कामिनी-दह से गेंद को आजाद करने के लिए भगवान कृष्ण को आना ही पड़ेगा।
यह इण्डिया है भाई, कुछ भी करो मनमर्जी चलेगी पूँजीपतियों की ही...और यदि यह पूँजीपति, उद्योगपति भारत में निवासरत रहते तो शायद..स्तीफा दे दिये होते...लेकिन उन्होंने अपने धर्म का निर्वाह किया है...क्योंकि भगावान कृष्ण के भारतीय पारंपरिक खेल को अब क्रिकेट ने हथिया लिया है..जिसकी बागडोर उलूक वाहन लक्ष्मीपतियों के हाथ में हैं....हालाकि कमलवासिनी लक्ष्मी माँ अथवा विष्णु पत्नि माँ लक्ष्मी के दत्तक पुत्रों के हाथ में होता तो शायद...यह घिनौना कार्य नहीं होता....और इस मान मर्दन के लिए कामिनी-दह और भ्रष्टाचार रुपी कालिय नाग के दमन के लिए प्रभु भगवान कृष्ण को आना ही पड़ेगा।
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