इख लख पुत सवालख नाती ता रावण घर दिया न बाती...
लगता नितीन गडकरी जी का समय खराब चल रहा है...या मीडिया उनके पिछे पड़ी है ये साफ नहीं है...। परन्तु इतना जरूर है कि भगवा आतंक कहने वाली कांग्रेस अब उसी भगवा धारी स्वामी विवेकानन्द जी के भक्त बन गई है..। इतना परिवर्तन कांग्रेस का बगुला भक्ति ही कहा जा सकता है..। बाकि कभी कांग्रेसी भगवा आतंक कह कहकर देश के छोटे बड़े सभी सन्तों को एक लाईन में खड़ी कर दिये थे। और यह तब हुआ था जब देश के गृहमंत्री श्रीमान पी.चिदम्बरम जी थे। उस समय तो भगवा आतंक कहने के पहले यह बयान जारी नहीं किया कि स्वामी विवेकानन्दजी को छोड़कर बाकि सभी भगवा धारी आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं। देश की जनता सब जानती है...श्री मनीष तिवारी जी आप लोगों का घमंड शिर चढ़कर बोल रहा है...लेकिन बोलने और गरजने में अन्तर होता है ..जैसे की इस समय नरेन्द्र मोदी जी हमेशा गरजते रहते हैं...। शायद ऐसी गर्जना कांग्रेस के किसी अन्य नेता में हो। अभी तो अरविन्द-अमोघ अस्त्र, स्वामी सुब्रह्मण्यम स्वामी का आग्न्येयास्त्र, बाबा रामदेव का वरुणास्त्र, अन्ना हजारे जी का इकतीस फणीश बांण कब तक बर्दाश्त कर पाओंगे। वह दिन दूर नहीं कि ''इख लख पुत सवालख नाती ता रावण घर दिया न बाती''..की प्रांसंगिकता कांग्रेस पर फिट बैठ जाये।
लगता नितीन गडकरी जी का समय खराब चल रहा है...या मीडिया उनके पिछे पड़ी है ये साफ नहीं है...। परन्तु इतना जरूर है कि भगवा आतंक कहने वाली कांग्रेस अब उसी भगवा धारी स्वामी विवेकानन्द जी के भक्त बन गई है..। इतना परिवर्तन कांग्रेस का बगुला भक्ति ही कहा जा सकता है..। बाकि कभी कांग्रेसी भगवा आतंक कह कहकर देश के छोटे बड़े सभी सन्तों को एक लाईन में खड़ी कर दिये थे। और यह तब हुआ था जब देश के गृहमंत्री श्रीमान पी.चिदम्बरम जी थे। उस समय तो भगवा आतंक कहने के पहले यह बयान जारी नहीं किया कि स्वामी विवेकानन्दजी को छोड़कर बाकि सभी भगवा धारी आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं। देश की जनता सब जानती है...श्री मनीष तिवारी जी आप लोगों का घमंड शिर चढ़कर बोल रहा है...लेकिन बोलने और गरजने में अन्तर होता है ..जैसे की इस समय नरेन्द्र मोदी जी हमेशा गरजते रहते हैं...। शायद ऐसी गर्जना कांग्रेस के किसी अन्य नेता में हो। अभी तो अरविन्द-अमोघ अस्त्र, स्वामी सुब्रह्मण्यम स्वामी का आग्न्येयास्त्र, बाबा रामदेव का वरुणास्त्र, अन्ना हजारे जी का इकतीस फणीश बांण कब तक बर्दाश्त कर पाओंगे। वह दिन दूर नहीं कि ''इख लख पुत सवालख नाती ता रावण घर दिया न बाती''..की प्रांसंगिकता कांग्रेस पर फिट बैठ जाये।
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