ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शनिवार, 10 नवंबर 2018

अल्ट्रावॉयलेट किरणों से रक्षा करने वाला विश्व का सबसे लोकप्रिय पर्व है 'छठपूजा'

छठ पर्व लोक पर्व नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर मनाए जाने वाला महापर्व है ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य नीच राशि तुला राशि पर होते हैं उस समय पृथ्वी पर सूर्य की नकारात्मक ऊर्जा (अल्ट्रावायलेट किरणों) की अधिकता होती है, अतः उससे पृथ्वी वासियों को बचाने के लिए ृृृ ऋग्वेद में कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को (सूर्यास्त) सायंकालीन एवं सप्तमी तिथि को प्रातः कालीन (सूर्योदय) के समय अर्घ्य प्रदान करने की परम्परा की शुरुआत हुई जो आज 'छठपूजा' के रुप में प्रसिद्ध हुआ। उत्तर भारत में अधिक मान्यता इस व्रत को लेकर है, यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति, संतान के दीर्घायु के लिए किया जाता है। यह व्रत यदि किसी कारणवश महिलाएं यह व्रत करने में असमर्थ होती हैं तो पुरुष भी इस व्रत को करते हैं।




छठ व्रतियों को इस दौरान स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है, और संतान की दीर्घायु, सुख समृद्धि सहित मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए स व्रत को किया जाता है। जिनकी मनौती पूरी हो जाती है वे सांध्यकालीन अर्घ्य देकर घाट से घर आने के बाद गन्ना का मण्डप बना कर चतुर्मुखी दीपक वाले कलश में चुडा (पोहा) मिठाई रखकर अपने पितरों को स्मरण करते हुए छठी मईया की गीत गाती हैं। इस व्रत में केला, सेव, अनानास, संतरा, नींबू, मुली, कंद-मूल एवं अनेक प्रकार के ऋतु फल के साथ ठेकुआ चढ़ाया जाता है। उपरोक्त सभी सामग्री को दौरी में जलते हुए दीपक के साथ घाट पर जाते हैं और वहां सूर्य मंत्र का वाचन करते हुए गाय का दुध मिश्रित जल से बांस की सुपेली (सूपा) या पितल के सूपा में सभी प्रकार के ऋतु फल रखकर सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।









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