ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

सियासती मकड़जाल में सिसकती आदिवासी परंपराएं, और आदिवासी समुदाय पर चंगाई गिद्धों की कुदृष्टि

सियासती मकड़जाल में सिसकती आदिवासी परंपराएं, और आदिवासी समुदाय पर चंगाई गिद्धों की कुदृष्टि


*ज्योतिष का सूर्य* फरवरी-2019,  के मुखपृष्ठ पर हजारों वर्ष प्राचीन छत्तीसगढ़ के *रामनामी संप्रदाय* के एक गृहस्थ संत के चित्र को स्थान देकर वास्तविक में मैं और मेरा *ज्योतिष का सूर्य* मासिक पत्रिका के समूचा संपादक मंडल के सदस्य गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। हमारे छत्तीसगढ़ की परंपराएं अद्भुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय है, प्रभु श्रीराम का ननिहाल जो है। लेकिन दु:ख भी हो रहा है कि ऐसे रामभक्त आदिवासियों पर ईसाई मिशनरियों की गिद्ध दृष्टि पड़ चुकी है, लगातार इन *रामनानी संप्रदाय के गृहस्थ संतों की बस्तियों में से कुछ लोगों को ईसाई बनाने का अन्दर खाने षड्यंत्र चला रही हैं, और ये मिशनरियों द्वारा इस कार्य को इतनी सफाई से की जाती है कि इसका ना कोई सबूत होता, ना कोई धर्मांतरित करने की टाइमिंग, यहां तक की जो रामनामी संप्रदाय का आदिवासी धर्मांतरित होता है उसे भी बहुत बाद में पता चलता है कि वह अब हिन्दू नहीं बल्कि ईसाई बन चुका है, यह कब हुआ इसका उसको अहसास भी नहीं रहता। उसे तब पता चलता है …...जहां वह पिछले एक वर्ष से रविवार को प्रेयर में शामिल होने या चंगाई सभा में इलाज कराने, अथवा झाड़ फूंक कराने जाया करता था, वहां एक बड़ा सा आयोजन किसी पास्टर द्वारा किया जाता है उसमें कुछ बड़े नेताओं को बुलाया जाता है और धीरे से उसी दिन उस आदिवासी को एक क्रॉस गले लटका दिया जाता है, और उसे अलग से वर्जनाएं किसी समीपवर्ती चर्च के पादरी द्वारा बपिस्तमा के बाद बताया जाता है, और अब जो पहले हिन्दू था वह अब अब ईसाई बन चुका होता है, इसी प्रकार चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब कौशिल्या महतारी, प्रभु श्रीराम का ननिहाल यह पवित्र छत्तीसगढ़ ईसाई बाहुल्य प्रदेश बन जाएगा, और धरी की धरी रह जाएगी सरकार का संस्कृति मंत्रालय की सभी योजनाएं, और हजारों वर्ष प्राचीन छत्तीसगढ़ की आदिवासी समुदाय व उनकी संस्कृति नष्ट हो जाएगी। सियासती मकड़जाल में सिसकती आदिवासी परंपराएं, और आदिवासी समुदाय पर चंगाई गिद्धों की कुदृष्टि  पड़ चुकी है... लेकिन छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी की अस्मिता की बात करने वाली पूर्व की रमन सरकार या वर्तमान की भूपेश सरकार इन रामनानी संप्रदाय के लोगों को ना ही संरक्षित कर रही है ना ही छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को संवर्द्धित कर रही है, जरूरत है इस ओर ध्यान आकृष्ट करने की* ।

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