राशिनुसार रत्न धारण करने से मिलती है कमजोर ग्रहों को शक्ति
मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना,
कुण्डे कुण्डे नवं पय।
जातौ जातौ नवाचारा,
नवा वाणी मुखे मुखे।।
कुण्डे कुण्डे नवं पय।
जातौ जातौ नवाचारा,
नवा वाणी मुखे मुखे।।
अर्थात् प्रत्येक मनुष्य के सोचने का ढंग अलग-अलग होता है; प्रत्येक जलाशय के जल में भी अन्तर होता है। प्रत्येक जाति का रहन-सहन भिन्न-भिन्न होता है; और प्रत्येक व्यक्ति के मुख से बात प्रकट करने का ढंग भी अलग-अलग होता है।
उपरोक्त श्लोक के अनुसार राशि रत्न धारण करने हेतु ज्योतिषीयों में काफी विभीन्नता देखी जाती है, और यदि कुण्डली के सम्यक अध्ययन के बाद ही इन रत्नों का निर्धारण किया जाना चाहिये!
'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के संपादक पण्डित विनोद चौबे बताते हैं कि रत्नों का चयन जितना महत्वपूर्ण है उससे भी महत्वपूर्ण रत्नों को सिद्ध व प्राणप्रतिष्ठित करना है! कभी कभी तो महंगे रत्नों को धारण करने के बावजूद काम नहीं करते उसके प्रमुख तीन कारण है-
उपरोक्त श्लोक के अनुसार राशि रत्न धारण करने हेतु ज्योतिषीयों में काफी विभीन्नता देखी जाती है, और यदि कुण्डली के सम्यक अध्ययन के बाद ही इन रत्नों का निर्धारण किया जाना चाहिये!
'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के संपादक पण्डित विनोद चौबे बताते हैं कि रत्नों का चयन जितना महत्वपूर्ण है उससे भी महत्वपूर्ण रत्नों को सिद्ध व प्राणप्रतिष्ठित करना है! कभी कभी तो महंगे रत्नों को धारण करने के बावजूद काम नहीं करते उसके प्रमुख तीन कारण है-
१- जन्मांक का सम्यक विचार कर ठीक ठीक राशि रत्नो का चयन न कर पाना !
२- दूसरा राशि रत्नों का ठीक -ठीक परीक्षण कर उसके शुद्ध अशुद्ध को सुनिश्चित न कर पाना! क्योंकि आजकल राशि रत्नों के लैब टेस्टींग रिपोर्ट भी दुकानदारों तथा लैब टेस्टींग करने वालों के आपसी सांठ-गांठ पर नकली 'टेस्टींग कार्ड' बनाये जा रहे हैं....!
३- कुण्डली के सम्यक तौर पर
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार राशिचक्र की सभी राशियों को ग्रहों की चाल प्रभावित करती है। हर राशि किसी न किसी ग्रह से संचालित भी होती है यानि प्रत्येक राशि का एक स्वामी ग्रह होता है। जब कुंडली में ग्रह कमजोर हों तो जातक के जीवन में उसे अपेक्षाकृत परिणाम नहीं मिलते। अक्सर देखा जाता है कि लोग बड़े परेशान रहते हैं कि लाख कोशिशों के बावजूद उनके बने बनाये काम ऐन मंजिल के नजदीक पंहुच कर बिगड़ जाते हैं। ज्योतिषाचार्य इसका एक कारण ग्रहों का सही दशा में न होना, ग्रहों का साथ न मिलना और जातक की कुंडलीनुसार ग्रहों का कमजोर होना मानते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या कमजोर ग्रहों को मजबूत किया जा सकता है? इसका उत्तर यही है कि समस्या है तो समाधान भी है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जैसे राशि के स्वामी ग्रह होते हैं वैसे ही प्रत्येक ग्रह के कुछ रत्न भी हैं जिन्हें पहनने या कहें धारण करने से उक्त ग्रह को बल मिलता है। दरअसल ये रत्न धारण करते ही जातक की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक होने लगती है और हालातों में सुधार होने लगता है। अब सवाल यह कि किस राशि के जातक को कौनसा रत्न धारण करना चाहिये? तो आइये जानते हैं सभी बारह राशियों के बारे में कि किस राशि के लिये कौनसा रत्न शुभ है।
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार राशिचक्र की सभी राशियों को ग्रहों की चाल प्रभावित करती है। हर राशि किसी न किसी ग्रह से संचालित भी होती है यानि प्रत्येक राशि का एक स्वामी ग्रह होता है। जब कुंडली में ग्रह कमजोर हों तो जातक के जीवन में उसे अपेक्षाकृत परिणाम नहीं मिलते। अक्सर देखा जाता है कि लोग बड़े परेशान रहते हैं कि लाख कोशिशों के बावजूद उनके बने बनाये काम ऐन मंजिल के नजदीक पंहुच कर बिगड़ जाते हैं। ज्योतिषाचार्य इसका एक कारण ग्रहों का सही दशा में न होना, ग्रहों का साथ न मिलना और जातक की कुंडलीनुसार ग्रहों का कमजोर होना मानते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या कमजोर ग्रहों को मजबूत किया जा सकता है? इसका उत्तर यही है कि समस्या है तो समाधान भी है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जैसे राशि के स्वामी ग्रह होते हैं वैसे ही प्रत्येक ग्रह के कुछ रत्न भी हैं जिन्हें पहनने या कहें धारण करने से उक्त ग्रह को बल मिलता है। दरअसल ये रत्न धारण करते ही जातक की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक होने लगती है और हालातों में सुधार होने लगता है। अब सवाल यह कि किस राशि के जातक को कौनसा रत्न धारण करना चाहिये? तो आइये जानते हैं सभी बारह राशियों के बारे में कि किस राशि के लिये कौनसा रत्न शुभ है।
ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का बेहद महत्व है। ये ऐसी वस्तु है जिन्हें काफी शक्तिशाली माना गया है। लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम्, दशम, द्वितीय ये शुभ भाव है। यदि इनसे सम्बन्धित ग्रह जन्मकुण्डली में स्वग्रही अथवा मित्र-राशि या उच्च राशिगत अपने भाव अथवा राशि से प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम् अथवा दशम् हो तो संबंधित राशि का रत्न नि:संकोच धारण कर लाभान्वित हो सकते हैं। जैसे- मेष व वृश्चिक लग्न के लिए मूंगा शुभ है। माणिक्य व मोती भी इनको शुभ फल देते हैं। जबकि वृषभ व तुला लग्न के लिए हीरा रत्न शुभ है। इनको पन्ना व नीलम भी शुभ प्रभाव देते हैं। इसी तरह से मिथुन व कन्या राशि के लिए पन्ना, नीलम व हीरा फलदायी है। कर्क लग्न के लिए मोती कारक रत्न है। सिंह लग्न के लिए माणिक्य के साथ पुखराज व मूंगा विशेष प्रभावी है। धनु व मीन लग्न के लिए पुखराज शुभ है। मकर व कुंभ के लिए नीलम और पन्ना श्रेष्ठ है।
मेष - एस्ट्रोगुरू पण्डित विनोद चौबे (Mob.No.9827198828) के अनुसार मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल है मेष जातक काफी ऊर्जावान होते हैं और बड़ी से बड़ी चुनौति को स्वीकार करने के लिये तैयार रहते हैं। इनके लिये मूंगा धारण करना काफी हितकर होता है। यह रक्त संबंधी समस्याओं एवं वित्तीय बाधाओं को दूर करने में काफी कारगर होता है।
वृषभ - वृष राशि का स्वामी शुक्र होता है यदि जातक की राशि में शुक्र कमजोर चल रहा हो तो उसके लिये हीरा, ओपल या जरकन पहनना शुभ रहता है। इनके कारण जातक का बौद्धिक विकास होता है और आपसी संबंधों में मधुरता कायम होती है। रिश्तों की कमजोर डोरी को ये रत्न प्रेम का अटूट धागा बना देते हैं।
मिथुन - मिथुन राशि वाले जातक पन्ना पहन सकते हैं। इससे उनकी बुद्धि और विवेक का स्तर बढ़ता है और जातक में संयम बनाये रखने की प्रवृति भी विकसित होती है। चूंकि मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुद्ध होता है इसलिये पन्ना धारण करने से कमजोर बुद्ध भी मजबूत होता है और परिणाम सकारात्मक मिलते हैं।
कर्क - चंद्रमा द्वारा संचालित कर्क जातकों के लिये मोती बहुत ही लाभकारी रहता है। यह इनके स्वभाव में निहित चंचलता को नियंत्रित कर मन में स्थिरता लाता है और नकारात्मक विचारों को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
सिंह - सिंह राशि के जातक सूर्य द्वारा संचालित होते हैं ये काफी ऊर्जावान और निर्भीक स्वभाव के होते हैं। लेकिन यदि कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो अपेक्षात्मक परिणाम नहीं मिलते ऐसे में सिंह जातकों के लिये माणिक पहनना समस्याओं के समाधान में अहम भूमिका निभा सकता है। माणिक धारण करने से आत्मबल, आत्मविश्वास और आतंरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
कन्या - चूंकि कन्या राशि के जातक भी बुद्ध द्वारा संचालित होते हैं इसलिये इस राशि के जातकों के लिये भी पन्ना धारण करना हितकर हो सकता है। यदि जातक का मन विद्या ग्रहण करने में नहीं लगता या फिर जातक को किसी विषय-वस्तु-विचार-क्रियादि में ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत आती है तो पन्ना धारण करने से उसे इस समस्या से निजात मिल सकती है। इसके अलावा पन्ना धारण करने से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा के संचार से भी अन्य परेशानियां दूर हो सकती हैं।
तुला - शुक्र ग्रह को तुला राशि का स्वामी माना जाता है अत: तुला राशि वाले जातक भी यदि हीरा, ओपल या जरकन पहने तो इन्हें अवश्य लाभ मिलता है। इसके धारण करने से जातक की बुद्धि का विकास तो है व विद्या ग्रहण करने में आ रही परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। प्रेम संबंधों में स्थिरता के लिये भी जातक इन्हें धारण कर सकते हैं।
वृश्चिक - चूंकि वृश्चिक राशि का स्वामी भी मंगल ग्रह है इसलिये मूंगा पहनना वृश्चिक जातकों के लिये फायदेमंद रहता है। रक्त संबंधी दिक्कतें तो दूर होती ही हैं साथ ही संपत्ती और धन से जुड़े मामलों के लिये भी यह शुभ माना जाता है। क्रोध पर नियंत्रण करने में भी यह काफी सहायक रहता है। जातक की रचनात्मकता को सकारात्मक दिशा में प्रयोग करने की प्रेरणा भी मिलने लगती है।
धनु - इनका राशि स्वामी बृहस्पति है जिसकी मजबूती के लिये धनु जातक पुखराज पहन सकते हैं। पुखराज धनु जातकों में ज्ञान और बुद्धि के विकास के साथ-साथ वित्त और रिश्तों संबंधी स्थिरता को लाता है। अन्य कार्यों में इसके धारण करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
मकर - मकर जातकों को अपने राशि स्वामी शनि को प्रसन्न रखने के लिये नीलम पहनना चाहिये। इससे व्यक्ति अपने क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करता है और उच्च पदों तक पहुंचता है। यदि जातक व्यवसायी है तो अपने व्यवसाय में वृद्धि के लिये भी नीलम धारण करना शुभ माना जाता है।
कुंभ - कुंभ जातक भी शनि द्वारा संचालित होते हैं। इन्हें भी तरक्की हासिल करने के लिये नीलम धारण करना चाहिये। नीलम शनि के प्रकोप से तो बचायेगा ही साथ ही सकारात्मक परिणाम दिलाने में भी यह असरदार होता है।
मीन - बृहस्पति द्वारा संचालित मीन जातकों को भी पुखराज पहनना चाहिये। यह आपको अनिश्चितता के भय से मुक्ति दिलाने में मददगार हो सकता है। इसे धारण करने के बाद आप अपने अंदर सकारात्मक परिवर्तनों को महसूस कर सकेंगें।
नोट: कई बार जातक बिना विचार विमर्श और ज्योतिषाचार्यों से परामर्श किये ही रत्न धारण कर लेते हैं। इससे आपके राशिफल पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। कई बार यह आपकी सेहत के लिये भी हानिकारक हो सकता है। सटीक एवं सकारात्मक परिणामों के लिये किसी भी रत्न को अपनी कुंडली दिखाकर, दशा-महादशा आदि का अध्ययन करवा कर ज्योतिषीय परामर्श के बाद ही शुक्ल पक्ष में निर्धारित वार एवं होरा में विधिपूर्वक धारण करना चाहिये।
ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- "ज्योतिष का सूर्य" राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, सड़क-26, शांतिनगर भिलाई, जिला-दुर्ग (छ.ग.) मोबाईल नं- 09827198828
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