ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शुक्रवार, 15 जून 2012

व्यभिचारी ही चण्ड-मुण्ड हैं आज की महिलाओं को चण्डी बनकर इनका नाश़ करना चाहिए- पं.विनोद चौबे

व्यभिचारी ही चण्ड-मुण्ड हैं आज की महिलाओं को चण्डी बनकर इनका नाश़ करना चाहिए- पं.विनोद चौबे


धमधा के धरमपुरा (बरहापुर) ग्राम में स्थित तिवारी कृषि फार्म हॉऊस में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के नववें दिन व्यासपीठ से ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे ने बताया कि संसार में प्रवृत्ती-वृत्ती रूपी आज भी चण्ड-मुण्ड जैसे असुर विद्यमान हैं जिनके द्वारा पराई स्त्रीयों पर काम-वासना की दृष्टि से दृष्टिपात कर समाज में व्यभिचार को बढ़ावा देते हैं, ऐसे कामासक्त आसुरी प्रवृत्ती वाले राक्षसों से बचाव के लिए माँ भगवती जैसा स्वयं महिलाओं को चण्डी का रूप धारण कर उन चण्ड-मुण्डों को मान-सम्मान और मर्यादा रूपी युद्ध में आज की महिलाओं को सामने आकर इन राक्षसों को इस युद्ध में पराजित करना होगा। शुम्भ-निशुम्भ भी काम-वासना के प्रतीक हैं, वहीं धूम्रलोचन ही लोक मर्यादा भूलकर आज अश्लिल-साहित्यों के माध्यम से आमजनमानस में काम (वासना) की आसक्ती को फैलाने का काम करता है, जिसके कारण छोटे-छोटे बच्चे भी काम-वासना की गिरफ्त में आकर वासना की तृप्ती के लिए स्वजनों को हवस का शिकार बनाने में अन्धे हो जाते हैं, उपरोक्त सभी राक्षसों से बचने के लिए श्रीमद्देवीभागवत के अष्टम स्कन्ध में स्वयं देवी द्वारा पुरूष-स्त्री में कोई भेद नहीं नहीं है ऐसा जानकर भक्तों के अन्दर इस प्रकार की काम-वासना और हवस जैसा सामाजिक अभिशाप समाप्त हो जाता है। और वह भक्त अपनी स्त्री के अलावा अन्य सभी स्त्रीयों को मातृवत समझने लगता है, जरूरत है समाज में श्रीमद्देवीभागवत के इन प्रेरक प्रसंगों को जन-जन तक पहुँचाने की। इससे स्वस्थ भारत सुखी भारत बन सकता है, साथ ही जगतजननी मैय्या दुर्गा के प्रति सच्ची भक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
आचार्य पं. कृष्णदत्त त्रिपाठी ने पंचांग पूजन के अलावा 11 कन्याओं का पूजन कराये। केशव प्रसाद, महेश चौधरी (लक्ष्मीकांत प्यारेलाल) एवं बबलु शुक्ल ने सुन्दर भजनों से शमा बांधे रक्खा।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ.शम्भुदयाल तिवारी, जयप्रसाद तिवारी (गुरूजी), विजय प्रसाद तिवारी , गिरीशपति तिवारी, काशीराम देवांगन, फिरन्ता साहू (पूर्व जनपद सदस्य), कुंवास साहू, लखन वर्मा, बीवीरसिंह ठाकुर, नारद यादव, खेलन यादव, रामनारायन शर्मा, भगवन्ता साहू, गांधी साहू, लतेल साहू आदि बड़ी संख्या में श्ररद्धालु उपस्थित थे।

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