आत्महत्या करना जन्मजन्मांतर चाण्डाल बनने को न्यौता देना है- पं.विनोद चौबे
धमधा के धरमपुरा (बरहापुर) ग्राम में स्थित तिवारी कृषि फार्म हॉऊस में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के छठवे दिन व्यासपीठ से ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे ने राजा सत्यव्रत की कथा सुनाते हुए बताया कि पूर्व में सूर्यवंशी राजा सत्यव्रत एवं हरिश्चन्द्र आदि राजाओं के राजधर्म को आजके राजनेता अनुकरण करें तो निश्चित ही आज भी सतयुग का सुख और शांति के साथ ही साथ देश और प्रदेश समृद्ध हो जायेगा।
राजा सत्यव्रत ने सदेह स्वर्ग जाने के लिए वशिष्ठजी से यज्ञ करने को कहता है लेकिन ऋषि वशिष्ठ राजा सत्यव्रत को ऐसे यज्ञ करने से मना कर देने पर सत्यव्रत ने दूसरे किसी ऋषि से यज्ञ करने की बात करता है जिसे मृत्युलोक के धर्मसूत्रों के अनुसार विधि व्यवस्था का अपमान समझ कर उस राज-ा सत्यव्रत को चाण्डाल होने का शाप दे देते हैं, और राजा सत्यव्रत चाण्डाल बन जाता है और वह अपने पुत्र हरिश्चन्द्र को राज्यभार देकर जंगल चला जाता है। वहाँ राजा सत्यव्रत को विश्वामित्र से मुलाकात होती है और विश्वामित्र ने उस राजा को सदेह स्वग्ग लोक भेजने लिए 24 लाख गायत्री मंत्र का महापुरश्चरण करते हैं, जिसके बाद वह स्वर्गलोक सदेह जाता है। लेकिन जब वह राजा सत्यव्रत चाण्डाल बन गया था तब वह अपने मन में विचार किया कि यदि मैं अपने आपको मार देता हुँ , तो इसे आत्महत्या की संज्ञा दी जायेगी अतः शास्त्रों में आत्महत्या करने से जन्म-जन्मांतर चाण्डाल होना बताया गया है,
आत्महत्या भवेन्नूनं पुनर्जन्मनि जन्मनि।
श्वपचत्वं च शापश्च हत्यादोषाद्भवेदपि।।
अतएव इस जन्म में वशिष्ठ के शाप से केवल एक जन्म चाण्डाल बना हुँ, यदि मैं आत्महत्या करता हुँ, तो मुझे कई जन्मों तक चाण्डाल बनना पड़ेगा।
पं.चौबे ने इस दृष्टान्त के माध्यम से समाज में बढ़ती आत्महत्याओं लम्बी फेहरिश्त को समूल समाप्त करने के लिए आज जरूरत है श्रीमद्देवीभागवत के इन कथा प्रसंगों को सुनकर जीवन में उतारने की।
आचार्य पं. कृष्णदत्त त्रिपाठी ने पंचांग पूजन के अलावा 11 कन्याओं का पूजन कराये। केशव प्रसाद, महेश चौधरी (लक्ष्मीकांत प्यारेलाल) एवं बबलु शुक्ल ने सुन्दर भजनों से शमा बांधे रक्खा।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ.शम्भुदयाल तिवारी, जयप्रसाद तिवारी (गुरूजी), विजय प्रसाद तिवारी , गिरीशपति तिवारी, काशीराम देवांगन, फिरन्ता साहू (पूर्व जनपद सदस्य), कुंवास साहू, लखन वर्मा, बीवीरसिंह ठाकुर, नारद यादव, खेलन यादव, रामनारायन शर्मा, भगवन्ता साहू, गांधी साहू, लतेल साहू आदि बड़ी संख्या में श्ररद्धालु उपस्थित थे।
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