ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

!!विशेष सूचना!!
नोट: इस ब्लाग में प्रकाशित कोई भी तथ्य, फोटो अथवा आलेख अथवा तोड़-मरोड़ कर कोई भी अंश हमारे बगैर अनुमति के प्रकाशित करना अथवा अपने नाम अथवा बेनामी तौर पर प्रकाशित करना दण्डनीय अपराध है। ऐसा पाये जाने पर कानूनी कार्यवाही करने को हमें बाध्य होना पड़ेगा। यदि कोई समाचार एजेन्सी, पत्र, पत्रिकाएं इस ब्लाग से कोई भी आलेख अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क कर अनुमती लेकर ही प्रकाशित करें।-ज्योतिषाचार्य पं. विनोद चौबे, सम्पादक ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका,-भिलाई, दुर्ग (छ.ग.) मोबा.नं.09827198828
!!सदस्यता हेतु !!
.''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के 'वार्षिक' सदस्यता हेतु संपूर्ण पता एवं उपरोक्त खाते में 220 रूपये 'Jyotish ka surya' के खाते में Oriental Bank of Commerce A/c No.14351131000227 जमाकर हमें सूचित करें।

ज्योतिष एवं वास्तु परामर्श हेतु संपर्क 09827198828 (निःशुल्क संपर्क न करें)

आप सभी प्रिय साथियों का स्नेह है..

शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

दीपावली में सूर्यग्रहण का कोई प्रभाव नहीं...... जानिए दीपावली- पूजन एवं मुहूर्त की संपूर्ण जानकारी

दीपावली में सूर्यग्रहण का कोई प्रभाव नहीं......

जानिए दीपावली- पूजन एवं मुहूर्त की संपूर्ण जानकारी


-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका

सत्य ही सर्वप्रेरक, सर्वोत्पादक और प्रकाशमय परमात्मा परमोज्योति और शांतिमय है, जैसा कि संसार में प्रकाशमान यह सूर्य है। यह सूर्य सर्वोत्पादक परमात्मा तथा अपनी कांति से सुशोभित उषा के साथ एक रहकर प्रकाश पर्व दीपावली हमें अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रेरणा देता है। अतः आएँ इस दीपावली में अपने अंदर के अंधकार को हटाकर ज्ञान का दीप जलाएँ और सारे जगत को प्रकाशमय बनाएँ।
आप सभी सुहृद मित्रों को दीपावली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ।
ॐ अग्रिर्ज्योतिर्ज्योतिरग्रिः स्वाहा। सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा। अग्रिर्वर्चो ज्योतिवर्चः स्वाहाः। सूर्योवर्चो ज्योतिर्वर्चःस्वाहा। ज्योतिः सूर्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा।



भारतीय चार महापर्वों मे से एक यह प्रकाश पर्व दीपावली के रुप में मनायी जाती है। दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावली शब्द 'दीप' एवं 'आवली' की संधि से बना है। आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है, दीपोंकी पंक्ति । भारतवर्षमें मनाए जानेवाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' अर्थात् 'अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए' यह उपनिषदोंकी आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। दीपावली के दिन भगवान श्रीराम ने चौदह वर्ष खत्म करने के साथ रावण से 84 दिन के घोर संग्राम में विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अंधियारी काली रात अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।

दीपावली का मुहूर्त :
चौघडिय़ा मुहूर्त:
प्रात: 08:58 से 10:22 (लाभ)
 ,,   10:22 से 11:46 (अमृत)
दोपहर 01:09 से 02:33 (शुभ)
सायं   05:21 से 06:44 (चर)एवं गोधूली बेला में दीपदान
सायं 06:44 से 08:से 08 (लाभ)
रात्रि 08:08 से 09:31 (अमृत)
अद्र्ध रात्रि 10:55 से 12:19 तक (शुभ)

स्थिर लग्न मुहूर्त:
प्रात: 07:30 से 09:47 तक (वृश्चिक)
दोपहर 01:40 से 03:11 तक (कुंभ)
सायं 06:16 से 08:12 तक (वृषभ)
अद्र्धरात्रि 12:44 से 02:58 तक सिंह लग्न
(उपरोक्त मुहूर्त में ही महालक्ष्मी की अद्र्धनिशा पूजन किया जाता है)

सूर्यग्रहण का कोई प्रभाव नहीं है:
कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या अर्थात् 3 नवंबर 2013 रविवार को होने वाला सूर्यग्रहण भारत में दृश्य नहीं है, यानी भारत में दिखाई नहीं देगा, और निर्णय सिन्धु तथा धर्म सिन्धु दोनों ग्रंथों का मत है कि, जिस स्थान पर सूर्य अथवा चन्द्रग्रहण दिखाई न देता हो उस भूभाग पर ग्रहण का कोई दोष नहीं लगता अथवा सूतक नहीं मान्य होता है। अत: भारत में दीपावली का महापर्व धूमधाम से मनाया जाना चाहिए। यह सूर्यग्रहण मध्यपूर्व अफ्रिका, दक्षिणी यूरोप, पूर्वोत्तर अमेरिका, पूर्वोत्तर दक्षिणी अमेरिका में ही दृश्य होगा। भारत में दृश्य नहीं होगा।
पूजा विधान:
दीपावली के सायंकाल चंद्रोदय के पश्चात् शरीर में तेल लगाकर अपामार्ग की लकड़ी को चल में तीन बार घुमावें और उसी जल से स्नान करें। तत्पश्चात् गणेश, लक्ष्मी एवं कुबेर आदि देवों का षोडसोपचार पूजन करने के साथ ही दीप मालिका का पूजन कर सभी दीपों के घर के देव स्थान, द्वार, तुलसी, जल, एवं कोष स्थान पर रखना चाहिए। दूकान, कंपनी तथा कारपोरेट ऑफिसों में भी इसी प्रकार पूजन करना चाहिए, किन्तु स्फटिक श्रीयंत्र एवं व्यापार लक्ष्मी का पूजन विशेष रुप से की जानी चाहिए।

-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक ''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई, मोबा. नं.098271- 98828

कोई टिप्पणी नहीं: