क्या इन अधिकारीयों को छोड़ना उइन अधिकारीयों को छोड़ना उचित होगा।
जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि मै भारत जैसे दुनिया के सबसे अजीब देश में रह रहा हूँ ! क्या कहने इस देश के ! खैर अब आते हैं मूल मुद्दे पर ! काफी दिनों से व्यापक रूप से बहस चल रही है कि जनता बेवकूफ है जो गंदे नेताओं को चुनती है, नेता गंदे हैं, पुलिस भ्रष्ट है, सेना ऐसी है, वो वैसा है , मीडिया न जाने कैसी है , और फलां फलां फलां..!
शर्म तब आई जब २१वि शदी की सबसे जागरूक जनता के सामने यह सब घटित होते देख रहा हूँ और हम सब इन चीजों को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं ! चीखना चिल्लाना कब तक करे, किस से करे ? सड़क पर जाके लोगो को आप लाख बताइए , लोग फिर अगले चुनाव में वही रंग रूप दिखाएंगे ! कोई लाल रंग के पीछे भागेगा और कोई हरे तो कोई बैंगनी ! कोई पंजे कि तरफ तो कोई कमल के फूल कि तरफ ! और काहिर ये लोग भी तो वही हैं जो हम आप हैं ! मीडिया में भी वही लोग हैं हमारे आपके जैसे ! असल में ये भारत के पानी, मिटटी, हवा का असर है !" सब चलता है यहाँ " !
जब छत्तीसगढ़ के तमाम हीस्सों में आये दीन एक के बाद एक अदधिकारी,पटवारी से लेकर आयूक्त स्तर के धोखेबाज अफसरानों की लम्बी फेहरिश्त रिश्वत-खोरी में रंगे हाथ पकड़े जाते हैं. पकड़ने की बात तो समाचार पत्रों में जरूर आ दो-चोर दिन आती है लेकिन ठोस-सबुत के अभाव में और राजनेताओं के दबाव के कारम चार दिनों के बाद मामला ठंडा पड़ जाता है। और वह अधिकारी पुनः उसी पद पर बहाल हो जाता है। ऐसे में क्या इन अधिकारीयों को छोड़ना उइन अधिकारीयों को छोड़ना उचित होगा।
और ऐसे समाज जहाँ सरकार के पास तंत्र है इन लोगों पर लगाम कसने के लिए, वो भी चुप ! चुनाव आयोग जो कि बहुत से सराहनीय प्रयास करता आ रहा है ऐसे अवांछनीय तत्वों को रोकने के लिए, वो भी क्यों चुप है ! क्यों न ममता दीदी पर ऐसे लोगो का खुले आम साथ देने के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी जाए !
क्या इन घटनाओं को स्वीकार करके हम ऐसे अवांछनीय तत्वों को बढ़ावा नही दे रहे ? और हमारे जवानो के मनोबल का क्या , जो अपनी जान पे खेल के इनसे लोहा ले रहे हैं दिन रात ! और शायद कुछ जवानो कि ड्यूटी उस दिन इन देश विरोधी ताकतों कि सुरक्षा में भी लगी हो !
गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी जैसी लाख समस्याओं के बावजूद ऐसी चीजे मन को झकझोर देती हैं ! ऐसे लोगो के लिए तिरंगे कि भी क्या कीमत होगी !
उनका सर तो सिर्फ लाल झंडे के सजदे में झुकता होगा !
समय है परिवर्तन का ! युवा नेतृत्व और सोच को आगे लाने का !!
हाथ बढ़ाएँ, हाथ मिलाएं !
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