का निर्माण किया जा सकता है। इसलिए कहा गया है शिक्षा समाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है। डॉ.हसन ने रोचक अन्दाज में शिक्षण की बारिकीयों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि बर्बल रीजनिंग के अन्तर्गत डिफरेन्सल एप्टिट्यूट टेस्ट एक समूह मानक तय करके बच्चों की योग्यता, उपलब्धि एवं अभिक्षमता का आकलन करना आवश्यक है ताकि आप उस छात्र के मानसिकता को पढ़ सकें, और उसी आधार पर उसे शिक्षण देंगे तो निश्चित ही वह बच्चा विषय को आसानी से समझ सकेगा। उन्होंने आगे बताया कि यदि हम अपने क्षमता को भलिभाँति जानकर उसी क्षेत्र का चयन करें तो सफलता अवश्य मिलेगी।
वहीं डॉ. अब्दुल सत्तार ने 1986 में लागू किये गये कोठारी आयोग शिक्षण नीति का जिक्र करते हुए बताया कि हॉई स्कूल में सभी विषयों को पढ़ाया जाना एक तरह से समय की मांग थी, जो अब सफल होते नजर आ रही है, उससे शिक्षा में रोचकता तो आई ही वरन् स्त्री-पुरुषों के साक्षरता का आँकड़ा नाम मात्र का था वह अब 2011 के सर्वे रिपोर्ट में बढ़ कर महिलाओं का प्रसेन्टेज 52, वहीं पुरुषों का आँकड़ा बढ़कर 72 प्रतिशत हो गई है, जो बेहद सुखद है।
कार्यक्रम में प्रमुख रुप से श्रीमति अलीफा साहू, श्रीमति यास्मिन शेख, प्रभा साहू एवं ईश्वर प्रसाद यदु आदि अध्यापकों के अलावा बी.एड. के सभी छात्र एवं छात्राएँ उपस्थित थीं। आभार प्रदर्शन कॉलेज के लेक्चरर श्री मोहम्मद हारुन रसीद ने की।
इस कार्यक्रम में मैं भी उपिस्थत था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें