शताब्दी पहला संयोग है कि अक्षय तृतीया (अक्ति) को नही है विवाह का मुहूर्त
Pandit Vinod choubey |
मित्रों इस बार 9 मई को अक्षय तृतीया है आईए इस पावन पर्व पर कुछ विशेष चर्चा करने का प्रयास करते हैं मुझे विश्वास है कि आप लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
अक्षय तृतीया वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वैदिक धर्म ग्रंथों में विशेष महत्त्व दिया गया है, त्रेतायुग का आरंभ भी इसी शुभ तिथि को हुआ था, परशुराम अवतार के अलावा हिन्दू मान्यताओं के आधार पर इस तिथि को अबूझ मुहूर्त के रुप में मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृहप्रवेश तथा स्वर्ण, रजत धातुओं की खरीदी बेहद शुभ माना गया है। इस पावन पर्व की महत्ता का बखान चाहें जितना भी किया जाय उतना कम है। अक्षय तृतीया को जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हृयग्रीव और परशुराम का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था. बद्रीनाथ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं. प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुन: खुलते हैं.
'अक्षयÓ से तात्पर्य है 'जिसका कभी क्षय न होÓ अर्थात जो कभी नष्ट नहीं होता. अक्षय तृतीया (आखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है जो कभी क्षय नहीं होती, उसे अक्षय कहते हैं. इस दिन को शादी के लिए सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है और हिंदू धर्म में इस दिन सबसे ज्यादा शादियां आयोजित होती है. कहा जाता है कि इस दिन विवाह के लिए मुहूर्त देखने की भी जरूरत नहीं होती.
मैने देखा है कि अक्षय तृतीया को अक्ती के रुप में विशेष मान्यता देते हुए लोग सहज ही वैवाहिक कार्य करने की तिथि सुनिश्चित कर लेते हैं, प्राय: शत प्रतिशत इस तिथि को किये गये वैवाहिक कार्य नव-दम्पति के लिए बेहद शुभदायी सिद्ध होता है। किन्तु वर्ष तकरीबन लगभग 100 वर्षों बाद ऐसा मौका आया है कि विगत 2 मई 2016 को शुक्रास्त हो हो जाने की वजह से अक्षय तृतीया को विवाहदि मांगलिक कार्य वर्जित है। बावजूद लोग मान्यताओं के आधार पर विवाह अक्ति के दिन करने का फैसला ले चुके हैं, ऐसे लोगों को चाहिए कि शुक्र ग्रह की शांति अवश्य करना चाहिए साथ ही भगवान शिव का महाभिषेक दही से करना बेहद शुभदायक रहेगा।
अक्षय तृतीता पर शादी का मुहूर्त नहीं मिलना शताब्दी पहला संयोग है। 30जून 2016 को शुक्र के उदय होने से पुन: जुलाई महीने में जुलाई महीने में 6, 7, 10,11, 12 और 14 तारीख तक शादियों का शुभ मुहूर्त है. 15 जुलाई आषाढ़ शुक्ल एकादशी को हरिशयनी एकादशी है जिसके बाद सभी प्रकार के शुभ मुहूर्तों का अभाव हो जायेगा ऐसा 10 अक्तूबर 2016 देवप्रबोधिनी एकादशी तक रहेगा। पुन: 1 नवंबर 2016 से विवाह आदि के शुभ मुहूर्त आरंभ हो जायेंगे।
Pandit Vinod choubey |
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