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शनिवार, 30 दिसंबर 2017

भज ले सीया मन मे हो, पंछी मन बावरा

दिल्ली के रामलीला मैदान के पिछे 'हमदर्द' बिल्डिंग के पास 'हनुमान वाटिका' के समीप ऐतिहासिक एवं पौराणिक बहुत प्रचीन बाजार 'सीताराम बाजार चौक' पर कबूतरों को दाना खिलाने का सुअवसर मिला !
मुगलपरस्त सरकारों ने इस प्रागैतिहासिक स्थल का नाम बदलकर यहां 'आसफ अली मार्ग' को मान्यता दी बजाय 'हनुमान वाटिका मार्ग' रखने के ! जबकी १९४७ में इस प्रसिद्ध 'रामलीला मैदान' के प्रांगण में बने 'हनुमान वाटिका' में स्वयंभू 'हनुमानजी' का प्राकट्य स्थानीय लोगों के मुताबिक तकरीबन २००० वर्ष पूर्व या इससे पहले का बताया जाता है ! किन्तु भारत पर आक्रमण करने वाले चोर, और डकैतों के कबीले मुगलों के नाम पर इस मार्ग का नामकरण हास्यास्पद सा लगता है ! और यहां के निवासी आचार्य पण्डित नरेश पाण्डेय जी के मुताबिक इस रामलीला मैदान में २००० वर्ष से रामलीला का भव्य आयोजन होता आ रहा है, किन्तु इस ऐतिहासिक स्थल को तुष्टीकरण की राजनीति ने रौंदते हुए, आसफ अली मार्ग का बोर्ड लगाकर एमसीडी/ दिल्ली सरकार द्वारा मान्यता देना, इनकी कुत्सित मानसिकता को दर्शाता है !
आचार्य पण्डित विनोद चौबे, संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, भिलाई 9827198828

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