ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे

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बुधवार, 11 जनवरी 2017

कब ? और कैसे ? मनायें मकर संक्रांति......

कब ? और कैसे ? मनायें मकर संक्रांति......

साथियों, नमस्कार सर्वप्रथम आप सभी देश वासियों को मकर संक्रांति के पावन अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएं । "संक्रमणति इति संक्रांति" अर्थात् एक राशि से दूसरी राशि पर सूर्य के राशि प्रवेश को ही  "संक्रांति" कहते हैं।

-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, भिलाई

मकर सक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र की राशि या पुत्र के घर एक मास के लिए निवास करने जाते हैं जिस तरह चंद्रमा की गति से पथ भ्रमण से कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष का निर्णय होता है उसी प्रकार से आदिदेव भास्कर मकर रेखा के दक्षिण भाग से उत्तर की ओर प्रवेश करते हैं आज के दिन से ही सूर्य नारायण का प्रकाश पृथ्वी के इस भूभाग पर  तिल तिल भरता चला जाता है आज से 6 महीने तक भगवान सूर्य उत्तरायण रहेंगे सूर्य उत्तरायण के 6महीने देवताओं के दिन और कर्क राशि से 6 महीने नेताओं की रात्रि मानी जाती है मकर सक्रांति का पौराणिक महत्त्व भीष्म पितामह अपनी काया के परित्याग का दिन चुना था आज ही के दिन भगवती गंगा महर्षि भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर समुद्र में समाहित हुई थी मकर सकांति सही प्रकृति करवट लेती है आज से ही दिनों का बनना और शुभ कार्यों का प्रारंभ हो जाता है इस पुराणों में महत्व बताया गया है की मकर सक्रांति के पश्चात त मकर सक्रांति को एका त्याग करने वाली आत्माओं को स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त होता है दक्षिणायन में अंधकार होने से स्वर्ग मार्ग में पहुंचने में समय लगता है और आत्माएं भटकती है ऐसी लोकोक्तियां  समाज मे प्रचलित है, जो सर्वथा गलत है।

 सक्रांति के प्रवेश के अनंतर की 40 घटी  या 16 घंटे पुण्य काल माना जाता है इसमें भी 20 घंटे 8 घंटे अति उत्तम है यदि सायं काल में सूर्यास्त से एक घड़ी 24 मिनट पहले प्रवेश हो तो सक्रांति से पूर्व ही स्नान दान सहित संक्रांतिजन्य किये जाने वाले पूण्यप्रद सभी कार्य करना चाहिए क्योंकि संक्रांति के दिन रात्रि में भोजन का निषेध है और संतान युक्त ग्रहस्थ के लिए उपवास का भी निषेध है रात्रि में सक्रांति का प्रवेश हो तो दूसरे दिन मध्यान्ह तक स्नान-दानादि किए जा सकते हैं किंतु सूर्योदय से 5 घटी लगभग 2 घंटे अत्यंत पवित्र माना गया है।  सक्रांति माघ शुक्ल पक्ष में सप्तमी के दिन यदि यह सक्रांति हो तो, यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व शुभदायक संक्रांति माना जाता है।

संक्रांति तिथि व पूण्यकाल निर्णय :-
14 जनवरी 2017 शनिवार को श्लेषा नक्षत्र में सूर्य धनु राशि से  दिन में 1 बजकर 48 मिनट से मकर राशि में प्रवेश करेंगे अत: अति उत्तम पूण्यकाल संक्रमण के  बाद 8 घंटे यानी 16 घटी बेहद शुभकारी माना जाता है अत: दोपहर 1बजकर 48 से रात्रि 9 बजकर 48 मिनट तक पूण्यकाल रहेगा। ज्योतिष के अनुसार आज के बाद सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरंभ हो जायेंगे। किन्तु निर्णय सिन्धु के मुताबिक संक्रांति के पश्चात् तीन दिन तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं।

🙏🏻 विधि 🙏🏻 

यह स्नान दान का पर्व है जो इस दिन स्नान ना करें उसके लिए लिखा गया है कि वह सात जन्म तक रोगी और निर्धन होता है प्रयाग स्नान का इस दिन विशेष महत्व है संतान रहित व्यक्ति को उपवास भी करना चाहिए संतान वाले को उपवास निषेध है अधिकारी व्यक्ति को याद भी करना चाहिए उस दिन तिलदान वस्त्रदान का विशेष फल है।

🙏🏻 काल विज्ञान 🙏🏻

 ग्रहों के घूमने का मार्ग क्रांति वृत्त कहा जाता है इस वक्त के 12 विभाग है मेष आदि राशियां राशियां है सूर्य इन 12 राशियों में  1 वर्षों में भ्रमण कर लेता है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को "संक्रमण" कहते हैं 12 राशियों में कर्क से धनुराशि तक सूर्य दक्षिणायन तथा मकर राशि से मिथुन राशि तक सूर्य उत्तरायण होते हैं।

 अभिप्राय है कि सूर्य को मकर सक्रांति उत्तरायण का आरंभ पूर्वक 12 क्रांतियों में प्रत्येक सक्रांति का दिन पवित्र माना जाता है पर उन सब ने भी "अयन सक्रांति" कर्क और मकर विशेष पवित्र माना जाता है।

 उनसे भी विशिष्ट उत्तरायण के सक्रांति देवताओं के दिन आरंभ का दिवस होने से सर्वोत्तम मानी जाती है धर्म शास्त्रों में इस पवित्र दिवस के दिन स्नान दान का विशेष बल दिया जाता है। 

🕉 विधि विज्ञान 🕉 

सनातन धर्मं में तिल विशेष महत्त्व है।साथ ही पीत वस्त्र तथा स्वर्ण आदि दान किये जाने की परम्परा है, वहीं विश्वप्रसिद्ध मंदिर "गुरू-गोरक्षनाथ" गोरखपुर में "खिचड़ी" का विशेष महत्त्व है, इस पर्व को "माघ बिहु", " पोंगल", सिक्ख सम्प्रदाय में "लोहड़ी"  तथा "तिल संक्रांति" के रूप में मनाया जाता है। आयुर्वेद में शीशिर ॠतु में तिल का सेवन करने से कई रोगों का शमन करता है। 
इस पावन पर्व विशेषता यह भी है कि भगवान विष्णु का पूजन व तिल का अर्पण, सूर्य अर्थात् पितृजनों के तृप्ति के लिये श्राद्ध और ठंड के मौसम में वस्त्रदान का विशेष महत्त्व है। 

राशिफल-
मेष:- शुभप्रद, वृषभ :- स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें, मिथुन :- कामना पूर्ण होगी, कर्क:- वाहनादि से सावधानी बरतें।
सिंह:- पश्चिम की यात्रा होगी, आकस्मिक धनलाभ।
कन्या :- भाग्योदय होगा।
तुला :- भूमि या रियल स्टेट में निवेश करें।
वृश्चिक :- सौख्यम्
धनु :- शत्रुबाधा
मकर :- सिद्धिदायक।
कुंभ :- धनक्षय है अत: सावधानी बरतें।
मीन :- कार्यसिद्धि।
नोट:- उपरोक्त ऱाशिगत फल कथन सूर्य राशिगत है। अत: चंद्र राशि के मुताबिक फलकथन में भिन्नता स्वाभाविक है।

-ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- "ज्योतिष का सूर्य" राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई, जिला-दुर्ग (छ.ग.)

विशेष सूचना: कृपया वगैर सहमति लिये इस आलेख का किसी भी रूप में प्रयोग ना करें, ऐसा पाये जाने पर "ज्योतिष का सूर्य" द्वारा दाण्डिक प्रक्रिया अपनाई जायेगी।

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