नौका (नाव) पर सवार होकर आ रहीं हैं दुर्गा जी, नवरात्रि में बन रहे हैं कई दुर्लभ संयोग- ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे
शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर 2018 बुधवार को चित्रा नक्षत्र में आरंभ हो रहा है जो आगामी 18 अक्टूबर 2018 दिन गुरुवार नवमी तक रहेगा। माताजी का आगमन नाव पर सवार होकर आ रही हैं और उनका प्रस्थान ऐरावत हाथी पर सवार होकर होगा यानी इस वर्ष आर्थिक दृष्टि से व्यापारी एव उद्यमियों के बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। इस वर्ष भी यह शारदीय नवरात्र पूरे 9 दिन का रहेगा, जो सभी के लिए सुख एवं समृद्धि भरा रहेगा। तंत्रकल्प में दशमहाविद्याओं की साधना शारदीय नवरात्र में बेहद अनुकूल माना गया है, वहीं मेरुतंत्र और भैरव तंत्र साहित्य में तो नवरात्र के पंचमी, सप्तमी एवं अष्टमी तिथि की बहुत महत्ता बताई गई है। मार्कण्डेय पुराण में शक्ति पूजा के बारे में कहा गया है कि - "शरत्काले या पूजा क्रियते या च वार्षिकी" यानी वर्ष में यदि चार नवरात्रि में आपने शक्ति की उपासना नहीं कर पा रहे हैं तो 'शारदीय नवरात्र" में यह देवी-अनुष्ठान बेहद लाभकारी होता है। तंत्रमहार्णव में 'बगलामुखी' की उपासना करने पर बल दिया गया है क्योंकि यह बगलामुखी पुरश्चरण का विधान जहां शत्रु बाधा से मुक्ति दिलाता है वहीं श्री (लक्ष्मी) की प्राप्ति एवं सामाजिक, राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों पर विजय प्राप्त करने का काम भी करता है।
10 अक्टूबर को प्रतिपदा को कलश स्थापना के साथ इस नवरात्रि का अनुष्ठान आरंभ करना चाहिए।
स्थापना मुहूर्त :
प्रातः सूर्योदय से 07:27 मिनट तक सर्वोत्तम मुहूर्त है क्योंकि इसके बाद द्वितीया तिथि आरंभ हो जायेगी। यदि किसी कारणवश विलंब होता है तो प्रात: 10 बजकर 11 मिनट तक घट स्थापना कर ही लेना चाहिए ।
किसकी और कब पूजा की जानी चाहिए.
10 अक्टूबर (बुधवार) 2018 : घट स्थापन एवं माँ शैलपुत्री पूजा, माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
11 अक्टूबर (बृहस्पतिवार ) 2018 : माँ चंद्रघंटा पूजा
12 अक्टूबर (शुक्रवार ) 2018 : माँ कुष्मांडा पूजा
13 अक्टूबर (शनिवार) 2018 : माँ स्कंदमाता पूजा
14 अक्टूबरर (रविवार ) 2018 : पंचमी तिथि -सरस्वती आह्वाहन
15 अक्टूबर (सोमवार) 2018 : माँ कात्यायनी पूजा
16 अक्टूबर (मंगलवार ) 2018 : माँ कालरात्रि पूजा
17 अक्टूबर (बुधवार) 2018 : माँ महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी , महा नवमी
18 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) 2018 :नवरात्री पारण
19 सितम्बर (शुक्रवार ) 2018 : दुर्गा विसर्जन, विजय दशमी
राशियों के अनुसार देवी पूजन :
मेष:- लाल कपड़े से दुर्गा जी श्रृंगार करके पूजन करें।
वृषभ:- मां शैलपुत्री की कपूर एवं केसर से पूजन करें।
मिथुन:- कुष्मांडा देवी की अपामार्ग से पूजा करें ।
कर्क :- मां गौरी को मौलसिरी पुष्पों से पूजा करें।
सिंह:- मां अष्टभुजा देवी की उपासना करें, खीर का भोग लगाएं।
कन्या:- स्कन्द माता देवी का स्वर्ण के साथ पूजन करें।
तुला:- आपकी राशि से वृहस्पति प्रस्थान कर रहे हैं अत: इस नवरात्रि में आपको कामाख्या पूजा करें।
वृश्चिक:- सिंह वाहिनी देवी की रोज 11 पान के पत्तों से पूजन एवं भोग लगाएं।
धनु:- शनि जनित कष्ट दूर करने के लिए आपको देवी के साथ ही कालभैरव स्तोत्र का रोज 11 पाठ करें।
मकर:- मां कात्यायनी की पूजा करने से आय बढ़ेगी।
कुम्भ:- आपकी राशि पर शत्रु बाधा समाप्त करने के लिए बगलामुखी साधना करनी चाहिए।
मीन:- प्रतिदिन सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।
देवी आराधना में दुर्वा, मदार (अकवन) आक पुष्प वर्जित है। अखण्ड ज्योति में घी और तिल का प्रयोग करें। माता जी को दशमद का फुल बहुत प्रिय है। अनार फल तथा केसर युक्त खीर अत्यधिक प्रिय है। बगलामुखी साधना में पीले आसन, पुष्प एवं फलों का ही प्रयोग करना चाहिए।
इस बार के नवरात्रि में 10 अक्टूबर से 18 अक्टूबर के बीच में राजयोग, द्विपुष्कर योग, अमृत योग ,सर्वार्थसिद्धि और सिद्धियोग का संयोग भी बन रहा है। इन 9 दिनों में नवरात्रि पूजा-पाठ और खरीदारी अत्यधिक शुभ और फलदायी रहेगी।
- ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे, शांतिनगर, भिलाई।। मोबाइल नं. 9827198828
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